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5G के साथ आयेगें कई खतरे , पक्षियों के साथ इंसान भी आ सकते हैं चपेट में-

बॉलीवुड अभिनेत्री जूही चावला के 5G नेटवर्क पर केस दर्ज कराने के बाद इस बात की काफी चर्चा की जा रही है कि क्‍या 5G टैक्‍नोलॉजी से मानव जाती को कोई खतरा है।

“क्या 5G टैक्‍नोलॉजी मनुष्यों, जानवरों, पक्षियों और अन्य प्राणियों के लिए सुरक्षित है?” यह  मुकदमा बॉलीवुड अभिनेत्री जूही चावला ने बॉम्बे हाई कोर्ट में टेलीकॉम टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन के खिलाफ दायर किया है।

दूसरी तरफ अब भी कुछ लोग 5g network टैक्‍नोलॉजी को सपोर्ट कर रहें है ताकि इंटरनेट की फील्‍ड में तेजी देखने को मिलें इसी बात को ध्‍यान में रखते हुए यहां हम उन नुकसान और खतरों के बारे में बात करने जा रहे हैं जो 5G अपने साथ लेकर आने वाला है।

यहां जानते हैं क्‍या कहती हैं रिसर्च

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के विश्वसनीय स्रोत के अनुसार, 5G5g network  में उपयोग से होने वाले नुकसान पर अभी सीमित शोध किए गए हैं। लेकिन अधिक शक्तिशाली 5G तरंगें अधिक रेडियशन उत्सर्जित करेंगी और इंसानों के साथ-साथ अन्य जीवित प्राणियों को भी नुकसान बहुत पहुंचाएंगी।

  1. कैंसर का खतरा

माना कि इस विषय पर और अधिक शोध की आवश्यकता है, लेकिन 5G से निकलने वालीं RF (रेडियेशन फ्रीक्‍वीनसीं) के संपर्क में आने से कुछ प्रकार के मस्तिष्क के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

  1. मानसिक बीमारियां

RF से जुड़े कुछ अन्‍य शोध हैं जो बताते हैं कि रेडियों एक्टिव तरंगें संज्ञानात्मक कार्य यानि सोचने की शक्ति केा प्रभावित कको प्रभावित करती हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि दिन में कम से कम 90 मिनट मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से ध्यान में दिक्कत होती है। हालांकि इस शोध में अभी और रिसर्च की आवश्‍यकता है।

  1. पर्यावरण के लिए खतरा

2019 में साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में कहा गया है कि मोबाइल टॉवर पर्यवरण के लिए हानिकारक हैं खासकर विकिरण से पक्षियों और मधुमक्खियों को ज्‍यादा खतरा है।

इसके अलावा बेहतर कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए 5g network को अधिक टावरों की आवश्यकता होगी, और चूंकि यह केवल हमारे स्मार्टफ़ोन से अधिक शक्ति प्रदान करेगा, यह सामान्य रूप से ऐसे विकिरण के लिए मानव जोखिम को बढ़ाएगा।

इन सब कारणों को ध्‍यान में रखते हुए ही जूही चावला ने कोर्ट में 5G टैक्‍नोलॉजी के खिलाफ केस दर्ज कराया है ताकि इस नेटवर्क पर सभी शोधों की जांच ठीक तरीके से हो और अगर इससे हमें और बाकी जीव जंतुओं के लिए खतरा हो तो इसे रोका जा सके।

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