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जानलेवा कोरोना : निगेटिव होने के 39 दिन बाद मानव शरीर में मिला कोरोना, फेफड़ों के साथ अन्य अंग कर रहा प्रभावित 

कोविड-19 वायरस पर जैसे जैसे नई रिसर्च हो रही हैं, कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आती जा रही हैं।ऐसी ही एक रिसर्च मप्र की राजधानी भोपाल स्थित एम्स में कोविड संक्रमित शवों (covid infected dead bodies) पर की गई है। इस स्टडी में बताया गया है कि कोरोना वायरस इंसान के शरीर में लंबे समय तक जीवित रह सकता है।

भले ही व्यक्ति की कोविड रिपोर्ट निगेटिव आ गई हो, लेकिन इंसान के शरीर में कोविड वायरस 39 दिन से ज्यादा दिन से ज्यादा तक जिंदा रह सकता है। इसके अलावा कोरोना इंसान के फेफड़ाें के साथ किडनी, लिवर, पैंक्रियाज, ब्रेन और हार्ट पर भी बुरा असर डाल रहा है।

संक्रमित शवों का पोस्टमार्टम करने के बाद जानकारी आई सामने : 
भोपाल एम्स (Bhopal AIIMS) में हुए एक शाेध में यह जानकारी सामने आई है। एम्स भोपाल के निदेशक (Director AIIMS Bhopal) डॉ. सरमन सिंह ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि संस्थान द्वारा पिछले कुछ समय से कोविड संक्रमित शवों का पोस्टमार्टम किया जा रहा था। इस दौरान करीब 21 शवों की अटॉप्सी की गई, जिसमें कुछ हैरान करने और चिंता में डालने वाली जानकारियां सामने आई हैं।

दरअसल पहले यह माना जा रहा था कि कोरोना केवल व्यक्ति के फेफड़ों को डेमेज करता है, लेकिन शवों पर हुए शाेध के बाद पता चला है कि कोरोना वायरस से किडनी, ब्रेन, पैंक्रियाज, लिवर और हार्ट की समस्या भी हो रही है।

मौत के 20 घंटे बाद तक शरीर में जिंदा रहा कोरोना 

डॉ. सरमन सिंह (Dr. Sarman Singh) की मानें तो पिछले साल अगस्त से नवंबर तक 21 कोरोना संक्रमित मरीजों के शवों पर हुई स्टडी में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि व्यक्ति की मृत्यु के 20 घंटे बाद तक कोविड-19 वायरस संक्रमित शरीर में जिंदा रह सकता है। वहीं कोविड रिपोर्ट निगेटिव आने के 39 दिन बाद संक्रमित शरीर के ऊत्तकों में कोविड वायरस पाया गया।

मृतकों में से 45 फीसदी के ब्रेन में कोविड-19 संक्रमण पहुंच गया था, 90 फीसदी फेफड़ों में और इसके अलावा किडनी, लिवर, पैनक्रियाज के संक्रमित होने की बात भी सामने आई है।

देश में पहली बार हुआ पोस्टमार्टम : 
पोस्टमार्टम से पहले संक्रमित व्यक्ति के परिजनों की मंजूरी ली गई और कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए ऑटोप्सी की गई जिसमें 35 फीसदी का पैंक्रियाज सिस्टम बिगड़ गया था। सबसे ज्यादा 90 फीसदी फेफड़े संक्रमित पाए गए। अटॉप्सी के दौरान पता चला कि मरने वाले 20 मरीजों को पहले से ही कई बीमारियां थीं, जबकि एक मरीज को कोरोना से पहले कोई बीमारी नहीं थी। इस तरह की ऑटोप्सी देश में पहले कभी नहीं हुई थी। 

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