Siddique Kappan। लखनऊ की जेल में बंद केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की जेल से रिहाई हो गई चुकी है। वे गुरुवार को सुबह के वक्त जेल से बाहर निकले। लखनऊ हाईकोर्ट ने सिद्दीकी कप्पन को 23 दिसंबर को कुछ शर्तों के साथ जमानत दी थी। हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद पीएमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश संजय शंकर पांडे ने कप्पन को एक-एक लाख रुपये की दो जमानतें और इसी धनराशि का मुचलका दाखिल करने पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।
Siddique Kappan ऐसे हुए गिरफ्तार
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से संबंध रकने के आरोप में लखनऊ की जेल में बंद केरल के कथित पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की गुरूवार को 28 महीने बाद रिहाई हो गई। जेल से बाहर निकलते ही कप्पन ने कहा कि वह हाथरस में रिपोर्टिंग करने गए थे। उनके पास सिर्फ दो पेन और एक नोटबुक था। इसके बावजूद पुलिस ने उनको टैक्सी चालक के साथ गिरफ्तार कर लिया था।
कप्पन का आरोप है कि जमानत मंजूर होने के बाद भी उसे जेल में रखने के लिए जमानतदारों के सत्यापन में देरी की गई। पता नहीं पुलिस उसे जेल में क्यों रखना चाहती है। उसने कहा कि मेरे जेल में रहने से किसी को क्या फायदा है मुझे नहीं पता। लेकिन, न्याय की जीत हुई।
खुद को बेगुनाह कहते हुए Siddique Kappan का कहना है कि उसके खाते से कोई लेनदेन नहीं हुआ। पुलिस व ईडी ने उस पर मनी लांड्रिंग सहित फर्जी मुकदमे दर्ज किए है। लिहाजा खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए वह आखिरी दम तक लड़ाई लडेगा। उधर, जेल के बाहर मौजूद उसकी पत्नी रिहाना और बेटा मोहम्मद मुजम्मिल उसे देखकर काफी भावुक हो गए। दोनों कप्पन से लिपटकर रोने लगे।
कप्पन ने रिहाई के दौरान जेल प्रशासन पर धमकाने का आरोप भी लगाते हुए कहा कि बाहर जाकर आगर कुछ बोला तो फिर से जेल में डाल दिये जाओगे। हालांकि जेल प्रशासन ने कप्पन के आरोप को गलत ठहराया है।
PFI से कोई नाता नहीं
सिद्दीकी कप्पन ने कहा कि उसका पीएफआई से कोई रिलेशन नहीं है। उसके अकाउंट से कोई बड़ा लेनदेन नहीं हुआ है और न ही उसके खाते में कहीं से पैसे आए हैं। हाथरस मामले में दूसरे पत्रकारों की तरह वह भी कवरेज करने गया था। उसने कहा कि उसके मोबाइल में कांग्रेस, बीजेपी सहित कई पार्ट्रियों के कई नेताओं के मोबाइल नंबर थे।
यहां अरेस्ट
चर्चित हाथरस कांड के दौरान कथित पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को गिरफ्तार किया गया था। कप्पन पर हवाला से धन प्राप्त कर के देश विरोधी कामों सहित अन्य आरोपों को ध्यान में रखते हुए ईडी ने कप्पन पर कार्रवाई की थी।
जांच के दौरान पाया गया था कि सिद्दीकी कप्पन, अतिकुर रहमान, मसूद अहमद और मोहम्मद आलम को यूपी पुलिस ने 7 अक्टूबर 2020 को रिपोर्ट दर्ज कर उस समय गिरफ्तार किया था, जब वह साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने, दंगे भड़काने और आतंक फैलाने हाथरस जा रहे थे।
ऐसा कहा गया कि आरोपी सिद्दीकी कप्पन PFI के मुखपत्र तेजस डेली में काम करता था। साथ ही आरोपी को 2015 में दिल्ली में दंगे करने के लिए नियुक्त किया गया था। विवेचना से यह पता चला कि पीएफआई के सदस्य रऊफ व अन्य सदस्यों को एक षडयंत्र के तहत विदेश से 1 करोड़ 38 लाख रुपए दिए गए थे।
पुलिस ने बना दिया PFI का सचिव- कप्पन
कप्पन ने जेल से छूटने पर कहा कि पत्रकारिता एक गतिविधि है न कि अपराध। शायद यहां पत्रकार को फ्रीडम नहीं है। मैं हाथरस में कवरेज करने गया था, लेकिन पुलिस ने मुझे पीएफआई का सचिव बना दिया। इसके बाद 28 महीने की जेल काटी, करियर और मां को खोया। कप्पन ने कहा कि आरोपों के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा।
भावुक हुआ कप्पन
Brief chat with Siddique Kappan post his release from Lucknow jail. pic.twitter.com/bzL0jw4JCf
— Piyush Rai (@Benarasiyaa) February 2, 2023
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भावुक होकर Siddique Kappan ने बताया कि बेटा केरल के प्रियदर्शनी कॉलेज में बीसीए सेकेंड ईयर का स्टुडेंट है। उसकी पढ़ाई प्रभावित हुई तो पत्नी रिहाना को भी खर्च के लिए संघर्ष करना पड़ा। उसने बताया कि जेल में रहने के दौरान उसे भाषा की परेशानी से जूझना पड़ा। उसे जिला जेल की हाता 6 की बैरक नंबर 39 में बंद रहने के दौरान मुकदमें से जुड़ी जानकारी नहीं मिल पाती थी।
मलयालम में परेशानी के चलते उसने अंग्रेजी वाला रायटर दिलाने के लिए जेल प्रशासन से गुहार लगाई। इस पर वरिष्ठ जेल अधीक्षक आशीष तिवारी ने जेलर व डिप्टी जेलर को निगरानी में लगाने के साथ परेड में उसकी परेशानी सुनी और समाधान का आश्वासन दिया।
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