मानहानि केस में सूरत की कोर्ट ने गुरुवार को Rahul Gandhi को 2 साल की सजा सुनाई थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता शुक्रवार को रद्द कर दी गई है। वह केरल के वायनाड से लोकसभा सदस्य थे। लोकसभा सचिवालय से पत्र जारी कर इस बात की जानकारी दी गई है। बता दें कि Rahul Gandhi ने 2019 में कर्नाटक की सभा में मोदी सरनेम को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था- सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है।
याचिका दायर के लिए 30 दिन का समय
सूरत कोर्ट के फैसले के खिलाफ Rahul Gandhi को अपील दायर करने के लिए 30 दिनों का समय दिया गया था। Rahul Gandhi के वकील ने भी कहा था कि हम फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे। अभी तक हाईकोर्ट में राहुल की तरफ से अपील नहीं की गई है।
जानिए क्या है मामला
कर्नाटक के कोलार में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले एक रैली के दौरान Rahul Gandhi ने अपने भाषण में कहा था कि चोरों का सरनेम मोदी है। सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है, चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो चाहे नरेंद्र मोदी। वहीं, इस केस की सुनवाई के दौरान Rahul Gandhi तीन बार कोर्ट में पेश हुए थे।
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पूर्णेश मोदी- आखिरी सांस तक लड़ेंगे
यह केस सूरत पश्चिम के विधायक पूर्णेश मोदी ने दर्ज किया था। पूर्णेश का कहना था कि Rahul Gandhi ने हमारे समाज को चोर कहा था। चुनावी सभा में हमारे खिलाफ आरोप लगाए गए। जिससे हमारी और समाज की भावनाओं को ठेस पहुंची। इसी के चलते हम इस मामले को कोर्ट में लेकर आए। हम आखिरी सांस तक लड़ेंगे। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।
‘पूर्णेश मोदी को लेकर नहीं था भाषण’
वहीं, Rahul Gandhi के वकील ने दलील दी थी कि पूर्णेश मोदी को इस मामले में पीड़ित पक्ष के रूप में शिकायतकर्ता नहीं होना चाहिए था। क्योंकि राहुल के अधिकांश भाषणों में प्रधानमंत्री को निशाना बनाया गया था, न कि पूर्णेश मोदी को। साथ ही Rahul Gandhi के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि इस पूरी घटना में कोई घायल नहीं हुआ और न ही इससे किसी को कोई नुकसान पहुंचा है। इसलिए हम किसी प्रकार की दया की याचना नहीं करते हैं।
जुलाई 2013 के फैसले का असर
सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई 2013 को अपने फैसले में कहा था कि कोई भी सांसद या विधायक निचली अदालत में दोषी करार दिए जाने की तारीख से ही संसद या विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित हो जाएगा। कोर्ट ने लिली थॉमस बनाम भारत सरकार के केस में यह आदेश दिया था। इससे पहले कोर्ट का आखिरी फैसला आने तक विधायक या सांसद की सदस्यता खत्म नहीं करने का प्रावधान था।
अध्यादेश पास होता तो न थी मुश्किल
2013 में जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला कि सांसद/विधायक को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा मिलने पर उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से खत्म हो जाएगी। वो अगला चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का सबसे बड़ा प्रभाव लालू प्रसाद यादव पर पड़ सकता था, क्योंकि चारा घोटाले में फैसला आने वाला था।
Rahul Gandhi ने ही फाड़ा था अध्यादेश
लालू की पार्टी उस वक्त मनमोहन सरकार का हिस्सा थी। ऐसे में मनमोहन सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक अध्यादेश लाई, जिससे सुप्रीम कोर्ट का फैसला निष्प्रभावी हो जाए। 24 सितंबर 2013 को कांग्रेस सरकार अध्यादेश की खूबियां बताने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसी बीच प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी पहुंचकर कहा था, ‘ये अध्यादेश बकवास है और इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए।’ उन्होंने अध्यादेश की कॉपी को फाड़ दिया था। इसके बाद ये अध्यादेश वापस ले लिया जाता है।
अब क्या कर सकते हैं राहुल गांधी…?
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 (3) के अनुसार, जिस क्षण किसी संसद सदस्य को किसी भी अपराध में दोषी करार दिया जाता है, और कम से कम दो साल कैद की सज़ा सुनाई जाती है, वह संसद सदस्य रहने के लिए अयोग्य हो जाता है।
- कुछ विशेषज्ञों का कहना था कि दोषी करार दिए जाते ही केरल की वायनाड सीट से सांसद की लोकसभा सदस्यता ‘स्वतः’ ही अयोग्यता के दायरे में आ गई है, हालांकि कुछ अन्य का कहना था कि अगर राहुल गांधी दोषसिद्धि के फैसले को पलटवाने में कामयाब हो जाते हैं, तो अयोग्यता से बच सकते हैं।
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- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 (3) के अनुसार, जिस क्षण किसी संसद सदस्य को किसी भी अपराध में दोषी करार दिया जाता है, और कम से कम दो साल कैद की सज़ा सुनाई जाती है, वह संसद सदस्य रहने के लिए अयोग्य हो जाता है।