Tree Surgery: आप सभी ने सर्जरी के बारे में तो सुना ही होगा लेकिन बहुत ही कम लोग होंगे जिन्होने Tree Surgery के बारे में शायद सुना होंगा। बढ़ती हुई तकनीक के इस दौर में इंसानों की तरह ही अब पेड़ों की भी सर्जरी की जा सकती है। वैसे तो पेड़ इंसानो के जीवनदाता से कम नहीं है लेकिन अब Tree Surgery के द्वारा इन्ही जीवनदाताओ को लम्बे समय तक जीवित रखा जा सकता है।
देखा जाये तो Tree Surgery का उपयोग उन पेड़ो के लिए किया जा रहा है जो दीमक या किसी संक्रमण की वजह से पेड़ों के तने अंदर ही अंदर खोखले हो जाते हैं, जिससे पेड़ कमज़ोर पड़ जाता है। इस समस्या को खत्म करने के लिए कई शहरों में ट्री एंबुलेंस की मदद से ये काम चल भी रहा है।
किन कारणो से खोखले हो जाते हैं पेड़ ?
पेड़ो के खोकले होने के वैसे तो कई कारण है उनमे के कुछ पेड़ तो कीट, रोग, दीमक या पोषक तत्वों की कमी की वजह से विशालकाय पेड़ों की शाखाएं भी खोखली हो जाती हैं। पेड़ो के तने खोकले हो जाने की वजह से पानी और पोषक तत्व जड़ से ऊपर तक नहीं पहुंच पाते, जिसके कारण पेड़ समय से पहले ही सूखने लगते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए ही पेड़ों की सर्जरी की जा रही है ताकि वो लम्बे समय तक जीवित रह सकें।
किस तरह से की जाती है Tree Surgery ?
Tree Surgery उन पेड़ो में की की जाती है जिस पेड़ पर दीमक, कीड़े या किसी इंफेक्शन की वजह से पेड़ों की छाल अंदर से खोखली हो जाती है। इसके लिए सबसे पहले अधिक भार डालने वाली शाखाओं को काटा जाता है। उसके बाद कीड़े लगी शाखा या तने को ब्रश से अच्छी तरह साफ किया जाता है। फिर पेड़ के आसपास जमा कचरे को भी हटाया जाता है, ताकि वहा दोबारा की़ड़े न पनपे।
फिर पेड़ों को अच्छी तरह धोकर प्रभावित जगह पर कीटनाशक का अच्छी तरह छिड़काव किया जाता है और आवश्यकता पड़ने पर कीटों को हटाने के लिए आग का भी प्रयोग किया जाता है जिसे एक लोहे के सरिया पर कपड़ा लपेटकर उसमें आग लगाकर पेड़ों के कीड़े या दीमक लगे हिस्से को जलाया जाता है जिससे वहां मौजूद सारे फंगस और कीड़ों के अंडे खत्म हो जाएं।
पेड़ों की सफाई के बाद खोखली शाखाओं में थर्माकोल और मुर्गा जाली भरकर उसे कील की सहायता से सुरक्षित किया जाता है। फिर उसमें प्लास्टर ऑफ पेरिस की एक परत लगाकर ऊपर से व्हाइट सीमेंट से ढंक दिया जाता है ताकि प्लास्टर ऑफ पेरिस बारिश में बहे न।
किस तरह प्रदान की जा रही है सेवाएं ?
Tree Surgery एवं पेड़ो से जुड़ी अन्य सेवाओं के ट्री एंबुलेंस की शुरुवात की है। इसमे जिस तरह बीमार लोगों के लिए एंबुलेंस सेवा होती है वैसे ही बीमार पेड़ो के लिए ट्री एंबुलेंस होता है, जो पेड़ों में ज़रूरी कटाई-छंटाई करने के साथ ही उसमें मौजूदा परेशानियों का निवारण व सर्जरी भी करता है। अब तक यह ट्री एम्बुलेंस सेवा दिल्ली, जयपुर, चेन्नई, इंदौर समेत कई शहरों में हैं, जो संक्रमित पेड़ों के पास जाकर ऑन-द-स्पॉट उसकी जांच कर सर्जरी का काम करते हैं एवं उन्हें सर्जरी की मदद से ठीक किया जाता है।
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किसने की ट्री-एंबुलेंस की शुरुआत ?
ट्री-एंबुलेंस की शुरुआत ‘भारत के हरित पुरुष’ के नाम से जानें जाने वाले भारत के मशहूर डॉक्टर अब्दुल गनी ने पर्यावरण को बचाने की अनोखी पहल के साथ पेड़ों के लिए खास ग्रीन एंबुलेंस की शुरुआत की। डॉ अब्दुल चेन्नई के एक लोकप्रिय पर्यारणविद् हैं। ट्री-एंबुलेंस लॉन्च करने के पीछे डॉक्टर अब्दुल गनी का मकसद पेड़ों की देखभाल और पर्यावरण बचाने के लिए नए पेड़ लगाने के साथ ही मौजूदा पेड़ों का सरंक्षण करना है। आज ट्री-एंबुलेंस पेड़ों के सरंक्षक के रूप में काम कर रही हैं और भारत के कई शहरों में ट्री एंबुलेंस पेड़ों की सर्जरी से लेकर, दूसरे उपचार, पानी आदि उपलब्ध कराकर उन्हें जीवनदान दे रही है।
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