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नासा (NASA) के मार्स क्यूरियोसिटी रोवर ने पहली बार मंगल ग्रह पर सूर्य की किरणें कैप्चर किया

मंगल ग्रह

आज दुनिया आसमान से भी आगे निकल गया है और अंतरिक्ष में तरह-तरह की खोज कर रहे हैं। अंतरिक्ष में ग्रहों और उपग्रहों की खोज के लिए कई सैटेलाइट भी भेजे गए, जिसके जरिए इंसान के रहने योग दूसरे ग्रह की भी खोज जारी है। यह खोज मनुष्यों को मंगल ग्रह तक ले गई है, जहां उन्हें मंगल ग्रह के बारे में कई नई चीजे पता चली है। दरअसल, नासा का कहना है कि मार्स क्यूरियोसिटी रोवर ने पहली बार मंगल ग्रह पर “सूर्य की किरणों” को कैप्चर किया है।

NASA ने सूर्य की किरणों को कब कैप्चर किया 

मंगल ग्रह पर किया सूर्य की किरणें कैप्चर

Credit: Google

नासा के क्यूरियोसिटी रोवर से 6 फरवरी को प्राप्त हुए फोटो में मंगल ग्रह पर सूर्य के अस्त होते हुए दिखाई दिया है। नासा ने कहा, यह पहली बार है कि सूर्य की किरणें, जिन्हें क्रिप्शकुलर किरणें भी कहा जाता है, वह मंगल ग्रह पर इतनी स्पष्ट रूप से देखी गई हैं। नासा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर रोवर द्वारा कैप्चर की गई तस्वीरों की एक झलक साझा किया है। फोटो में एक काले चट्टान के ऊपर ग्रे आकाश दिखाई दे रही है, जिसमें लाल और हरे रंग की रौशनी दिखाई दे रही हैं।

इस पल (moment) को रोवर द्वारा कैप्चर किया गया है क्योंकि रोवर ने बादलों के पिछले प्रेक्षणों (observations) के आधार पर एक ट्वाइलाइट क्लाउड सर्वेक्षण (सर्वे) किया। मंगल ग्रह के बादलों की पहले से रिकॉर्ड की गई दृश्य उन्हें पानी की बर्फ से बने और मंगल की सतह से 37 मील ऊपर घूमते हुए दिखाई नहीं दिए। क्यूरियोसिटी द्वारा खींची गई नई फोटो बादलों को “उच्च ऊंचाई पर, जहां यह विशेष रूप से ठंडा है,” दिखाती हैं, नासा ने यह सुझाव देते हुए कहा कि बादल कार्बन डाइऑक्साइड बर्फ या सूखी बर्फ से बने हैं।

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नासा ने कहा एक और फोटो है जो पंख के आकार का इंद्रधनुषी बादल में दिखाता है। इस फोटो को 27 जनवरी को सूर्यास्त के ठीक बाद लिया गया है। यह फोटो वैज्ञानिकों को बादलों के भीतर कणों के आकार के बारे में जानकारी प्रदान करने में मदद करती है। नासा ने कहा दोनों तस्वीरें पैनोरमा के रूप में कैप्चर की गईं, जिनमें से प्रत्येक को पृथ्वी पर भेजी गई 28 फोटो से एक साथ लगे हुए थे। एजेंसी ने कहा, “छवियों को हाइलाइट पर जोर देने के लिए संसाधित किया गया है।

मंगल ग्रह पर किया सूर्य की किरणें कैप्चर

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2021 में किए गए मार्स क्यूरियोसिटी के पिछले क्लाउड सर्वेक्षण में काले और सफेद नेविगेशन कैमरों का इस्तेमाल किया गया था ताकि चलते हुए बादलों की संरचना पर एक विस्तृत नज़र डाली जा सके। नासा ने कहा जनवरी में शुरू हुए सर्वेक्षण रोवर के रंगीन कैमरे का उपयोग कर यह देखने के लिए किया गया है कि क्लाउड कण कैसे होते हैं और समय के साथ बढ़ते हैं या नहीं। वर्तमान सर्वेक्षण मार्च के मध्य में समाप्त होगा।

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मंगल ग्रह से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी 

मंगल ग्रह पर किया सूर्य की किरणें कैप्चर

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नासा ने कहा कि पृथ्वी की तरह ही बादल वैज्ञानिकों को मौसम को समझने के लिए जटिल लेकिन महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। बादल कब और कहां बनते हैं, यह देखकर वैज्ञानिक मंगल ग्रह के वातावरण की संरचना व तापमान और इसके भीतर की हवाओं के बारे में अधिक जान सकते हैं।

नासा ने क्यूरियोसिटी को 2011 में लॉन्च किया गया था और अगस्त 2012 में मंगल ग्रह पर उतरा था। नासा के अनुसार, रोवर का प्राथमिक मिशन मंगल सूक्ष्म जीवों का जीवन संभव है या नहीं, यह निर्धारित करना है। साथ ही इसका उद्देश मंगल ग्रह पर मनुष्यों के रहने योग वातावरण का पता लगाना है। अतीत में, क्यूरियोसिटी ने मंगल ग्रह पर पिछले रहने योग्य वातावरण के प्रमाण पाए हैं और इसने ग्रह पर “प्रमुख जीवन घटक” कार्बन भी पाए है।

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