Supreme Court On Agnipath Scheme: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को सेना में भर्ती की केंद्र सरकार (Central Government) की अग्निपथ योजना (Agnipath scheme) पर मुहर लगा दी है। शीर्ष कोर्ट ने Agnipath scheme के खिलाफ दो अपीलों को खारिज कर दिया।
इसके साथ ही कहा कि यह अग्निपथ योजना मनमानी नहीं है। आपको बता दे कि बीते साल केंद्र सरकार की इस योजना को लेकर विभिन्न विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई थी। देशभर में इसका जबरदस्त विरोध किया गया था। सेना में भर्ती Agnipath scheme को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में दो याचिका भी दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी आज इन याचिका को खारिज कर केंद्र की Agnipath scheme को सही ठहराया है।
दिल्ली HC का फैसला
बीते फरवरी महीने में दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में Agnipath scheme की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था। अदालत ने कहा कि ‘जिन नीतिगत फैसलों का देश के स्वास्थ्य और रक्षा क्षेत्र पर बड़ा असर पड़ता है, वो फैसले उन्हीं निकायों को लेने चाहिए, जो इनके विशेषज्ञ हैं।’
जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में पूर्व में दिए फैसलों की श्रृंखला का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘जब तक सरकार द्वारा लिए गए नीतिगत फैसले मनमाने, भेदभावपूर्ण या संविधान के किसी प्रावधान और कानून का उल्लंघन नहीं करते हैं तो अदालत इस तरह के नीतिगत फैसलों पर सवाल नहीं उठाएगी।’
योजना पर SC की मुहर
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र की Agnipath scheme को बरकरार रखने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं को खारिज कर दिया है। Agnipath scheme को अब सुप्रीम कोर्ट से भी हरी झंडी मिल गई है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि Agnipath scheme की शुरुआत से पहले सेनाओं के लिए रैलियों, फिजिकल और मेडिकल टेस्ट जैसी भर्ती प्रक्रियाओं के जरिये चुने गए उम्मीदवारों के पास नियुक्ति का अधिकार नहीं है।
17 अप्रैल को सुनवाई
आपको बता दें कि Agnipath scheme के आने से पहले एयरफोर्स में नियुक्ति के लिए इंतजार कर रहे उम्मीदवारों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने को तैयार हो गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई के लिए 17 अप्रैल तय की है।
क्या है Agnipath scheme
अग्निपथ योजना की शुरुआत जून 2022 में हुई। इस योजना के तहत हर साल साढ़े सत्रह साल से 21 साल के बीच के करीब 45-50 हजार युवाओं को सेना में भर्ती किया जाएगा। इनमें से अधिकतर चार साल की सेवा के बाद सर्विस से बाहर हो जाएंगे और सिर्फ 25 प्रतिशत को ही अगले 15 साल के लिए सेवा जारी रखने के लिए चुना जाएगा।
सरकार की अग्निपथ योजना का देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध भी हुआ था। हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में Agnipath scheme को देशहित में माना और कहा कि इससे हमारे सुरक्षा बल ज्यादा बेहतर बनेंगे।