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मकर संक्रांति 2022: जानिए कहां से आया मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का रिवाज-

14 या 15 जनवरी को पूरा देश मकर संक्राति के रंग में रंग चुका है। मकर संक्रांति भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख फसल त्योहार है और यह सूर्य देव  को समर्पित है। पूरे भारत में मनाया जाने वाले साल के इस पहले त्‍योहार को विभिन्‍न जगह पर मनाने मनाने के तरीके अलग अलग हैं।

विभिन्न राज्य अपनी अनूठी परंपराओं के साथ अलग-अलग नामों से इस त्योहार को मनाते हैं। फसल उत्सव को माघी कहा जाता है और यह हिंदुओं और सिखों द्वारा उत्तर भारत में लोहड़ी के नाम से मनाया जाता है। महाराष्ट्र, गोवा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और तेलंगाना में मकर संक्रांति और पौष संक्रांति, मध्य भारत में संकरात, असम में माघ बिहू, और तमिल में पोंगल के नाम से मनाया जाना वाला यह त्‍यौहार पूरे भारत में बहुत प्रसिध्‍द है।

वहीं दूसरी ओर इस त्‍यौहार पर पतंग उड़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। बच्‍चें हों या बड़े, सभी लोग बड़े चाव से इस त्‍यौहार पर पतंगबाजी करते नजर आते हैं। लेकिन इसके पीछे के कारण की बात की तो बहुत ही कम लोग जानते हैं कि मकर संक्रांति पर पतंग क्‍यो उड़ाई जाती है। आइये जानते हैं मकर संक्रांति पर पतंग उडाने की प्रथा के बारे में।

कहां से आयी पतंग उड़ाने की प्रथा-

यह दिन सर्दियों के अंत का प्रतीक है कुछ मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा चली आ रही है ताकि लोग सूर्य की किरणों के संपर्क में आ सकें। माना जाता है कि सर्दियों में त्वचा के संक्रमण और बीमारियों से छुटकारा मिलता है।

सूर्य की प्रारंभिक किरणों के संपर्क में आना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है क्योंकि यह विटामिन डी का अच्छा स्रोत है।

इसके अलावा, लोगों का यह भी मानना है कि पतंग उड़ाना देवताओं को धन्यवाद देने का एक तरीका है, क्योंकि यह माना जाता है कि देवता छह महीने की अवधि के बाद मकर संक्रांति पर अपनी नींद से जागते हैं।

हिन्‍दू पुराणों के अुनसार पतंग उड़ाने की प्रथा-

हिन्‍दू पुराणों की माने तों तमिल की तन्दनान रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम ने पतंग उड़ाने की परंपरा शुरू की थी। तब से ही इस दिन पतंग उडाकर भगवान राम की इस परंपरा को लोग आगे बढ़ाते हैं।  

राजस्‍थान और गुजरात मे सबसे ज्‍यादा उड़ाई जाती है पतंग

पतंगबाजी को देश के विभिन्न हिस्सों में देखा जा सकता है, लेकिन ज्यादातर गुजरात और राजस्थान में बड़े उत्साह के पतंगबाजी का प्रोगाम देखने को मिलता है।

मकर संक्रांति से महीनों पहले, लोग गुजरात में अपने घरों पर पतंग बनाना शुरू करते हैं। इस कार्यक्रम को गुजरात में अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। अहमदाबाद 1989 से अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव की मेजबानी कर रहा है। इस खुशी के अवसर के लिए भारत और अन्य देशों के पर्यटक गुजरात आते हैं। और पतंग बाजी का आनंद उठाते हैं।

आज के दिन हजारों रंगीन पतंगे आसमान पर छा जाती है जोधपुर और उदयपुर जैसे सुंदर शहरों में पतंगबाजी की रोनक देखने का अलग ही आनंद है।

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