आज 25 जनवरी के दिन भारत मे 13वां मतदाता दिवस मनाया जा रहा है। मतदाता दिवस की शुरुआत 2011 में पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटील ने की थी। यह दिन 1950 में भारत मे हुए चुनाव आयोग की स्थापना के दिन को चिन्हित करने के लिए मनाया जाता है। हर साल 25 जनवरी को मतदाता दिवस मनाए जाने का उद्देश्य आज की युवा पीढ़ी को मतदान और उससे जुड़ी उनकी जिम्मेदारियों के लिए जागरूक करना है।
देश के युवाओ के साथ देश के बच्चों में भी उनकी छोटी उम्र से ही मतदान के प्रति जागरूकता लाना भी सरकार का सबसे बड़ा उद्देश्य है।
“चुनाव का महत्व”
भारत एक लोकतान्त्रिक देश है, जिसमे चुनाव होना एक निर्वाचन प्रक्रिया है। चुनाव किसी भी लोकतंत्र देश की पहली जरूरत होती है।
लोकतंत्र मे चुनाव होना एक देश के शासन को जनता द्वारा चुने गए नेता के हाथ मे सौपना है। जनता को अपने अधिकार से अवगत करने में निर्वाचन प्रक्रिया का होना बेहद ही जरूरी है।
भारत में चुनावी प्रक्रिया के विभिन्न चरण
भारत में निम्नलिखित तरीके से चुनावी प्रक्रिया होती है।
1. निर्वाचन क्षेत्रों का गठन
संविधान में कहा गया है कि प्रत्येक जनगणना के पूरा होने के बाद राज्यों को लोकसभा में सीटों के आवंटन का पुन: समायोजन किया जाए। इसी तरह, विधानसभाओं के चुनाव के लिए निर्वाचन क्षेत्रों को भी पुन: समायोजित किया जाता है।
2. नामांकन भरना
उम्मीदवारों का नामांकन चुनाव प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। नियमों के अनुसार उम्मीदवार या अपना नाम प्रस्तावित करने वाला व्यक्ति रिटर्निंग ऑफिसर के पास नामांकन पत्र दाखिल करता है।
3. चुनावी प्रक्रिया के लिए आयु वर्ग
राज्य सभा या राज्य विधान सभा परिषद का सदस्य चुने जाने के लिए, एक व्यक्ति की आयु वर्ष कम से कम 30 वर्ष होनी चाहिए।
लोकसभा या राज्य विधान सभा के लिए, एक व्यक्ति की आयु 25 वर्ष होनी चाहिए। एक व्यक्ति को किसी सदन के रूप में चुने जाने के लिए अयोग्य घोषित किए जाते है। ये कुछ कारण:
* मंत्रीयों या उपमंत्रियों के पदों को इसस प्रयोजन के लिए अनुमति नहीं दी जाती है।
* मानसिक रूप से अक्षम या न्यालाय द्वारा उसे मानसिक रूप से कमज़ोर घोषित किया गया हों।
* अगर वह भारत का नागरिक न हो।
* और वह संसद द्वारा बनाए किसी भी कानून द्वारा अयोग्य घोषित किया गया हों।
इन सब प्रक्रिया के बाद नामांकन प्रक्रिया शुरू होती है जिसमे उम्मीदवारों को अपना पर्चा भरकर नामांकन कार्यालय मे जमा करना होता है उसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर नामांकन पत्रों की सावधानी से जांच करते हैं।
अगर किसी उम्मीदवारों को किसी भी वजह से दोषी पाया जाता है तो उसका पर्चा खारिज करदिया जाता है।
4. चुनाव प्रचार
नामांकन जांच सही होने पर चुनावी प्रत्याशी को आगे अपनी पार्टी के लिए प्रचार करने का अवसर प्राप्त हो जाता है। मतदान प्रक्रिया के आरंभ होते ही और मतदान के खत्म होने 48 घंटे पहले ही प्रचार प्रक्रिया रोक दी जाती है।
प्रचार प्रक्रिया को रोकना यह सुनिश्चित करवाता है कि चुनावी प्रक्रिया में काम करने वालों को सभी नियमों का पालन करना अनिवार्य है।
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मतदाता अपना वोट जिस उम्मीदवार को देना चाहते है वो वोटिंग मशीन के माध्यम से बटन दबाकर या फिर कागज पर अपने पसंदीदा उम्मीदवारों के चिन्हों के आगे मोहर लगाकर दे सकते है।
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