1990 के दशक में Gulshan Grover एक लोकप्रिय खलनायक थे। वह बहुत प्रसिद्ध थे, और उनकी लोकप्रियता कभी-कभी नायकों के साथ प्रतिस्पर्धा करती थी। गुलशन ग्रोवर ने हाल ही में अपने करियर के बारे में बात की, और उन्होंने कहा कि यह बहुत सफल रहा लेकिन इसका उनके परिवार पर भी काफ़ी नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
बताया करियर से जुड़े कई राज
Gulshan Grover ने मनोरंजन उद्योग में अपने करियर के बारे में मनीष पॉल से बात की। उन्होनें कहा कि पहले उनके कुछ दोस्तों और परिवार को उनके ऑनस्क्रीन व्यक्तित्व को वास्तविक जीवन से संबंधित करना मुश्किल लगा। उन्होंने समझाया कि, जैसे-जैसे दर्शकों ने यह देखना शुरू किया कि वह वास्तव में कैसे हैं, उन्होंने गुलशन को उनकी फिल्मों के बुरे आदमी के रूप में सोचना बंद कर दिया।
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Gulshan Grover ने आगे बताया की एक बार उन्हे एक फिल्म निर्माता ने बुलाया और निर्माता की फिल्म में मुख्य भूमिका की पेशकश की। हालांकि, भूमिका की पेशकश तभी की गई जब ग्रोवर ने निर्माता की फिल्म समाप्त होने तक कोई अन्य नेगेटिव भूमिका नहीं ली।
Gulshan Grover को की गयी फँसाने की कोशिस
Gulshan Grover ने कहा कि उन्हें फंसाने और रोकने के लिए यह इंडस्ट्री में उनके प्रतिद्वंद्वियों की एक चाल थी। उन्होंने इसके लिए उस प्रोड्यूसर को मोटा पैसा भी खिलाया था। गुलशन ग्रोवर ने वह घटना याद करते हुए कहा, ‘मेरा इंडस्ट्री में सिर्फ एक प्रतिद्वंद्वी नहीं था। कई सारे थे और उन्होंने उस फिल्म के प्रोड्यूसर को पैसे खिलाए थे। लेकिन उस फिल्म के ऑफर से पहले मैंने कई ऐसी फिल्में रिजेक्ट की थीं, जिनमें मुझे हीरो के रोल ऑफर किए गए थे।
नेगेटिव किरदार की वजह से परिवार को सुनने पड़ी ये बाते
इस शो में Gulshan Grover ने खुद के घर से जुड़ी एक कहानी सुनाई, उन्होने कहा की “मैं आपको अपने परिवार के बारे में एक कहानी सुनाता हूं। मेरी फिल्म अवतार अभी रिलीज हुई थी। मेरी दिवंगत मां रोज गुरुद्वारे जाती थीं और मैं उनके साथ जाता था। एक दिन गुरुद्वारे के बाहर सबने उन्हें घेर लिया। उन्होंने उनसे पूछा, ‘तेरे लड़के को क्या हुआ है? वह इतना अच्छा लड़का था, वह अपने बड़ों का सम्मान करता था, उसने अपने माता-पिता को छोड़ दिया था। मेरी मां ने उन्हें यह बताने की कोशिश की कि मैं सिर्फ एक अभिनेता हूं, लेकिन उस समय कैरेक्टर्स और एक्टर्स के बीच कोई अंतर नहीं था।
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वो लोग मेरी माँ से पूछने लगे की, ‘क्या वह अब भी तुमसे बात करता है?’ उन्होंने उन सभी लोगों से कहा कि मैं उन्हें रोज खत लिखता हूं। सचमुच शोक सभा जम गयी थी। वे बहुत परेशान थे। उन्हें लगा कि दिल्ली से निकलने के बाद मैं रास्ता भटक गया हूं।”
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