Delhi

Indian Railways ने इसरो की मदद से रचा एक नया इतिहास, इस सैटेलाइट से मिलती है रेलवे को यह सुविधा!!

Indian Railways

Indian Railways Real Time Train Information: अगर कहीं जाना है तो आप गूगल मैप जैसी विदेशी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। भारत अब तकनीक क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहा है।

ऐसे में करोड़ों लोगों की लाइफ भारतीय रेलवे (Indian Railways), इसरों की सहायता से न सिर्फ ट्रेन की रियल टाइम लोकेशन जान रहा है, बल्कि अपने लिए भविष्य की रणनीति भी बना रहा है।

रेलवे अपनी चुनौतियों के देखते हुए इसरो (ISRO) के साथ नई शुरुआत की है। इस सिस्टम का इस्तेमाल रेलवे के मूलभूत ढ़ांचे में सुधार से आए बदलाव और विकास की कहानी कैसे लिख रहा है, जानते हैं…

CRIS की भूमिका (Indian Railways)

सेंटर फॉर रेलवे इनफॉरमेंशन सिस्टम यानी CRIS देशभर में चल रही सभी ट्रेनों पर पैनी नजर रखने के लिए इसरो के सेटेलाइट का इस्तेमाल कर रही है. इसरो के NAVIC का इस्तेमाल ट्रेनों की पॉजीशन जानने के लिए किया जा रहा है।

Indian Railways

Credit- Google

इसके लिए भारतीय रेलवे (Indian Railways) की सभी ट्रेनों में एक खास तरीके का उपकरण लगाया गया है जो सीधे-सीधे इसरो के सेटेलाइट के जरिए भारतीय रेलवे को सटीक जानकारी भेजता है।

यह सिस्टम कैसे काम कर रहा है और इस‍के ‍क्या फायदे हैं, इसकी जानकारी स्वयं CRIS के मैनेजिंग डायरेक्टर डी के सिंह से मीडिया साथ साझा की है। (Indian Railways)

इस तरह मिलती है हर हल अपडेट

पहले ट्रेन के बारे में बस स्टेशन टू स्टेशन जानकारी मिलती थी और बीच में ट्रेन के साथ क्या हो रहा है, इसके बारे में जानकारी नहीं मिल पाती थी। अब इस गैप की सही जानकारी जुटाने के लिए भारतीय रेलवे ने इसरो से बैंड विथ लिया है।

रेलवे ने अपने सिस्टम को अपग्रेड किया है, इसके लिए नाविक (NAVIC) और भुवन सेटेलाइट का सहारा लिया गया। अब प्रत्येक रेलगाड़ी में यह डिवाइस का उपयोग किया जा रहा है।

Indian Railways

Credit- Google

इसमें एक सिम (SIM) फिट होती है, जिससे रेल का सही समय और स्थिति सेटेलाइट पर जाती है। इसके बाद वहां से रेलवे अधिकारियों को फीडबैक मिलता है। इससे लगभग हर तीन सेकेंड में ट्रेन की पुख्ता जानकारी मिलती है।

आपातकालीन ‍परिस्थितियों में मदद

इमरजेंसी की स्थिति में जैसे- प्राकॄतिक आपदा (लैंड स्लाइड या बाढ़) की चुनौती में यदि ट्रेन में मौजूद लोगों तक कोई मदद पहुंचानी है, तो सही लोकेशन मिल जाती है। ‍

इससे‍ डिजास्टर मैनेजमेंट का कार्य भविष्य में आसानी से संभव हो सकेगा। आज करोड़ों लोगों के सेफ ट्रेवल और मालगाड़ी से बिजनेस कंसाइनमेंट को देशभर में पहुंचाने के अलावा बॉर्डर के इलाके में राशन और ‍हथियार पहुंचाने में भी रेलवे की बढ़ी भागीदारी है।

Indian Railways

Credit- Google

ट्रेनों के माध्यम से फौज की टु‍क‍डियां भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने में सरलता हो रही है। ऐसे संवेदनशील और गोपनीय कार्यवाही के ‍लिए ये तकनीक बड़ी कारगर साबित हो रही है।

15 महीनों में पूरा होगा काम

क्रिस के एमडी के मुताबिक ट्रेनों में स्थापित किया गया पूरा सिस्टम स्वदेशी है। यह आने वाले 15 महीनों में देशभर की सभी ट्रेनों में स्थापित हो जाएगा।

Indian Railways

Credit- Google

करीब 8700 लोकोमोटिव में ये सिस्टम स्थापित किया जाना है, जिसमें करीब 4000 हजार गाडि़यों में इसे लगा दिया गया है। 4700 गाडियों में अभी इसे लगाया जाना बाकी है। वहीं जो नए लोकोमोटिव बनकर आ रहे हैं, उनमें ये सिस्टम पहले से ही स्थापित हैं।

प्लानिंग और डिसीजन मेकिंग

इसकी मदद से रेवले मानव रहित फाटकों पर हो रहीं अकस्मात् दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा। रेवले का कहना है कि अपने सभी ऐप के द्वारा उन्हें जो भी सूचना डाटा के रूप में प्राप्त होती है उसका विश्लेषण करके भविष्य की रणनीति बनाई जा सकती है। (Indian Railways)

Also Read: IRCTC Ask Disha 2.0 से बोलने से टिकट होगा बुक, जानें पूरी जानकारी…

रेलवे में AI का इस्तेमाल

ट्रेन की कोच संख्या बढ़ानी हो या किसी रूट पर गाडि़यों के फेरे बढ़ाना एआई का यूज किया जाने लगा है। आपातकालीन स्थिति में ट्रेन का रूट डायवर्ट करने जैसे कठिनतम कामों के लिए भी इस तकनीक का सहारा लिया जा रहा है।

Indian Railways

Credit- Google

दिन-प्रतिदिन सूचना भंडारण और भविष्य की रणनीति दोनों में ही एआई (AI) का उपयोग हो रहा है। इस तकनीक से रेल अधिकारी यह जानकारी लगा सकते हैं कि किस अवसर पर और किस स्थान पर कहां कितनी भीड़ है?

रेलवे ट्रेक में सेंसर लगाने का काम किया जा रहे है। इससे ट्रेक में कोई गड़बड़ी आने पर जो अकस्मात् दुर्घटनाएं होती हैं, उनमें कमी आएगी। (Indian Railways)

Also Read: IRCTC may soon launch a voice-based e-ticket booking feature

Share post: facebook twitter pinterest whatsapp