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फूलन देवी जिसने 22 ठाकुरों को एक साथ जान से मारकर ऐसे लिया था रेप का बदला

देश में दिन प्रतिदिन बलात्‍कार की कई भयानक घटनाएं सामने आ रहीं है, वहीं अगर रेप मामलें में दोषियों को सजा दिलाने की बात की जाए तो सरकार या तो असफल हो जाती है या फिर दोषियों को सजा देने में इतना समय लेती है कि फिर उस सजा का कोई मतलब नहीं रह जाता।

भारत के इतिहास में बलात्‍कार मामलें की कई ऐसी कहानियां दफ्न हैं जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगीं। देश में जब भी रेप की बात सामने आती है तो भारत के इतिहास में एक नाम हमेशा सामने आता है फूलन देवी।

शायद ही कोई ऐसा व्‍यक्ति होगा जो फूलन देवी के नाम से परिचित न हो। 90 के दशक का सबसे चर्चित नाम जिस पर बैंडिट क्वीन फिल्‍म भी बन चुकी है। लेकिन फूलन देवी के रेप के इतिहास और बलात्‍कार के उनके बदले की कहानी को बहुत लोग नहीं जानते।

10 साल की उम्र में हुई थी फूलन देवी की शादी-

घरेलू समस्‍यओं के चलते 10 साल की उम्र में फूलन देवी को शादी उनसे 30 से 40 बड़े आदमी से कर दी गई थी। शादी से परेशान होकर एक साल बाद दुर्व्यवहार, और एक अजन्मे बच्चे के साथ अपने मायके वापस आ गई, लेकिन वह हैरान रह गई जब उसके भाई ने उसे वापस ससुराल भेज दिया. वहां जा के पता चला कि उसके पति ने दूसरी शादी कर ली है. पति और उसकी बीवी ने फूलन की बड़ी बेइज्जती की. फूलन को घर छोड़कर आना पड़ा। लेकिन फूलन की समस्‍याओं का यहां अंत नही हुआ

1979 के जुलाई में डकैतों ने उसके घर में घुसकर उसका अपहरण कर लिया। इसके बाद अगले 72 घंटें तक नेता बाबू गुर्जर और उनके लोगों ने फूलन का रेप किया।

ऐसे लिया रेप का बदला

इस भयानक घटन के बाद फूलन देवी डाकुओं के गैंग में शामिल हो गई. 1981 में फूलन अनी गैंग के साथ बेहमई गांव लौटी. उसने दो लोगों को पहचान लिया, जिन्होंने उसका रेप किया था. बाकी छानवीन करने पर लोगों ने उसे कुछ नहीं बताया। अपने बदले की आग में फूलन ने गांव से 22 ठाकुरों को निकालकर गोली मार दी। इस घटना ने देश में सनसनी ला दी थी। यह वह दिन था जब फूलन को ‘देवी’ के रूप में जाना जाने लगा, एक ऐसा नाम जिसने भय और सम्मान दोनों को नियंत्रित किया।

फूलन देवी ने कुछ साल बाद आत्मसमर्पण कर दिया और अगले 11 महीने जेल में बिताए 1992 में, समाजवादी पार्टी ने उन्हें यूपी के मिर्जापुर से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया, जहाँ उन्होंने जीत हासिल की।

इस समय के दौरान, उन्होंने एकलव्य सेना का गठन किया, जो निचली जाति के समुदायों के सदस्यों को आत्मरक्षा सिखाने के लिए था। उन्होंने 1999 में अपना दूसरा कार्यकाल जीता।

22 लोगों के नरसंहार ने सवर्ण समाज के लोगों को नाराज कर दिया था और आखिरकार 2001 में शेर सिंह राणा ने धोखे से उनकी हत्या कर दी जब वह 37 साल की उम्र में संसद सदस्य के रूप में नियुक्‍त थीं।

70 और 80 के दशक में फूलन देवी के साथ जो भयानक त्रासदी हुईं, वह आज भी हो रही हैं, ऐसा ही हाल देश में अब भी है, रेप के मामलों में गिरावट नहीं आयी है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि हम उसे याद रखें, उसकी कहानी को याद रखें। रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर दिन कम से कम 4 दलित महिलाओं के साथ बलात्कार होता है।

रिपोर्ट के अनुसार देश में रेप के आकड़े-

द हिंदू के अनुसार, दलित महिलाओं के बलात्कार के मामलों में, राजस्थान 554 मामलों के साथ सबसे ऊपर है, इसके बाद उत्तर प्रदेश में 537 और मध्य प्रदेश में 510 मामले हैं।

2018 के बाद से, दलित महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 7.3% की वृद्धि दर्ज की गई थी। 11,829 मामलों में, उत्तर प्रदेश ने 2019 में दलित महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर्ज किए थे, इसके बाद राजस्थान में 6,794 और बिहार में 6,544 मामले दर्ज किए गए।

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