गौरतलब है कि राणा तालिबान को लेकर लगातार विवादित बयान दे रहे हैं। उनके इन बयानों पर कई लोगों ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए उन्हें अफगानिस्तान चले जाने की सलाह दी है।
बार बार ‘गद्दारी’ करने पे आमादा हैं…
मुन्नवर जी आप ‘शायर’ कम ‘शरिया’ ज़्यादा हैं…#MunnawarRana— Raaj Shaandilyaa (@writerraj) August 19, 2021
महर्षि वाल्मीकि की तुलना तालिबान से :
दरअसल शायर ने इस बार एक टीवी चैनल में तालिबान पर चर्चा के दौरान कहा कि ‘तालिबान आतंकी हैं पर उतने ही आतंकी हैं जितने रामायण लिखने वाले वाल्मीकी।’ इस दौरान शायर ने आपत्तिजनक और अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि ‘यदि वाल्मीकी रामायण लिख देता है तो वह देवता हो जाता है, जबकि उससे पहले वह डाकू होता है। इसको क्या कीजिएगा? आदमी का किरदार, उसका कैरेक्टर बदलता रहता है।
#MunnawarRana ABP न्यूज़ पर एंकर से कह रहे हैं कि “आपके यहां” आतंकवादी की परिभाषा अलग है????
ये बुढ़ऊ कौन से देश में है??@ABPNews pic.twitter.com/X8F6mPOSCm— ???????? सुधांशु (@Sudhanshu_asb) August 19, 2021
राणा इतने पर भी नहीं रुके, टीवी चैनल के एंकर की आपत्ति के बावजूद वह आपत्तिजनक बातें कहते रहे। जब एंकर ने महर्षि वाल्मीकि और तालिबान की तुलना न करने को कहा तो उन्होंने कहा कि ‘आपके मजहब (हिंदू धर्म) में तो किसी को भी भगवान कह दिया जाता है, लेकिन, वो एक लेखक थे। ये ठीक है कि उन्होंने एक बड़ा काम किया, उन्होंने रामायण लिखी। हालांकि, यहां मुकाबला करने की बात नहीं है।
कहा अफगानिस्तान से ज्यादा क्रूरता भारत में :
अफगानिस्तान में हो रही क्रूरता की तुलना भारत से करते हुए कहा है कि जितनी क्रूरता अफगानिस्तान में है, उससे ज्यादा क्रूरता तो हमारे यहां पर पहले से ही है। इतना ही नहीं राणा ने कहा है कि देश में पहले रामराज था, लेकिन अब कामराज है। राणा के इस बयान के बाद भाजपा सहित अन्य राजनैतिक दलों ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। भाजपा ने इसे राष्ट्र विरोधी बयान करार दिया है। साथ ही वे कई नेताओं और लोगों के निशाने पर भी आ गए हैं।
शायर मुनव्वर राणा का झलका तालिबानी प्रेम, बोले तालिबानी नहीं, अफगानी कहिए. कोई कहीं से भी भाग सकता है. यूपी से भी भाग जाने का मन करता है#AfghanTaliban #TalibanTakeover #AfghanLivesMatter #MunawwarRana
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— ZEE HINDUSTAN (@Zee_Hindustan) August 19, 2021
पहले भी कर चुके हैं तालिबान का समर्थन :
इसके पहले बुधवार को भी राणा तालिबान का समर्थन कर चुके हैं। एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि तालिबान को आतंकवादी या आतंकी नहीं कह सकते, उन्हें अग्रेसिव कहा जा सकता है। तालिबान ने अपने मुल्क को आजाद करा लिया तो क्या दिक्कत है? अपनी जमीन पर कब्जा तो किसी भी तरह से किया जा सकता है?