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पहले भी विवादित बयान देते रहे हैं मुनव्वर राणा, जानिए राणा के कुछ प्रमुख विवादित बयान 

कभी अपनी शायरी के कारण लाखों लोगों के दिलों पर राज करने वाले मुनव्वर राणा आजकल अपनी शायरी के लिए कम बल्कि विवादित बयानों के लिए ज्यादा जाने जाते हैं। कुछ दिनों से राणा तालिबान सरकार की भारत से तुलना लेकर कई विवादित बयान दे चुके हैं, जिसके कारण कुछ राजनीतिक दलों ने उन पर राष्ट्रदोह का मामला दर्ज करने और विवादित बयानों को लेकर उनकी गिरफ्तारी करने तक की मांग कर दी है।

इसके पहले भी राणा कई विवादित बयान दे चुके हैं, तो आइए जानते हैं इसके पहले राणा ऐसे कौन कौन से बयान दे चुके हैं, जिन पर विवाद हुए हैं। 

1. यूपी के देवबंद में एटीएस सेंटर खोलने पर 

यूपी सरकार द्वारा जब देवबंद में एटीएस सेंटर खोला गया तो इस पर मुनव्वर राणा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि यूपी में भी तालिबान जैसा काम हो रहा है। जब तक यूपी में योगी सरकार है। वो कुछ भी कर सकती है।धर्मांतरण जैसे मसलों से मुल्क बर्बाद होता है, लेकिन हम चाहते हैं कि हमारा मुल्क पहले जैसा था, वैसा हो जाए।
 
2. भारत काे बताया था सांप्रदायिक देश : 
इतना ही नहीं राणा ने कुछ दिन पहले भारत को एक सांप्रदायिक देश बता दिया था। अपना बयान देते हुए उन्होंने कहा था कि भारत अब धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र नहीं रहा, बल्कि सांप्रदायिक देश हो गया है। यहां रात-दिन राम की बात होती है, खबरों में केवल राम मन्दिर होता है। हिंदुओं को खुश करने के लिए यहां मुसलमानों को मारा जा रहा है।
 
3. योगी फिर सीएम बने तो छोड़ दूंगा यूपी :  
इसके अलावा सीएम योगी भी मुनव्वर राणा के निशाने पर रहते हैं। एक बार सीएम योगी पर पूछे सवाल का जवाब देते हुए राणा ने कहा था कि यूपी में योगी आदित्यनाथ यदि फिर से मुख्यमंत्री बने तो वह राज्य छोड़ देंगे। और वो मान लेंगे कि ये राज्य मुसलमानों के रहने लायक नही है। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा था कि ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम सिर्फ दिखाने के लिए चुनाव लड़ रही हैं।
 
4. लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराने पर विवादित बयान :  
26 जनवरी को लाल किले में हुई हिंसा के लिए भी राणा ने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। राणा ने बयान देते हुए कहा था कि सरकार खुद चाहती थी कि लाल किले पर हिंसा हो, जिसके बाद किसानों को वहां से हटा दिया जाए। साथ ही लाल किले पर धार्मिक झंडे को फहराने के मुद्दे पर राणा ने कहा था कि जब आरएसएस के मुख्यालय पर तिरंगा नहीं फहराया जाता, तो कोई भी झंडा कहीं भी फहरा दिया जाए। क्या फर्क पड़ता है? और अब लाल किला भी लाल किला नहीं रहा, वो डालकिला हो चुका है।

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