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Qatar Indian soldiers: कतर में गिरफ्तार 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को नहीं होगी फांसी, भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत

Qatar Indian soldiers

Qatar Indian soldiers कतर में गिरफ्तार 8 भारतीय नौसैनिकों की फांसी की सजा पर रोक लगा दी गई है। भारतीय विदेश मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद कतर की अपीलीय अदालत ने ये फैसला दिया जिसमें सजाएं कम कर दी गई हैं। कतर में भारतीय राजदूत और अन्य अधिकारी उपस्थित थे जिन्होंने परिवार के सदस्यों के साथ अदालत में अपील की।

क्या मामला है कि पूर्व सैनिकों को सजा हुई?

बात है 30 अगस्त 2022 की, क़तर में भारतीय नौसेना के 8 रिटायर्ड अफसर अपने घरों में सो रहे थे. इसी दौरान क़तर इंटेलिजेंस अफसर पहुंचे और उन्हें बिना आरोप बताए गिरफ्तार कर लिए. सभी को अलग- अलग जेलों में कैद कर रखा जाता है. ये सभी अफसर क़तर की नौसेना को ट्रेंनिंग देने वाली एक निजी कंपनी दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी में काम करते थे. ये कम्पनी सुरक्षा सम्बन्धी सुविधा उपलब्ध कराती है. ओमान एयरफोर्स के रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर खमिस अल अजमी इसके प्रमुख हैं. उन्हें भी 8 भारतीय नागरिकों के साथ गिरफ्तार किया गया था लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया. गिरफ्तारी के 14 महीने बाद 26 अक्टूबर 2023 को इन सभी अफसरों को मौत की सजा सुनाने की खबर आई.

भारत सरकार ने दायर की थी अपील

बता दें कि इन पूर्व सैनिकों को बचाने के लिए भारत सरकार ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। इसके लिए सरकार ने कतर की एक दूसरी अदालत में पूर्व नौसैनिकों को मिली मौत की सजा के खिलाफ अपील दायर की थी।

क्या रास्ते हैं भारत सरकार के पास?(Qatar Indian soldiers)

ये फैसला दोहा स्थित कोर्ट ऑफ़ फर्स्ट इंस्टेंस ऑफ़ क़तर ने सुनाया है. दोहा डायरेक्ट्री वेबसाइड के अनुसार यह कोर्ट सिविल और क्रिमिनल केस सुनता है. सीधे शब्दों में कहें तो ये वहां का ट्रायल कोर्ट है. इस कोर्ट के फैसले के खिलाफ ऊपरी कोर्ट में अपील की जा सकती है. नेवी के पूर्व अफसर इस फैसले के खिलाफ ‘कोर्ट ऑफ़ अपील’ कर सकते हैं.

भारत इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस (ICJ) में अपील कर सकता है. वहां मामले की सुनवाई होगी। यूनाइटेड नेशनल चार्टर के अनुच्छेद 94 के अनुसार यूनाइटेड नेशन का मेंबर देश जो उस मामले में पार्टी होगा वह आईसीजे के फैसले को मानेगा। ये आखिरी फैसला होगा और इसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती। इतना जरूर हो सकता है कि फैसले के किसी शब्द के अर्थ को लेकर आशंका हो तो उसे जानने के लिए दोबारा अपील की जासकती है.

क्या पूर्व अफसरों की वापसी होगी?

क़तर की ऊपरी अदालतों में भारतीय पूर्व अफसर या उनके वकील साबित कर दें कि वे बेगुनाह हैं तो वापसी संभव है, जिसकी संभावना बेहत कम है. या फिर ICJ (International Court of Justice) में हम जाते हैं और ये केस जीत जाते हैं तो ये संभव है. इसका उदहारण इटली मरीन्स वाला केस है, जिसमें दो भारतीय नागरिकों की हत्या करने के बाद भी उन्हें हमें रिहा करना पड़ा था.

क्या था इटली मरीन्स केस?

इटली के नौसैनिकों ने वर्ष 2012 में केरल तट के पास दो भारतीय मछुआरों की हत्या कर दी थी. इस केस को इटली के जहाज एनरिका लेक्सी के नाम से जाना है. भारतीय पुलिस ने इटली के दो नौसैनिकों को गिरफ्तार कर उन पर केस दर्ज कर लिया था. इटली ने इसके खिलाफ ‘इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर लॉ ऑफ़ द सी’ में अपील की. वहां इटली ने बताया कि उसके नौसैनिकों से गलतफहमी हो गई थी कि वे मछुआरे नहीं समुद्री लुटेरे हैं और उन्होंने गोली चला दी. इस मामले में फैसला कि ये नौ सैनिक अपने देश की रक्षा कर रहे थे. ऐसे में इन पर भारतीय कानून के तहत केस नहीं चलाया जा सकता। इस तरह से वे नौ सैनिक इस मामले से बरी हो गए थे.

क्या भारत और क़तर के संबंध अच्छे नहीं चल रहे?

भारत के विदेश मंत्री जयशंकर अब तक 3 बार क़तर का दौरा कर चुके हैं। इससे पहले सुषमा स्वराज 2018 में क़तर जाने वाली पहली भारतीय विदेश मंत्री थी. पिछले साल जून में दोनों देशों के बीच रिश्तों में पहली बड़ी चुनौती देखने को मिली थी. इस दौरान एक टीवी शो में भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. उनकी टिप्पणी का विरोध करने वाला पहला देश क़तर था. इसके आलावा नवंबर में उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ की क़तर यात्रा ने उम्मीद जगाई थी कि वह जेल में बंद 8 भारतीयों का मुद्दा उठाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

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