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बारिश के मौसम में कुछ इस तरह से करें मलेरिया से बचाव

बारिश का मौसम में है, ऐसे में तमाम तरह की बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन इस दौरान जगह जगह हुए जलभराव के कारण मच्छरों से होने वाली बीमारियां का खतरा भी सबसे ज्यादा बढ़ता है। बारिश में मच्छरों के काटने से फैलने वाली बीमारियों में मलेरिया एक प्रमुख बीमारी है। मलेरिया संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है।

मलेरिया का मच्छर रूक हुए साफ पानी में पनपता है। इसलिए बारिश के मौसम में आसपास के गड्‌ढों में भरे पानी, पानी की टंकी, गमले, नदी और अन्य जलाशयों के किनारे के गड्‌ढों एवं हैंड पंप के पास रूके हुए पानी, तालाब के किनारे, कूलर, गमलों और पुराने टायरों में भरे पानी में मच्छर पनप सकते हैं।   


मलेरिया के मच्छर को इस तरह पनपने से रोकें : 
इसकी रोकथाम के लिए गड्‌ढों को मिट्टी डालकर भर देना चाहिए। पानी की टंकी, गमलों व टायरों को साफ व सुखाकर रखना चाहिए। घर के आसपास सफाई रखना चाहिए। जिससे मलेरिया फैलाने वाले मच्छर न पनप सकें। इसके अलावा जिन जगहों पर घर के उपयोग के लिए साफ पानी जमा किया हो, वहां मीठा तेल डाल देना चाहिए, जिससे मलेरिया के मच्छर पनप न सकें। 

इस तरह करें खुद का बचाव : 
मलेरिया से बचाव के लिए सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। फुल आस्तीन के कपड़े पहनें। मच्छर से बचने की क्रीम या लिक्विड का इस्तेमाल करें। नीम की पत्तियों का धुंआ करें। यदि कभी मलेरिया के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर की सहायता लें। यदि समय रहते उपचार न लिया गया तो व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। मलेरिया से बचाव के लिए डॉक्टर की सलाह पर समय से लेना चाहिए, जिससे मलेरिया से होने वाले गंभीर परिणामों से बचा जा सके।  

मलेरिया के लक्षण : 
1. ठंड लगकर बुखार आना।
2. पसीना आकर बुखार उतरना।
3. सर दर्द, उल्टी होना
4. गंभीर स्थिति में मरीज को बेहोशी भी होती है। ऐसे लक्षण होने पर डॉक्टर से उपचार लेना चाहिए और खून की जांच करानी चाहिए।

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