Vikram Samvat 2080: हिंदू कैलेंडर का नया वर्ष विक्रम संवत 2080 की आज यानि 22 मार्च से शुरुआत हो रही है। अंग्रेजी कैलेंडर के वर्ष 2023 से हिंदू विक्रम संवत 2080 कुल 57 वर्ष आगे होगा। आज से ही चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से 9 दिनों तक देवी दुर्गा की उपासना का महापर्व भी आरंभ हो जाएगा।
संवत्सर का नाम नल (Vikram Samvat 2080)
Vikram Samvat 2080: हर साल चैत्र प्रतिप्रदा तिथि से नया विक्रम संवत शुरू हो जाता है। हिंदू कैलेंडर का पहला महीना चैत्र और आखिरी महीना फाल्गुन होता है। वहीं, इस बार संवत्सर का नाम नल होगा, राजा बुध ग्रह होंगे और मंत्री शुक्र ग्रह होंगे। आइए आज के इस विशेष रिपोर्ट में आपको बताते हैं हिंदू विक्रम संवत 2080 से जुड़ी कुछ खास बातें…
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हिंदू नववर्ष से जुड़ी 10 खास बातें
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1- गणितीय नजरिए से एकदम सटीक
बता दें कि विक्रम संवत की शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने शुरू किया था। राजा विक्रमादित्य ने अपनी विक्रम संवत के शुरू होने पर अपनी जनता के सभी कर्जों से राहत प्रदान की थी। विक्रम संवत हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू हो जाती है।
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इस संवत को गणितीय नजरिए से एकदम सटीक काल गणना माना जाता है। विक्रम संवत को राष्ट्रीय संवत माना गया है। नए विक्रम संवत के शुरूआत होने पर देश के अलग-अलग स्थानों पर इसके अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
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2- “तमसो मां ज्योतिर्गमय्” है आधार
Vikram Samvat 2080: चैत्र महीना हिंदू नववर्ष का पहला महीना होता है यह होली के बाद शुरू हो जाता है। यानी फाल्गुन पूर्णिमा तिथि के बाद चैत्र कृष्ण प्रतिपदा लग जाती है फिर भी उसके 15 दिन बाद नया हिंदू नववर्ष क्यों मनाया जाता है?
दरअसल इसके पीछे क्या तर्क है कि हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष पूर्णिमा से अमावस्या तिथि के 15 दिनों तक रहता है और कृष्ण पक्ष के इन 15 दिनों में चंद्रमा धीरे-धीरे लगातार घटने के कारण पूरे आकाश में अंधेरा छाने लगता है। सनातन धर्म का आधार हमेशा अंधेरे से उजाले की तरफ बढ़ने का रहा है यानि “तमसो मां ज्योतिर्गमय्”।
इसी वजह से चैत्र माह के लगने के 15 दिन बाद जब जब शुक्ल पक्ष लगता है और प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष मनाया जाता है। अमावस्या के अगले दिन शुक्ल पक्ष लगने से चंद्रमा हर एक दिन बढ़ता जाता है जिससे अंधकार से प्रकाश की समय आगे बढ़ता है।
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3- गणितज्ञ भास्कराचार्य ने की गणना
चैत्र माह की प्रदिपदा तिथि पर ही महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, माह और वर्ष की गणना करते हुए हिंदू पंचांग की रचना की थी। इस तिथि से ही नए पंचांग प्रारंभ होते हैं और वर्ष भर के पर्व, उत्सव और अनुष्ठानों के शुभ मुहूर्त निश्चित होते हैं।
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4- पौराणिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इस वजह से भी चैत्र प्रतिपदा तिथि का इतना महत्व है।
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5- सतयुग का प्रारम्भ
इसी दिन से नया संवत्सर भी आरंभ हो जाता है इसलिए इस तिथि को नवसंवत्सर भी कहते हैं। सभी चारों युगों में सबसे पहले सतयुग का प्रारम्भ इसी तिथि यानी चैत्र प्रतिपदा से हुआ था। यह तिथि सृष्टि के कालचक्र प्रारंभ और पहला दिन भी माना जाता है।
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6- बाली का वध
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर भगवान राम ने वानरराज बाली का वध करके वहां की प्रजा को मुक्ति दिलाई। जिसकी खुशी में प्रजा ने घर-घर में उत्सव मनाकर ध्वज फहराए थे।
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7- मनाए जाते हैं कई पर्व
हिंदू नववर्ष को महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा तथा आंध्र प्रदेश में उगादी पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। आज ही के दिन भगवान झूलेलाल की जयंती, चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ इत्यादि पर्व मनाए जाते हैं।
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8- मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा
चैत्र प्रतिपदा नवरात्रि पर शक्ति की आराधना की जाती है जहां पर मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है। नवमी तिथि पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्मोत्सव और फिर चैत्र पूर्णिमा पर भगवान राम के सबसे प्रिय भक्त हनुमान की जयंती मनाई जाती है।
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9- ये रहे विक्रम संवत के 12 महीने
(Vikram Samvat 2080): हिंदू कैलेंडर में कुल 12 माह होते हैं जो इस प्रकार है। चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन।
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10- महीनों के नाम के आधार
हिंदू कैलेंडर के सभी महीने नक्षत्र के नाम पर रखे गए हैं। पूर्णिमा तिथि पर जो नक्षत्र रहता है उसी नक्षत्र के नाम पर हिंदी महीनों के नाम रखे गए हैं। जैस चैत्र का महीना चित्रा नक्षत्र के नाम पर रखा गया इसी प्रकार वैशाख विशाखा के नाम पर, ज्येष्ठ ज्येष्ठा नक्षत्र के नाम पर। इसी तरह सभी 12 हिंदू महीनों का नाम नक्षत्रों के नाम रखा गया है।