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पवार का विपक्षी एकता से इतर बयान, पीएम डिग्री विवाद पर बोले- गैर जरूरी मुद्दा

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Sharad Pawar statement: गौतम अडानी मुद्दे पर विपक्षी दलों से अलग राय रखने के बाद शरद पवार ने विपक्ष के एक और मुद्दे से इतर बयान दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi Degree Row) की डिग्री पर उठ रहे विपक्ष के सवालिया मुद्दे को NCP प्रमुख Sharad Pawar ने समय को बर्बाद करने जैसा बताया है। उन्होंने कहा कि ये समय बर्बादी के अलावा कोई मुद्दा नहीं है। देश कई मुश्किल समस्याओं का सामना कर रहा है। ऐसे में उन पर ध्यान देने की जरूरत है।

गौरतलब है कि इससे पहले नेशनल कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख Sharad Pawar ने अडानी मामले पर भी विपक्ष के स्टैंड की आलोचना की थी और जेपीसी की मांग को खारिज कर दिया था। इसी कड़ी में एनसीपी के मुखिया और वरिष्ठ नेता Sharad Pawar ने एक बार फिर विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे मुद्दे से नाराजगी जाहिर की है।

Sharad Pawar

credit: google

क्या बोले शरद पवार (Sharad Pawar)

ये मुद्दा है… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिग्री विवाद (PM Modi Degree Row) का। उद्धव ठाकरे, अरविंद केजरीवाल सहित विपक्ष के कई नेता प्रधानमंत्री की डिग्री पर सवाल खड़े कर रहें है। वहीं, महाराष्ट्र के नासिक में जब Sharad Pawar से प्रधानमंत्री के डिग्री विवाद पर सवाल पूछा गया तो पवार ने पलटकर पत्रकारों से ही पूछ लिया, आज देश के सामने डिग्री का सवाल है क्या, आपकी डिग्री क्या है, मेरी डिग्री क्या है, क्या ये राजनीतिक मुद्दा है?

उन्होंने कहा कि बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, महंगाई ऐसे कई सवाल हैं और इन मुद्दों पर केंद्र सरकार पर हमला करना ही चाहिए। आज धर्म-जाति के नाम पर लोगों में दूरियां पैदा की जा रही हैं, आज महाराष्ट्र में बेमौसम बरसात की वजह से फसलें बर्बाद हो गईं, इस पर चर्चा बहुत जरूरी है।

मुद्दे पर मत भिन्नता आम- शरद पवार

अडानी के मुद्दे पर अलग राय की वजह से महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी में दरार पैदा होने की आशंका जताई जा रही है। Sharad Pawar पर बीजेपी की स्क्रिप्ट पढ़ने संबंधी आरोप भी लग रहें हैं। इन आरोपों पर सफाई देते हुए शरद पवार ने फिर समझाया कि आखिर उन्हे क्यों लगता है कि मौजूदा स्थिति में जेपीसी की जांच उचित नहीं है।

Sharad Pawar

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पत्रकारों के सवाल के जवाब में Sharad Pawar ने कहा, संसद में किसी मुद्दे पर किसी सदस्य को क्या कहना चाहिए इस पर मत भिन्नता हो सकती है। मेरा मत ये है कि जांच होनी चाहिए, लेकिन जांच के लिए जेपीसी माध्यम योग्य नहीं है। क्यों योग्य नहीं है इस पर बात करतें है। लोकसभा और राज्यसभा में सांसदों की संख्या पर जेपीसी की रचना होती है।

Sharad Pawar ने कहा कि उदाहरण के तौर पर अगर 21 सदस्यों की जेपीसी बनी तो लोकसभा में बीजेपी के 300 सदस्य हैं ऐसे में अगर 21 सदस्यों की जेपीसी बनती है तो उस जेपीसी में बीजेपी के करीब 14 से 15 सदस्य हो सकतें है और विपक्ष के 6 सदस्य हो सकतें है।

किसी कमेटी में 6 लोग कितना प्रभावी तरीके से काम कर पाएंगे इसको लेकर मेरे मन में शंका है। फिर भी अगर पूरा विपक्ष कह रहा है कि जेपीसी बने तो मुझे उसपर कोई आपत्ति नहीं है। Sharad Pawar ने आगे कहा कि इस साल मुझे विधानसभा, लोकसभा और राज्यसभा में काम करते हुए 56 साल हो गए है।

अगर कोई नेता 56 साल से विधि मंडल में काम कर रहा है तो उसे कुछ तो मालूम होगा और इसीलिए हमारा सोचना है कि जेपीसी के बजाय सुप्रीम कोर्ट की जांच ज्यादा उपयुक्त होगी लेकिन अगर कांग्रेस और अन्य साथी दल जेपीसी चाहते हैं तो हम उसका विरोध नहीं करेंगे।

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क्या है मामला

बता दें कि आम आदमी पार्टी और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी का कहना है कि देश का प्रधानमंत्री पढ़ा लिखा होना चाहिए। केजरीवाल तो प्रधानमंत्री की डिग्री की मांग को लेकर गुजरात हाईकोर्ट तक चले गए, जिसके लिए उन पर 25 हजार का जुर्माना भी लगा। उद्धव ठाकरे ने भी प्रधानमंत्री की डिग्री का मुद्दा उठाया है।

विपक्षी एकता से इतर Sharad Pawar

यह दूसरी बार है, जब Sharad Pawar ने विपक्ष के स्टैंड से अलग स्टैंड लिया है। हाल ही में शरद पवार ने गौतम अदाणी का बचाव किया था और जेपीसी की मांग को भी खारिज कर दिया था। वहीं विपक्ष द्वारा लगातार अदाणी मामले की जांच के लिए जेपीसी के गठन की मांग की जा रही है। अब डिग्री विवाद पर भी शरद पवार विपक्षी एकता से अलग दिखाई दे रहे हैं।

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