Top News

India’s Most Haunted Place: भानगढ़ के किले का वो रहस्‍य जिससे ये हमेशा के लिए बन गया भूतिया किला

दुनिया में ऐसी बहुत सी जगह है जहां दावा किया जाता है कि आज भी वहां भूतों का साया है। ऐसी ही एक जगह भारत के राज्य राजस्थान में स्थित है। राजस्थान को किलों का गढ़ कहा जाता है। यहां हर एक किले का अपना एक अलग महत्व है। ऐसा ही एक किला है ‘भानगढ़ का किला’, जिसको भूतिया महल के नाम से जाना जाता है। इस किले में कोई भी सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद नहीं जाता और जो जाता वो वापस नहीं आ पाता है।

क्यों कहा जाता है भानगढ़ किले को भूतिया महल..?

स्थानीय लोगों और पर्यटकों का कहना है कि उन्होंने यहां बहुत सी आसामन्य घटनाएं घटित होती देखी है। इसलिए ये किला भूतिया किस्सों की वजह से ज्यादा चर्चा में रहता है। लोगों का कहना है कि इस किले में कोई नहीं रहता है इसके बावजूद यहां अजीब-अजीब अवाजें सुनाई देती है। एक औरत के चिल्लाने, चूड़ियां तोड़ने और रोने की भी आवाजें सुनाई देती है। साथ ही उनका कहना है कि इस किले से संगीत की आवाजें भी आती हैं और कभी-कभी यहां किसी के होने की परछाइयां भी नजर आती है। जबकि कुछ लोगों ने यहां महसूस किया है कि कोई उनका पीछा कर रहा है। हालांकि ये कहानियां मनगढ़ंत हैं या असल, इस बारे में तो कोई कुछ नहीं कह सकता।

आइए अब जानते हैं कि इस किले को लेकर प्रचलित कहानियों के बारे में-

तप्सवी बालूनाथ ने दिया था श्राप-

इस किले के भूतिया होने के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं, जिसमें से एक कहानी के अनुसार माना जाता है कि ये किला एक तांत्रिक के श्राप की वजह से बर्बाद हुआ है। भानगढ़ किले का निर्माण गुरु बालूनाथ की स्वीकृति प्राप्त करने के बाद किया गया था, जो कि एक तपस्वी थे। गुरू बालूनाथ को ध्यान में रहना बेहद पसंद था। उन्होंने अपनी स्वीकृति इस शर्त पर दी थी कि इस महल की छाया उनके प्रार्थना स्थल पर नहीं पड़नी चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो ये महल तहस-नहस हो जाएगा और फिर जब महल का निर्माण पूरा हुआ, उसकी छाया संत के प्रार्थना स्थल पर पड़ गई और भानगढ़ का ये किला उसी समय तहस नहस हो गया था। संत के क्रोध को झेलने के बाद, भानगढ़ तुरंत एक शापित किले में बदल गया। हैरानी की बात तो यह है कि बालूनाथ का तपस्या स्थल अभी भी खंडहर अवस्था में देखा जा सकता है।

जादूगर सिंघिया ने दिया था श्राप-

बताया जाता है कि एक समय में भानगढ़ की राजकुमारी रत्‍नावती थी जो कि अपने नाम के ही अनुरूप बेहद खुबसुरत भी थी। जिस कारण उनके रूप की चर्चा पूरे भारत में थी और देश के कोने-कोने के सभी राजकुमार उनसे विवाह करने के इच्‍छुक थे। राजकुमारी रत्‍नावती की उम्र महज 18 वर्ष ही थी। एक दिन राजकुमारी अपनी सखियों के साथ बाजार में निकली और एक इत्र की दुकान पर पहुंची। वो इत्रों को हाथों में लेकर उसकी खुशबू ले रही थी। उसी समय उस दुकान से कुछ ही दूरी पर एक सिंघीया नाम का व्‍यक्ति खड़ा होकर उन्‍हे बहुत ही गौर से देख रहा था।

सिंघीया उसी राज्‍य में रहता था और वो काले जादू का महारथी था। ऐसा बताया जाता है कि वो राजकुमारी के रूप का दिवाना था और उनसे प्रगाण प्रेम करता था। वो किसी भी तरह राजकुमारी को हासिल करना चाहता था। इसलिए उसने उस दुकान के पास आकर एक इत्र के बोतल खरीदी जिसे रानी पसंद कर रही थी उसने उस बोतल पर राजकुमारी के वशीकरण के लिए काला जादू कर दिया था।

राजकुमारी रत्‍नावती ने उस इत्र के बोतल को उठाकर वही पास के एक पत्‍थर पर पटक दिया। पत्‍थर पर पटकते ही वो बोतल टूट गया और सारा इत्र उस पत्‍थर पर बिखर गया। फिर वो पत्‍थर फिसलते हुए उस तांत्रिक सिंघीया के ऊपर जा गिरा जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। मरते-मरते तांत्रिक ने शाप दिया कि इस किले में रहने वालें सभी लोग जल्‍द ही मर जायेंगे और वो दोबारा जन्‍म नहीं ले सकेंगे और उनकी आत्‍माएं हमेशा इस किले में भटकती रहेंगी।

तांत्रिक के मौत के कुछ दिनों के बाद ही भानगढ़ और अजबगढ़ के बीच युद्ध हुआ जिसमें किले में रहने वाले सारे लोग मारे गए। यहां तक की राजकुमारी रत्‍नावती भी उस शाप से नहीं बच सकी और उनकी भी मौत हो गई। एक ही किले में एक साथ इतने कत्‍लेआम हुए की उनकी अवाजें वहां आज भी सुनाई देती थी।

तो ये थी वो दोनों कहानियां जिन पर लोग आज भी यकिन करते हैं और रात में वहां जाने से कतराते हैं।

यह भी जरूर पढें – मौत से खेलने के बराबर है भारत की इन 7 डरावनी जगहों पर जाना 

भानगढ़ किला किसने, कहां और कब बनवाया..?

भानगड़ किला 17वीं शताब्‍दी में बनवाया गया था। इस किले का निर्माण राजस्थान के अलवर जिले में मान सिंह के छोटे भाई राजा माधो सिंह ने करावाया था। राजा माधो सिंह उस समय अकबर के सेना में जनरल के पद पर तैनात थे। उस समय भानगड़ की जनसंख्‍या तकरीबन 10,000 थी। भानगढ़ अल्‍वर जिले में स्थित एक शानदार किला है जो कि बहुत ही विशाल आकार में तैयार किया गया था।

चारों तरफ से पहाड़ों से घिरे इस किले में बेहतरीन शिल्‍पकलाओ का प्रयोग किया गया है। इसके अलावा इस किले में भगवान शिव, हनुमान आदी के बेहतरीन और अति प्राचिन मंदिर विध्‍यमान है। इस किले में कुल पांच द्वार हैं और साथ-साथ एक मुख्‍य द्वार भी है। इस किले में दृण और मजबूत पत्‍थरों का प्रयोग किया गया है जो अति प्राचिन काल से अपने यथा स्थिती में पड़े हुए है।

यह भी जरूर पढें – आइए जानें दिल्ली की खूनी नदी का रहस्य जो बनी कई अज्ञात मौतों की वजह…….

Share post: facebook twitter pinterest whatsapp