भोपाल। मटकी फोड़ कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सुपरस्टार गोविंदा भोपाल पहुंचे थे। फिल्म अभिनेता गोविंदा का कहना है कि पिछले साल मेरे पास फिल्म निर्माताओं के कई प्रपोजल आए, लेकिन काम मेरे मन के मुताबिक नहीं था। इसलिए मैंने मना कर दिया। दरअसल दर्शकों के बीच मेरी छवि अभी भी नंबर वन की है, जबकि फिल्म निर्माता मुझे साइड हीरो के रूप में छोटे-छोटे रोल दे रहे थे, इसलिए मैंने फिल्में नहीं की। मैं दर्शकों के हिसाब से चलना चाहता हूं न कि इंडस्ट्री के हिसाब से। यही वजह है कि आज मेरे पास काम नहीं है, जबकि मैं काम करना चाहता हूं।
भारतीयता वाली फिल्में देखना चाहते हैं लोग।
वर्तमान में लगातार फ्लाप हो रहीं हिंदी फिल्मों को लेकर उनका कहना था कि विषय का चयन, प्रस्तुति और लोगों की विचारधारा में आए बदलाव के कारण ऐसा हो रहा है। साउथ की फिल्में भारतीयता को लेकर चल रही हैं। यही वजह कि हिंदी का दर्शक भी उन्हें पसंद कर रहा है। मेरी माताजी निर्मला देवीजी ने जब अपनी पहली फिल्म की थी ‘शारदा” तब उन्होंने मुझे समझाया था कि तुम कितने भी बड़े बन जाओ और अपना व्यक्तित्व लेकर किसी मंच पर खड़े होकर गलत बात करोगे तो तुम्हारी गलत बात नहीं स्वीकारी जाएगी।
संतों ने दिया था नाम:
गोविंदा ने बताया कि मेरा असली नाम गोविंद था, जबकि गोविंदा दक्षिण भारत का नाम है। जब मैं फिल्म इंस्टड्री में आया तो मेरे सीनियर और साधु-संतों ने कहा कि तुम गोविंद नाम से फिल्मी दुनिया में सफल नहीं हो पाओगे नाम में संशोधन कर लो। बस फिर क्या था गोविंदा बनने के बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर उनका कहना था कि यह पर्व बच्चों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।