FCRA LICENSE: गृह मंत्रालय ने कानूनों के उल्लंघन पर सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च थिंक-टैंक का FCRA का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है।
गृह मंत्रालय ने कानूनों के उल्लंघन पर बुधवार यानी (1 मार्च) को ‘सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च’ थिंक टैंक (FCRA) का लाइसेंस रद्द कर दिया है। PTI ने अधिकारियों के हवाले से कहा की आयकर विभाग (IT) की ओर से CPR परिसर में सर्वेक्षण किए जाने के महीनों के बाद गृह मंत्रालय ने CPR के FCRA लाइसेंस को रद्द कर दिया गया है।
FCRA LICENSE: मामलें की चल रही है जांच
FCRA LICENSE: विदेशी अंशदान विनिमय अधिनियम के तहत दिए गए लाइसेंस के रद्द होने के साथ, CPR इससे विदेश से धन प्राप्त नहीं कर पाएगा।अधिकारियों ने बताया कि लाइसेंस निलंबित करने के बाद जांच चल रही है और छह महीने के भीतर ही आगे के फैसले लिए जा सकेंगे।
6000 से ज्यादा NGO के लाइसेन्स रद्द किए गए
FCRA LICENSE: एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, कई गैर सरकारी संगठन के समीक्षा और नवीनीकरण आवेदन अभी भी प्रक्रिया में है, और पिछले छह माह में अब तक कई लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं, या समाप्त कर दिए गए हैं।
The Centre has suspended the Foreign Contribution Regulation Act (FCRA) licence of 'public policy think tank' Centre for Policy Research (CPR): Sources pic.twitter.com/qv3CWEKbkm
— ANI (@ANI) March 1, 2023
इस साल के शुरुआत में ही 6000 से ज्यादा NGO है, जिनके लाइसेंस को रद्द कर दिया गया है। उन्होंने राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खट खटाया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलीलों को खारिज कर दिया है।
NGO को गृह मंत्रालय के साथ कराना होगा Registration
FCRA LICENSE: देशी अनुदान प्राप्त करने के लिए, एनजीओ को गृह मंत्रालय के साथ पंजीकृत होना चाहिए, जो हर पांच साल में नवीनीकृत होने के लिए एक अद्वितीय FCRA पंजीकरण संख्या प्रदान करता है। MHA ने पिछले साल सितंबर में सभी गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के एफसीआरए पंजीकरण की वैधता को 31 मार्च, 2023 तक बढ़ा दिया था।
एफसीआरए पंजीकरण हर पांच साल में नवीनीकृत किए जाते हैं और बड़ी संख्या में एनजीओ अक्टूबर 2021 में नवीनीकरण के पात्र बन गए। सितंबर 2020 में नए FCRA कानून के पारित होने के बाद, गृह मंत्रालय ने समय सीमा को कई बार बढ़ाया है। नवीनतम समय सीमा 31 मार्च 2023 कर दिया है।
आखिर ये CPR है क्या ?
FCRA LICENSE: CPR दिल्ली स्थित थिंक टैंक है, जिसकी स्थापना 1973 में की गई थी। CPR वेबसाइट के मुताबिक इसे भारत सरकार की ओर से गैर लाभकारी सोसाइटी के रूप में प्राप्त किया गया है, और केंद्र में योगदान कर मुक्त है।
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CPR को भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) से अनुदान प्राप्त हुआ है, और ये विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) की ओर से मान्यता प्राप्त संस्थान भी है। CPR अलग-अलग घरेलु और अंतरराष्ट्रीय स्त्रोतों से अनुदान प्राप्त करता है।
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