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इन तरीकों से IPL में टीम के मालिक कमाते हैं करोड़ो रुपये

इंडियन प्रीमियर लीग यानी कि आईपीएल दुनिया की सबसे बड़ी टी-20 लीग है। भारत में हर वर्ष आईपीएल का आयोजन किया जाता है। ये क्रिकेट का एक शॉर्ट फॉर्म है जिसमें 20 ओवर का मैच होता है। आईपीएल में भारतीय खिलाड़ियों के साथ-साथ विश्व भर से अन्य खिलाड़ी भी भाग लेते हैं। आज के समय में आईपीएल देखने वालों की संख्या इतनी ज्यादा है कि हर ब्रांड अपने ब्रांड को आईपीएल में प्रमोट करने के लिए कुछ ना कुछ रास्ता तो निकालने की कोशिश करता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आईपीएल टीम को खरीदने वाला मालिक अपनी कमाई किस तरह से करता है? तो आइए आज के इस आर्टिकल में जानते हैं आईपीएल टीम के मालिक किस तरह से करोड़ों रुपए कमाते हैं।

क्रिकेट फैन की बात करें तो सबसे ज्यादा क्रिकेट फैन भारत में पाए जाते हैं और इसी को देखते हुए ललित मोदी ने आईपीएल का कांसेप्ट निकाला था। आईपीएल की शुरुआत हर साल अप्रैल में होती है जिसमें हर एक टीम, इंडिया की कोई ना कोई स्टेट या सिटी को रिप्रेजेंट करती है। हर साल इन टीम के मालिक करोड़ों रुपए खर्चा करते हैं अपनी टीम के लिए, जैसे प्लेयर ऑक्शन में खरीदने के लिए स्टाफ के लिए और भी कई सारी चीजों के लिए टीम के मालिक बहुत सारा पैसा खर्च करते हैं। आईपीएल में जीतने वाली टीम को सिर्फ ₹20 करोड़ दिए जाते हैं और इस साल को कोविड की वजह से इस प्राइस मनी को भी हाफ कर दिया गया है यानी कि इस साल आईपीथएल जीतने वाली टीम को केवल ₹10 करोड़ रुपए दिए जाने वाले हैं। तो सोचिए टीम के मालिक इतने सारे खर्चे कहां से रिकवर करते हैं आइए बताते हैं आपको इन्हीं सोर्सेस के बारे में जिनसे बीसीसीआई और टीम के मालिक करोड़ों में पैसा कमाते हैं।

आईपीएल में बीसीसीआई और टीम के मालिक तीन चीजों से पैसे कमाते हैं- मार्केट बेनिफिट्स, सेंट्रल रिवेन्यू और लोकल रिवेन्यू। आइए सबसे पहले हम जानते हैं मार्केटिंग बेनिफिट्स के बारे में-

मार्केटिंग बेनिफिट्स (Marketing Benefits)

आईपीएल देखने के दौरान आपने देखा ही होगा कि हमें कितने सारे एडवर्टाइजमेंट देखने को मिलते हैं चाहे आपकी वो आपके टीवी पर हो या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हो। इन एडवर्टाइजमेंट में आपको कई फेमस प्लेयर्स को भी दिखाया जाता है। बता दे कि फ्रेंचाइजी दूसरी कंपनियों को एड या प्रमोट करने के लिए प्लेयर्स को बेच सकती है उससे जो भी पैसा मिलता है वो उन प्लेयर्स के साथ-साथ फ्रेंचाइजी को भी मिलता है जिसके लिए प्लेयर्स खेलते हैं।

सेंट्रल रिवेन्यू (Central Revenue)

अब बात करते हैं सेंट्रल रिवेन्यू की आईपीएल जो सबसे ज्यादा पैसा कमाता है वो सेंट्रल रिवेन्यू से कमाता है। सेंट्रल रिवेन्यू में दो चीजें होती हैं टीवी ब्रॉडकास्टिंग राइट्स और स्पॉन्सरशिप राइट्स।

  • ब्रॉडकास्टिंग (Broadcasting)

ब्रॉडकास्टिंग राइट्स में टीवी चैनल और ऑनलाइन चैनलों को आईपीएल की लाइव स्ट्रीम करने के लिए आईपीएल के राइट्स खरीदने पड़ते हैं और उसके बदले वो बीसीसीआई को पैसे देते हैं। मतलब की वो चैनल जो कि आईपीएल को ब्रॉडकास्ट करता है। 2008 में जब सबसे पहले आईपीएल शुरू हुआ था।  2008 से लेकर 2018 तक के लिए सोनी मैक्स ने 8200 करोड़ में आईपीएल के साथ डील साइन की थी। मतलब कि 1 साल का 820 करोड़ सोनी मैक्स ने आईपीएल ब्रॉडकास्टिंग को दिए थे। फिर 5 सालों के लिए 2018 से 2022 तक के लिए स्टार स्पोर्ट्स ने आईपीएल के मीडिया राइट्स 16,347 करोड़ में बीसीसीआई से खरीदें जहां बीसीसीआई को 1 साल में 820 करोड मिलते थे वही अब बीसीसीआई को 1 साल में 3200 मिलते हैं। बीसीसीआई हर साल इस रकम का 40% हिस्सा करके हर फ्रेंचाइजी के मालिक को बराबर कर बांट देती है यानी कि मीडिया राइट्स से हर टीम को हर साल लगभग 160 करोड रुपए की कमाई होती हैं।

ये जानकर आपके मन में ये सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर टीवी पर दिखाने से इतना पैसा क्यों.. तो जैसा कि हमने बताया आईपीएल बहुत ही ज्यादा पॉपुलर है और बहुत सारे लोग टीवी पर और इंटरनेट पर इसे देखते हैं। इसलिए जो कंपनीज होती है वो अपने मार्केटिंग के लिए चैनल्स पर अपना एडवर्टाइजमेंट करते हैं जिसमें कि वो मैच के हर ओवर्स, हर विकेट या फिर टाइम आउट के बीच में ब्रेक होता है उसमें ऐड लगाने के लिए। वो कम से कम 5 करोड़ से लेकर 10 करोड रुपए देने को आसानी से तैयार हो जाते हैं। इसलिए टीवी चैनल्स भी अपना मेजर इनकम इन के जरिए कमा लेते हैं।

  • स्पॉन्सरशिप (Sponsorship)

स्पॉन्सरशिप भी कई टाइप की होती है टाइप की होती है, जिसमें से एक है टाइटल स्पॉन्सरशिप। इसके लिए बीसीसीआई उस कंपनी से करोड़ों रुपए लेती है जो आईपीएल के टाइटल को स्पॉन्सर करती है। सन् 2008 में डीएलएफ (DLF) ने आईपीएल को सिर्फ 5 सालों के लिए 200 करोड़ रुपए दिए थे। फिर पेप्सी (Pepsi) ने बीसीसीआई के साथ अगले 3 सालों के लिए 240 करोड रुपए में डील की थी। 2018 से 2022 तक वीवो (VIVO) ने उन्हें 5 सालों के लिए 2,200 करोड रुपए की डील की थी। यानी कि 1 साल के लिए लगभग 440 करोड रुपए लेकिन 2020 में इंडिया -चाइना विवाद की वजह से विवो को टाइटल स्पॉन्सरशिप से हटा दिया गया था। और उसकी जगह dream11 ने ले ली थी। dream11 ने बीसीसीआई को साल 2020 के लिए टाइटल स्पॉन्सरशिप करने के लिए 220 करोड रुपए दिए थे। टाइटल स्पॉन्सरशिप से जितना भी रेवेन्यू आता है, उसमें से कुछ हिस्सा बीसीसीआई अपने पास रखती है और बाकी सारा पैसा फ्रेंचाइजीज मालिकों में बराबर बांट देती है। टाइटल स्पॉन्सरशिप  की तरह ही कई तरह की और भी स्पॉन्सरशिप होती है जिसमें एक होती है ब्रांड स्पॉन्सरशिप।

आईपीएल की हर टीम का एक ब्रांड स्पॉन्सर होता है अगर आपने गौर किया हो प्लेयर्स जो कपड़े पहनते हैं उस पर कई सारे ब्रांड्स के नाम और लोगो (Logo) छपा होता है। टीम स्पॉन्सरशिप के अलावा और भी कई सारे स्पॉन्सर होते हैं। आपने देखा होगा क्रिकेट ग्राउंड पर भी कई सारे स्पॉन्सर के नाम लिखे होते हैं। बाउंड्री पर स्टंप्स पर लगातार कई ब्रांड्स के नाम हाईलाइट होते रहते हैं। ये सारे ब्रांड्स बीसीसीआई और टीम ऑनर्स को बहुत सारा पैसा देते हैं। 

लोकल रिवेन्यू (Local Revenue)

अब बात करते हैं लोकल रिवेन्यू की जितने भी छोटे लेवल के रेवेन्यू होते हैं वो सब इस कैटेगरी में आते हैं जैसे की टिकट सेलिंग, लोकल स्पॉन्सरशिप, प्राइस मनी।

  • टिकट सेलिंग (Ticket Selling)

भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के बीच आईपीएल का बहुत ही ज्यादा क्रेज है। हर आईपीएल फ्रेंचाइजी कम से कम सात मैच अपने होम ग्राउंड में खेलती है। जैसे कि मुंबई इंडियंस का होम ग्राउंड वानखेडे़ स्टेडियम मुंबई। ऐसे में आईपीएल फ्रेंचाइजी के मालिक अपने हिसाब से टिकट का दाम तय करती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई इंडियंस वानखेडे़ जैसे स्टेडियम में एक मैच के टिकट बिकने से लगभग 5 से 6 करोड़ रुपए की कमाई कर लेती है। इस कमाई का लगभग 80 फ़ीसदी हिस्सा टीम के मालिकों को मिलता है इससे भी फ्रेंचाइजी के मालिकों को करोड़ों की कमाई होती है।

  • लोकल स्पॉन्सरशिप (Local Sponsorship)

लोकल स्पॉन्सरशिप डिपेंड करती है टीम की पॉपुलरेटी पर जो टीम जितनी ज्यादा लोकली पॉपुलर होती है। उसको इतनी ज्यादा स्पॉन्सर मिलने के चांसेस होते हैं।

  •  प्राइज मनी (Price Money)

आईपीएल टीम के मालिक प्राइज मनी से भी पैसा कमाते हैं जो भी टीम आईपीएल फाइनल जीतती है या रनर-अप और सेमीफाइनल में रहती है। उसे प्राइज मनी मिलती है। फाइनल में जीतने वाली टीम को टोटल प्राइस मनी का 50% हिस्सा मिलता है। उदाहरण के लिए इनकी प्राइस मनी 20 करोड़ हो, तो 10 करोड़ सीधा आईपीएल फ्रेंचाइजी मालिकों के खातों में जाता है। बाकी रनर-अपों के लिए 6 करोड़ 15 लाख और थर्ड और फोर्थ लेस वाली टीम को 4 करोड़ 30 लाख रुपए मिलते हैं लेकिन इस बार कोरोना की वजह से 20 करोड़ की प्राइस मनी को 10 करोड़ किया गया है।

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