राजधानी के कई पत्रकार संगठनों ने इन्हें रोकने के तमाम उपाय किए, लेकिन कोई ठोस कानून न होने के कारण कोई सख्त कार्रवाई न हो सकी।
वरिष्ठ पत्रकार ने की थी लगाम लगाने की कोशिश :
कुछ माह पूर्व एक सांध्य दैनिक के वरिष्ठ पत्रकार ने अपने कॉलम में इन फर्जी पत्रकारों का मुद्दा बड़ी मुखरता के साथ उठाया था। इस दौरान पत्रकार ने जनसंपर्क से इस दिशा में सख्त कदम उठाने की गुजारिश भी की थी, लेकिन समय के साथ यह मुद्दा ठंडे बस्ते में चला गया। ये फर्जी पत्रकार अक्सर अपने साथ किसी यू ट्यूब या फेसबुक चैनल की आईडी लेकर चलते हैं।
कवरेज के दौरान कई बार ये अखबार या चैनल के नुमाइंदों से भिड़ने से भी नहीं कतराते। रविंद्र भवन परिसर में अक्सर पत्रकारों से लड़ने की इनकी कई खबरें सामने आती रही हैं।
हाई स्कूल की मार्कशीट तक नहीं मिली फर्जी के पास :
गत दिनों एक ऐसे ही पत्रकार का खुलासा हुआ। बताया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर जनाब खुद को एक सांध्य दैनिक का सीनियर रिपोर्टर बताते थे। लेकिन जब कुछ लोगों ने इनकी पड़ताल की तो पता चला की इनका अखबार से दूर दूर तक कोई नाता नहीं था। इतना ही नहीं जनाब के पास हाई स्कूल की मार्कशीट तक नहीं थी।
जबकि इसके पहले जनाब कई बार पुलिस कर्मियों पर अपने पत्रकार होने की धौंस जमाते देखे गए थे। फिलहाल सच्चाई सामने आने के बाद इनके करीबी लोगों ने इनसे दूरी बनाना शुरू कर दिया है। हालांकि देखते हैं राजधानी भोपाल में इस तरह के फर्जी लोगों पर कब तक लगाम लगती है।