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कोरोना के 10 में से 7 मरीजों में एंग्जायटी डिसऑर्डर,  आत्महत्या तक कर सकता है ऐसे पेशेंट

कोरोना संक्रमण से लोगों के फेफड़े तो खराब हाे ही रहे हैं। संक्रमण ठीक होने के बाद कार्डियक अरेस्ट होना या ब्लैक फंगस संक्रमण होना भी एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आया है। लेकिन मनोचिकित्सकों की मानें तो कोरोना पेशेंट्स को एंग्जायटी डिसऑर्डर (Anxiety Disorder) से भी पीड़ित हाे रहे हैं।

चिकित्सकों द्वारा जुटाए आंकड़ों की मानें तो कोरोना के हर 10 में से 7 पेशेंट्स एंग्जायटी डिसऑर्डर से ग्रसित हैं और यदि ऐसे पेशेंट्स का ध्यान नहीं रखा गया, तो ये लोग सुसाइड जैसा कदम तक उठा सकते हैं। यदि आंकड़ों पर गौर करें तो अकेले भोपाल में ही कोरोना से ग्रसित 3 पेशेंट्स सुसाइड जैसा खतरनाक कदम उठा चुके हैं। 

कम संक्रमण, लेकिन एंग्जायटी डिसऑर्डर का शिकार हो रहे लोग : 
कोरोना संक्रमण में देखा गया है कि कई पेशेंट्स 30 से 40 दिन वेंटिलेटर पर रहने के बाद स्वस्थ होकर वापिस आ रहे हैं। वहीं कुछ मध्यम श्रेणी का संक्रमण होने के बाद भी गंभीर एंग्जायटी डिसऑर्डर का शिकार हो रहे हैं। जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया में इसी हफ्ते दो लोगों ने मानिसक रूप से बीमार होने के बाद खुदकुशी कर ली।


शहर के सबसे बड़े कोविड केयर सेंटर चिरायु (Chirayu Covid Care) में भी कुछ सप्ताह पहले एक कोरोना संक्रमित ने छत से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। वहीं पिछले 10 दिनों के भीतर आईएसबीटी स्थित पालीवाल असपताल से भी 2 मरीजों ने खिड़कियों से कूदकर आत्महत्या करने का प्रयास किया है।

अब कोरोना पेशेंट्स का मन टटोलेंगे मनोचिकित्सक : 
लगातार बढ़ रही ऐसी घटनाओं के बावजूद अब शहर के निजी और सरकारी अस्पताल कोरोना संक्रमित पेशेंट्स का मन टटोलने और मन को मजबूत करने के लिए मनोचिकित्सकों की सेवाएं ले रहे हैं। अस्पताल में तैनात मनोचिकित्सक और काउंसलर की टीम पेशेंट की काउंसलिंग कर रही है।   


काउंसलिंग के दौरान सामने आया कि लगभग 70 फीसदी मरीजों में एंग्जायटी डिसऑर्डर है। करीब 14 फीसद मरीज गंभीर एंग्जायटी डिसऑर्डर से पीड़ित हैं।

बुजुर्गों में ज्यादा है मानसिक बीमारी की समस्या : 
एलएन मेडिकल कॉलेज (LN Medical Collage, Bhopal) के डॉक्टर प्रीतेश गौतम (Dr. Preetesh Gautam) की मानें तो बुजुर्ग ऐसी समस्याओं से ज्यादा ग्रसित हैं। इसका कारण यह है कि बुजुर्ग यह सोचते हैं कि उनके परिजनों ने उन्हें अकेले इस तरह अस्पताल में छोड़ दिया है। वहीं कई मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर जाने के बाद घबरा जाते हैं। वे सोचते हैं कि उनका बचना अब मुश्किल है। ऐसे पेशेंट को नींद के हार्मोन के इंजेक्शन देने पड़ते हैं।

गांधी मेडिकल काॅलेज (Gandhi Medical Collage, Bhopal) के मानसिक रोग विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रुचि सोनी (Dr. Ruchi soni) की मानें तो अस्पताल में भर्ती 700 मरीजों में से 70 फीसदी में एंग्जायटी डिसऑर्डर की समस्या मिली है। इनमें से वे मरीज ज्यादा हैं, जिनके घर में कोरोना से किसी की मौत हो गई है। वहीं पेशेंट्स का ऑक्सीजन लेवल 80 से नीचे जाने पर भी पेशेंट गंभीर एंग्जायटी डिसऑर्डर का शिकार हो रहे हैं। 

मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी (Dr. Satykant Trivedi) की मानें तो यह समस्याएं उन पेशेंट्स में ज्यादा मिल रही है जो निम्न या मध्यम श्रेणी के संक्रमण से ग्रसित हैं। इसका कारण यह है कि ऐसे मरीजों को ज्यादा सोचने का मौका मिलता है।

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