Anupam Kher: फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने अभिनेता अनुपम खेर आज अपना 68वां जन्मदिन मना रहे हैं। गौरतलब है कि अभिनेता को फिल्म इंडस्ट्री में साढ़े तीन दशक से ज्यादा का समय हो चुका है उन्होंने अपने लंबे समय के करियर में 500 से ज्यादा फिल्मों में काम के साथ, भारत के सबसे प्रचलित अभिनेताओं में से एक की पद्धवि भी हासिल की हैं।
Anupam Kher को मिले कई फिल्म पुरस्कार
उन्होंने दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और आठ फिल्मफेयर पुरस्कार समेत कई पुरस्कार जीते हैं। हालाँकि वह सबसे प्रसिद्ध अभिनेताओं में से एक हैं, लेकिन उनकी शुरुआत संघर्षों से भरी रही है।
अनुपर खेर का जन्म 7 मार्च 1955 को शिमला में एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। जहां उनके पिता वन विभाग में क्लर्क थे, 14 लोगों के परिवार में एकमात्र कमाने वाले व्यक्ति थे।
जब Anupam Kher की माँ ने मारा थप्पड़
Anupam Kher: वही एक इंटरव्यु के दौरान अनुपम ने अपने बचपन का किस्सा बताया तो लोग अपनी हंसी नहीं रोक पाए। दरअसल उनकी शरारतों से अनुपम की माँ इतना परेशान हो गई थी कि उन्होनें अनुपम को नंगा करके घर से बाहर निकाल दिया था।
हांलाकि इतना होने के बाद भी उनमें कोई सुधार नहीं आया और उन्होनें वही गलती फिर से दोहराई, तब उनकी माँ ने एक थप्पड़ भी मारा था।
Anupam Kher ने खुद पहचानी अपनी रुचि
वैसे तो अनुपम खेर को बहुत कम उम्र में अपने अभिनय के लिए अपनी रुचि का पता चला, जब उन्हें नौवीं कक्षा में एक नाटक के लिए चुना गया था। अभिनेता को जल्द ही पता चला कि उन्हें मंच पर रहना पसंद है और पूरी तरह से एक्टिंग करना चाहतें हैं।
जिसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ में एक एक्टिंग क्लास के लिए एक विज्ञापन देखा और इसी में आगे बढ़ाने का फैसला किया।अनुपम को उस समय सौ रुपये की जरूरत थी।
उन्होनें अपनी मां से यह कहकर उधार लिया कि उन्हें पिकनिक पर जाना है। जिसके बाद वे चंडीगढ़ की एक्टिंग क्लास पहुंचें जहां उनका चयन हो गया।
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Anupam Kher सपनों का सफर रहा कठिन
वह दो साल तक एक शिक्षक रहे थे, एक बार उन्होंने एक विज्ञापन देखा जिसमें मुंबई में एक ड्रामा स्कूल में नए प्रतिभाशाली शिक्षकों की नियुक्ती हो रही थी। फिर क्या अनुपम ने सपनों का पीछा करने की तलाश में सपनों के नगरी मुंबई में चले गए लेकिन यह रास्ता उनके लिए आसान नहीं था।
क्योंकि जब वे मुंबई आए, तो वे खाली हाथ के साथ जेब भी खाली थी और उन्हें वहां पढ़ाने के लिए एक छोटी सी जगह पर रहने के लिए छोटा सा कमरा दिया था।
लेकिन उन्होंने फिर भी हार नहीं मानी। वह नाटकों में ऑडिशन देने और प्रदर्शन करने के लिए मुंबई में वापस आ गये। एक समय उन्हें समुद्र किनारों पर भी रहना पड़ा था और रेलवे प्लेटफॉर्म पर सोना पड़ता था। लेकिन संघर्षों से उभर कर उन्होनें अपना नाम बनाया और फिल्मों में अपना एक अलग किरदार निभाया है।
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