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5 Dirty Secrets of IPL: आईपीएल का काला सच

आईपीएल के इतिहास के बारे में बात की जाए तो 13 सितंबर 2007 को,  2007 टी 20 विश्व कप जीतने के बाद बीसीसीआई ने इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की घोषणा की। IPL का पहला सीज़न अप्रैल 2008 में नई दिल्ली में एक “हाई-प्रोफाइल समारोह” के साथ हुआ।

इसके बाद मैच फिक्सिंग के आरोपों से लेकर सट्टेबाजी में शामिल टीमों पर प्रतिबंध लगाने तक, इस टूर्नामेंट ने क्रिकेट को बीसीसीआई के लिए पैसा कमाने का एक बड़ा स्रोत बना दिया है। पिछले 13 सालों में आईपीएल फ्रंचाईज, टीम ऑनर और किक्रेटरर्स के लिए पैसों की बरसात बनकर सामने आया है लेकिन आईपीएल से जुड़ी ऐसी कई खबरों हैं जो इसके काले सच को बयां करती हैं।

5 Dirty Secrets of IPL:

1. Cheerleader के बयान

आईपीएल के हर सीजन में Cheerleaders के बयान चर्चाओं में रहे हैं। विदेशी चीयरलीडर्स, जो विभिन्न देशों जैसे अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के अन्य देशों से आती हैं, को भारतीय दर्शकों के सामने प्रदर्शन करना मुश्किल हो गया है। कई Cheerleaders ने खुलकर मीडिया में बताया है कि इंडिया में आईपीलए के दौरान उनके साथ छेड़छाड और बत्‍तमीजी की जा चुकी है। इतना कई खिलाड़ीओं के नाम भी इन आरोपों में आते हैं। हालांकि इस संबंध में एक बदलाव आया क्योंकि बयानों के बाद से खिलाड़ियों और चीयरलीडर्स के बीच संवाद पूरी तरह से समाप्त हो गया था।

2. मैच फिक्सिंग

IPL 2013 में हुई मैच फिक्सिंग की घटना ने टूर्नामेंट की छवि को खराब करके रख दिया था इस मामले में एस श्रीसंत, अंकित चव्हाण और अजीत चंदीला को मैच फिक्सिंग के मामले में जीवन भर के लिए मैच खेलने पर रोक दिया गया था।

क्या टूर्नामेंट फिक्सिंग से दूर है? यह एक ऐसा सवाल है जिसकी गारंटी आज भी कोई नहीं देता, यहां तक कि विशेषज्ञ भी, लेकिन एक बात निश्चित है कि अपनी तनख्वाह पाने के लिए काम करने वाले खिलाड़ियों की संख्या उन लोगों की तुलना में बहुत अधिक है जो खेल की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।

3. सट्टेबाजी

हम अभी भी फिक्सिंग पहलू के साथ बहस कर सकते हैं, लेकिन जब सट्टेबाजी की बात आती है तो कोई यह बात क्‍लीयर है कि आईपीएल में खुलेआम सट्टेबाजी होती है। यह टूर्नामेंट के लिए एक बड़ी समस्या रही है, शायद फिक्सिंग से भी बड़ी। हर सीजन में हम देखते हैं कि पब, बार और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर गिरोहों के पकड़े जाने के कई मामले आते हैं, लेकिन फिर भी, हमें इस पर अंकुश लगाने का कोई रास्ता नहीं मिला है।

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4. लोकल प्‍लेयर्स के साथ नाइंसाफी

IPL में हर साल विदेशी प्‍लेयर्स पर करोड़ो खर्च किए जाते हैं जबकि कई भारतीय प्‍लेयर्स हैं जो पैसा कमाने के लिए दूसरे देशों की लीग में हिस्‍सा लेने के लिए मजबूर हो जाते हैं साथ भारत की प्रतिभा की तुलना में विदेशी प्रतिभा को अधिक मौके दिए जाते हैं। हर साल भारत में क्रिकेटरों की बढ़ती संख्‍या भी एक चुनौतीपूर्ण विषय रहा है ऐसा इसलिए क्‍योंकि टीवी पर हमे सिर्फ वह प्‍लेयर्स दिखाई देते हैं जो सिलेक्‍ट हो चुके हैं उन प्‍लेयर्स का क्‍या जो अच्‍छा खेलने के बाद भी आईपीएल या किसी भी बड़े में सिलेक्‍ट नहीं हुए। सिलेक्‍ट ना हुए प्‍लेयर्स की संख्‍या भी लाखों में है।

5. रेव पार्टी का चलन

आईपीएल में मैच खत्‍म होने के बाद पार्टी एक रस्‍म की तरह निभाई जाती है। अतीत में ऐसे उदाहरण सामने आ चुके हैं जब एक ही टीम के कुछ खिलाड़ियों ने शराब का सेवन करने के बाद भारी विवाद किया था और टीम प्रबंधन की अनुमति के बिना रेव पार्टियों में भी शामिल हुए थे। हालांकि इस पर कई रिपोर्टें लिखी गई हैं, लेकिन आधिकारिक तौर पर कभी कुछ नहीं कहा गया है। कई बार तो ऐसे मामले सामने आए जब इन पार्टीयों में लोगों को ड्रग्‍स लेते पकड़ा गया लेकिन ये मामले कभी पुलिस तक नहीं पहुंचे या इन्‍हें दबा दिया गया।

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