Madhya Pradesh

MP News: जानिए कौन है डॉ. जेपी खरे, जिसकी दानवीर कर्ण से हो रही तुलना

MP News: जानिए कौन है डॉ. जेपी खरे

MP के दमोह के रिटायर्ड डॉ. जेपी खरे ने आजीवन लोगों की सेवा करने का प्रण लिया है। कर्ण को विश्व का सबसे बड़ा दानवीर कहा जाता है, लेकिन जन्मभूमि के प्रति अपना समर्पण रखने वाले एक दानवीर दमोह में भी हैं, जिन्होंने अपनी करोड़ों की संपत्ति दान करने के साथ ही अपना शरीर भी दान करदिया है, ताकि छात्र मेडिकल की पढ़ाई कर सकें। यह इंसान आज पूरे क्षेत्र में लोगों के लिए एक प्रेरणा का श्रोत बना हुआ है।

रिटायर्ड होने के बाद भी जनसेवा 

डॉ. जेपी खरे की आयु 83 वर्ष हो गई है। पर आज भी वे अपने रिटायर्ड होने के बाद भी जनहित में काम कर रहे है। वह MP तेंदूखेड़ा से सात किलोमीटर दूर धनगोर गांव के रहने वाले हैं। गांव में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद तेंदूखेड़ा से शिक्षा हासिल की और उसके बाद वह डॉक्टर बने। शासकीय सेवा के दौरान उन्होंने MP के कई जिलों में सेवाएं दी और रियायरमेंट के समय उनका स्थानांतरण हो गया, लेकिन वह जोइन करने नहीं गए और शासकिय नौकरी से इस्तीफा देकर वीआरएस ले लिया। डॉ. खरे ने अपने क्षेत्र के तेंदुखेड़ा में लोक स्वास्थ्य केंद्र का संचालन शुरू कर दिया है।

10 रुपए में किया मरीजों का इलाज

MP News: जानिए कौन है डॉ. जेपी खरे

Credit: Google

स्वास्थ्य केंद्र का संचालन करने के बाद उन्होंने कई वर्षों तक मरीजों का इलाज 10 रुपए में किया और उसके कुछ समय बाद फीस 50 रुपए कर दी। उनका बस चले तो वे मरीजों से फीस ही ना ले पर उनको अपने कर्मचारियों की के वेतन के कारण उन्हे फीस लेनी पड़ती थी।

यदि डॉक्टर जेपी खरे MP के किसी बड़े जिले में अपनी अस्पताल का संचालन करते तो मरीजों को देखने की फीस ही उनकी काफी रहती, लेकिन अपने क्षेत्र के लोगों की सेवा करने का विचार किया और यही बस गए।
इतना ही नहीं जबलपुर और नागपूर के विशेषज्ञ डॉक्टरों को भी ड. खरे तेंदूखेड़ा बुलाते हैं। ताकि लोगों का इलाज यहीं कर सके और उन्हे इलाज के लिए कहीं ओर भटकना ना पड़े।

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कई वर्षों से निशुल्क इलाज कर रहे है

डॉ. खरे कई वर्षों से मरीजों का नि:शुल्क इलाज करते हुए आ रहे हैं। सैकड़ों परिवारों का इलाज उन्होंने निशुल्क किया है। आज भी उनके अस्पताल मे रोज आने वाले मरीजों की संख्या 50 प्रतिशत है। MP के शासकीय नौकरी के रिटायर्मेंट के बाद उन्हे पेंशन मिलती है। लेकिन वह अपनी सारी पेंशन को वर्षों से गायत्री शक्तिपीठ गौशाला में देते आ रहे हैं, जिससे वहां के मवेशियों का भरण पोषण होता रहे और सेवा में लगे कर्मचारियों का वेतन मिल सके।

डॉ. खरे ने अपना सार जीवन समाज की सेवा में लगा दिया है, और उन्होंने अपना देहदान प्रक्रिया को भी MP के  जबलपुर मेडिकल कॉलेज में पूरा कर लिया है। अब वह तेंदूखेड़ा के लोक स्वास्थ्य केंद्र के नाम से संचालित अस्पताल जो पांच बैड के लिए पंजीकृत है उसके मालिकाना हक को भी छोड़ेंगे।

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