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मुनव्वर राणा ने दिया फिर विवादित बयान, तालिबान से की महर्षि वाल्मीकि की तुलना कहा अफगानिस्तान से ज्यादा क्रूरता भारत में 

अपने विवादित बयानों के कारण अक्सर चर्चा में रहने वाले यूपी के शायर मुनव्वर राणा ने इस बार फिर एक विवादित बयान दिया है। मुनव्वर ने इस बार अपने बयान से न केवल अपने लाखों प्रशंसकों का दिल दुखाया है। बल्कि भारत के संविधान पर भी अप्रत्यक्ष रूप से सवाल उठा दिए हैं। इतना ही नहीं राणा ने महर्षि वाल्मीकि की तुलना भी तालिबान से कर दी है। उनके इस बयान के बाद हिंदू संगठनों ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। 

गौरतलब है कि राणा तालिबान को लेकर लगातार विवादित बयान दे रहे हैं। उनके इन बयानों पर कई लोगों ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए उन्हें अफगानिस्तान चले जाने की सलाह दी है।



 

महर्षि वाल्मीकि की तुलना तालिबान से : 
दरअसल शायर ने इस बार एक टीवी चैनल में तालिबान पर चर्चा के दौरान कहा कि ‘तालिबान आतंकी हैं पर उतने ही आतंकी हैं जितने रामायण लिखने वाले वाल्‍मीकी।’ इस दौरान शायर ने आपत्तिजनक और अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि ‘यदि वाल्‍मीकी रामायण लिख देता है तो वह देवता हो जाता है, जबकि उससे पहले वह डाकू होता है। इसको क्‍या कीजिएगा? आदमी का किरदार, उसका कैरेक्‍टर बदलता रहता है।


राणा इतने पर भी नहीं रुके, टीवी चैनल के एंकर की आपत्ति के बावजूद वह आपत्तिजनक बातें कहते रहे। जब एंकर ने महर्षि वाल्मीकि और तालिबान की तुलना न करने को कहा तो उन्होंने कहा कि ‘आपके मजहब (हिंदू धर्म) में तो किसी को भी भगवान कह दिया जाता है, लेकिन, वो एक लेखक थे। ये ठीक है कि उन्‍होंने एक बड़ा काम किया, उन्‍होंने रामायण लिखी। हालांकि, यहां मुकाबला करने की बात नहीं है।

कहा अफगानिस्तान से ज्यादा क्रूरता भारत में : 
अफगानिस्तान में हो रही क्रूरता की तुलना भारत से करते हुए कहा है कि जितनी क्रूरता अफगानिस्तान में है, उससे ज्यादा क्रूरता तो हमारे यहां पर पहले से ही है। इतना ही नहीं राणा ने कहा है कि देश में पहले रामराज था, लेकिन अब कामराज है। राणा के इस बयान के बाद भाजपा सहित अन्य राजनैतिक दलों ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। भाजपा ने इसे राष्ट्र विरोधी बयान करार दिया है। साथ ही वे कई नेताओं और लोगों के निशाने पर भी आ गए हैं।



 

पहले भी कर चुके हैं तालिबान का समर्थन : 
इसके पहले बुधवार को भी राणा तालिबान का समर्थन कर चुके हैं। एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि तालिबान को आतंकवादी या आतंकी नहीं कह सकते, उन्हें अग्रेसिव कहा जा सकता है। तालिबान ने अपने मुल्क को आजाद करा लिया तो क्या दिक्कत है? अपनी जमीन पर कब्जा तो किसी भी तरह से किया जा सकता है?

 
इतना ही नहीं राणा ने इस दौरान भारत के तमाम शहीदों पर भी सवाल खड़े किए थे और कहा था कि इसको उस हिंदुस्तान की तरह सोचा जाए जो अंग्रेजों की गुलामी में था, जिन्होंने उसे आजाद कराया था। उन्होंने भी अपने मुल्क को आजाद करा लिया तो क्या दिक्कत है। इसके बारे में हिंदुस्तानी होकर नहीं सोच सकते हैं।

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