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Saanand Verma कभी ऑडिशन के लिए किया पैदल सफर आज खुदकी कई लग्जरी कारें

Saanand Verma

Saanand Verma अनोखेलाल सक्सेना दर्शक जैसे ही ये नाम सुनते है प्रफुल्लित हो उठते है भाभी जी घर पर है का यह किरदार कोई कैसे भुल सकता है जब भी सक्सेना जी टीवी स्क्रीन के सामने आते है हंसी ठहाके अपने आप शुरू हो जाते है अपने पागलपन और दमदार एक्टिंग कॉमेडी से सबको हंसाने वाले कलाकार सानंद वर्मा के जीवन की कहानी उनके किरदार की तरह हास्य और आनंदित नही रही गरीबी से पर्दे तक का Saanand Verma का संघर्ष सफर आपकी आंखों को नम कर देगा।

Saanand Verma के पिता फक्कड़ किस्म के आदमी थे

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Credit: Google

Saanand Verma बताते है, की उनके पिता काफी फक्कड़ किस्म के व्यक्ति थे, वह एक साहित्यकार थे और कविता पाठ करते थे। उनके इस शौक से परिवार का भरण पोषण करना काफी मुश्किल होता था, हालात इतने गंभीर थे की दो वक्त की रोटी जुटा पाना भी संभव नहीं था।

साथ ही Saanand Verma  के पिताजी एक प्रिंटिंग प्रेस चलाते थे, जिसमे वह स्वयं के द्वारा लिखी हुई कविताओं और कृति के प्रकाशन हेतु प्रयोग करते थे। पिताजी हमें पटना छोड़ दिल्ली ले गए, पर जब वहां आजीविका मुश्किल हो गई तो फिर सुबह के भूले को शाम को लौट कर अपने घर पटना ही आना पड़ा।

मेरे लिए विद्यालय की फीस भरना भी मुश्किल था

Saanand Verma बताते है, की मैं जब विद्यालय में था तब मेरे फीस भरना भी काफी मुश्किल था, इसीलिए पिता के साथ खेत चला जाता था। जिस उम्र में 7 साल के बच्चे पार्क और मेला घूमने जाते थे, मैं पिता के साथ खेत जाता था, क्योंकि मुझे दो वक्त की रोटी भी जुटानी पड़ती थी।

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लेकिन जैसे तैसे मैंने मेरी पढ़ाई पूरी कर ही ली, मेरे कॉलेज के समय एक प्रेस में मेरी प्रूफ रीडिंग की नौकरी लगी थी। लेकिन वहां डायरेक्टर से किसी बात पर झगड़ा होने पर मुझे निकाल दिया गया। घर की हालात इतने गंभीर थे कि Saanand Verma को पिता के हार्ट अटैक से मौत होने पर अंतिम संस्कार के पैसे भी दोस्त से मांगने पड़े थे।

सपनो के लिए कुर्बान कर दी 50 लाख तक की नौकरी

Saanand Verma बताते है कि उस वक्त मेरी 50 लाख सालाना की नौकरी लगी थी, सो एक मकान और एक गाड़ी मैने ईएमआई पर ले ली थी। लेकिन फिर एक्टिंग का जुनून मेरे सर चढ़ गया सो मैने नौकरी छोड़ दी।

उन दिनों ऑडिशन के लिए 50 किमी पैदल चलकर जाता था, क्योंकि मकान की किस्त चुकाने के लिए कार बेचनी पड़ी थी, और लोकल बस और ट्रेन में धक्का खाना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं था, और टैक्सी लायक पैसे की हैसियत उस वक्त नहीं थी।

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मुझे मेरी पहली ही एड अमीर खान के साथ करने को मिल गई, मेरे बेहतर काम को देख उन्होंने मेरी तारीफ डायरेक्टर भी की है, फिर मैंने 2014 में आई फिल्म मर्दानी की, और फिर 2015 में आए शो भाभी जी घर पर है सीरियल ने मेरी तकदीर ही बदल दी ।

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मैं मेरे करियर में काफी ज्यादा सेट हो चुका हूं, मैने अपहरण ,मर्दानी, छिछोरे, हम दो हमारे दो, मर्दानी जैसी कई फिल्मों और सीरीज में काम किया है, साथ ही कई टीवी सीरियल में भी अभिनय किया है, आज Saanand Verma को हर कोई जानता है,उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर अपने किस्मत के सितारे चमका दिए है।उन्होने यह साबित कर दिया कि मेहनत के दम पर हर सपने को पूरा किया जा सकता है।

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