SC-ST कोर्ट(court) ने गुरूवार को हाथरस गैंगरेप कांड में ढाई साल बाद फैसला सुनाया है। कोर्ट (court) ने 4 आरोपियों में से 3 को बरी कर दिया हैं जिसमें संदीप ठाकुर को दोषी माना हैं। लवकुश सिंह, रामू सिंह और रवि सिंह को बरी कर दिया। संदीप को गैर इरादतन हत्या (धारा 304) और SC-ST एक्ट में दोषी माना हैं।
कोर्ट (court) ने संदीप को उम्रकैद की सजा सुनाई हैं। 4 आरोपियों में से किसी पर भी गैंगरेप का आरोप सिध्द नहीं हुआ। पीड़ित पक्ष के वकील ने कहा, ‘’ वह कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे ।
हाथरस कांड ढाई साल पहले हुआ था
14 सितंबर 2020 को हाथरस के चंदपा क्षेत्र के एक गांव में दलित युवती के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया था । गांव के चार युवकों पर गैंगरेप का आरोप लगा था। बेरहमी से पीड़िता की जीभ काट दी गई थी। पीड़िता के भाई ने गांव के संदिप ठाकुर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
बाद में युवती के बयान के आधार पर 26 सितंवार को तीन अन्य आरोपी लवकुश सिंह, रामू सिंह और रवि सिंह को आरोपी भी बनाया गया था। उसके बाद चारों आरोपीयों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
दिल्ली में युवती 29 सितंबर को दम तोड़ा था।
बागला जिला संयुक्त चिकित्सालय में युवती को गंभीर हालत में लाया गया था। इसके बाद उसे अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। फिर उसे 28 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल लाया गया।
29 सितंबार को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। हाथरास में पुलिस ने शव को परिजन की बिना अनुमति के अंतिम संस्कार कर दिया था।
वकील: गवाहों के बयान से गैंगरेप की पुष्टि नहीं
आरोपी पक्ष के वकील मुन्ना सिंह पुंढीर ने कहा,’’ रवि सिंह, रामू सिंह, लवकुश सिंह को निर्दोष मानते हुए बरी किया गया है। संदीप को उम्रकैद की सजा दी गई है और 50 हजार रूपए का जुर्माना लगाया गया है। ऐसा गवाह नहीं मिला, जिसके बयान से गैंगरेप की पुष्टि हो। जो चार्जशीट सीबीआई ने दी थी।
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उसमें 302, 376-ए, 376-ए व, 376-बी में आरोपी बनाया था। लेकिन इन धाराओं की पुष्टि नहीं हो पाई। ये पूरा केस बनाया गया था। यही होना ही था, संदीप भी निर्दोष है, ये भी छूटगा। इसके लिए हम लोग हाईकोर्ट जाएंगे।‘’
पीड़ित पक्ष के वकील महिपाल सिंह ने कहा, “कोर्ट(court) ने तीन आरोपियों को बरी किया है। संदीप को धारा-304 और एससी-एसटी एक्ट के तहत दोषी माना है। उसे आजीवन कारावास की सजा हुई है। गैंगरेप को कोर्ट (court) ने क्यों नहीं स्वीकार किया, ये जजमेंट की कॉपी मिलने के बाद पता चलेगा। जजमेंट की कॉपी पढ़ने के बाद हम हाईकोर्ट में अपील करेंगे।‘’
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