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आकाशीय बिजली के कारण एक ही साल में हुईं 168 फीसदी ज्यादा मौतें, जानें क्या है इसका कारण 

जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण दुनियाभर के मौसम में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही मौसम के कुछ ऐसे भागों पर भी परिवर्तन की लहर देखने को मिल रही है, जिनके बारे में इंसान ने कभी ज्यादा उम्मीद नहीं की होगी। मौसम विज्ञानियों की मानें तो हाल ही के दिनों में जलवायु संकट ने बिजली गिरने की घटनाओं को और भी ज्यादा खौफनाक बना दिया है।

ऐसे तो बिजली गिरना कोई नहीं बात नहीं, लेकिन हाल ही के दिनों में देखने काे आ रहा है कि बिजली गिरने की घटनाएं पहले से ज्यादा खतरनाक साबित हो रही हैं। जुलाई 2021 में यूपी के अलग अलग जिलों में आकाशीय बिजली गिरने से 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इसी दौरान राजस्थान में 20 से ज्यादा लोग असमय ही काल के गाल में समां गए।

बताया जाता है कि आमेर के किले के किसी वॉच टॉवर पर खड़े होकर मोबाइल से फोटोग्राफी कर रहे 12 से ज्यादा लोग एक सेकेंड के अंदर ही आकाशीय बिजली की चपेट में आकर झुलस गए थे। साथ ही कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए थे। 

बिजली गिरने की घटनाओं में लगातार हो रहा है इजाफा : 

पर्यावरण में हो रहे बदलावों पर अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों की मानें तो जलवायु संकट (Climate Crisis) ने दुनिया भर में आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं को एक बड़ी प्राकृतिक आपदा की रूप में स्थापित कर दिया है। इसमें सबसे खतरनाक पहलू यह है कि दुनिया भर में बिजली गिरने की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। पर्यावरण संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एंवायरमेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं में अचानक ही तेजी आई है।

रिपोर्ट की मानें तो 2020 की तुलना में बिजली गिरने की घटनाओं में  34 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल 2019 से मार्च 2020 के दौरान आकाशीय बिजली गिरने की की एक करोड़ 38 लाख घटनाएं हुई थीं। जबकि मार्च 2020 से लेकर अप्रैल 2021 के एक करोड़ 85 लाख बार आकाशीय बिजली धरती पर गिरी है। 

मौतों के मामले में भी भारी भरकम इजाफा : 
संस्था की रिपोर्ट की मानें तो केवल साल भर के अंदर 1697 लोगों की मौत आकाशीय बिजली ( Lightning) की चपेट में आने से हुई है। आंकड़ों की मानें तो जहां आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं में केवल एक साल में 34 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं आकाशीय बिजली से होने वाली मौतों में 168 फीसदी का भारी भरकम  इजाफा हुआ है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक 2012 से 2019 के बीच भारत में 21,572 लोगों की मौत आकाशीय बिजली गिरने के कारण हुई है।

लेकिन केवल साल भर में आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं में इतना बड़ा अंतर आखिर कार क्यों आया है। इस मामले में दुनिया भर की रिसर्च तापमान में आए बदलाव को इसका जिम्मेदार मान रही हैं।

इस कारण पूरी दुनिया में हो रहा है लगातार वज्रपात :  

दुनिया भर में हाे रहे इस वज्रपात का सीधा संबंध ग्लोबल वार्मिंग से है। अमेरिका स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी (University of California) के 2015 में हुए एक शोध की मानें तो वैश्विक तापमान में 1 डिग्री सेल्सियस की औसत बढ़ोत्तरी के कारण आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं में 12 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हो सकती है। वहीं बिजली गिरने की घटनाओं से जंगलों में आग लगने और बिजली       
वर्ष 2015 में प्रकाशित अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के एक शोध के मुताबिक वैश्विक तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की औसत बढ़ोतरी के चलते आकाशीय बिजली की घटनाओं में 12 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है। साथ ही इससे एक खतरनाक चक्र की भी शुरुआत हुई है, जैसे जंगलों की आग से ऐसे बादल बनना जिनसे बिजली गिरती है। फिर बिजली गिरने से आग लगना ऑस्ट्रेलिया के जंगलों के एक बड़े हिस्से को ऐसी ही घटनाओं ने झुलसाया है।

अभी जब कनाडा बेहद असामान्य गर्मियों का सामना कर रहा था। जब उसके वायुमंडल पर गर्मी का एक गुंबद जैसा (हीट डोम) बन गया था, जब वहां के एक गांव लिटन में अधिकतम तापमान 49.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, उस समय केवल एक दिन में आकाशीय बिजली (Lightning) की सात लाख से ज्यादा घटनाएं हुईं।

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