भारत का संविधान(Indian Constitution), हमारे देश की संवैधानिक राजनीति का आधार है। यह हमारे देश में संवैधानिक अधिकारों, हक़ों और अधिकारों का प्रणाली निर्धारित करता है। यह हमारे कानून का संग्रहण है। इसे आम बोल-चाल की भाषा में ‘कानून की किताब’ भी कहते हैं। संविधान का इतिहास हमारे देश के इतिहास से जुड़ा हुआ है, जो प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आज तक की स्थिति तक पहुँचा है। हमारा संविधान दुनिया का सबसे लम्बा लिखित संविधान है।
भारत का संविधान (Indian constitution): स्थापना से पहले
भारत का संविधान ने अपनी स्थापना से पहले ही, लोगों के मन में अपनी जगह बना ली थी। स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय जनता ने अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ा। इसके बाद, भारत में स्वतंत्रता प्राप्त हुई और एक स्वतंत्र, संवैधानिक राज्य बनाया गया। हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत कर लिया गया था, और सम्पूर्ण भारत में इसके एक महीने बाद, 26 जनवरी 1950 से प्रभाव में आया। इसे पूर्णतः बनने में 2 साल, 11 महीनें और 18 दिनों का वक़्त लगा। इसके लिए 114 दिनों तक बहस चली। कुल 12 amendment किए गये। आखिरी दिन 284 लोगों ने इस पर साइन किए।
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भारत का संविधान(Indian Constitution), भारतीयों द्वारा बनाया गया था। कोई विदेशी हाथ नहीं है। संविधान को लागू करने से पहले बहस के रूप में उचित लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन किया गया था। यह प्रत्येक भारतीय के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए खड़ा है।
Indian Constitution की विशेषता
इस संविधान में, हमारे देश के सभी जनता को समानता, स्वतंत्रता और अधिकारों का सुरक्षा प्रदान किया गया है। इसमें संविधान के अनुसार, सरकार जनता की सेवाओं की जगह है और जनता सरकार से सुरक्षित होने की अपेक्षा रखती है।
इसके निर्माण के बाद, बदलते समय को देखते हुए इसमें अनेकों बदलाव भी हुए। वर्तमान में हमारे संविधान में 498 articles, 25 parts और 12 Schedules है। चूंकि यह परिवर्तन बदस्तूर जारी है और आगे भी होगा, इसीलिए सदैव मूल संविधान का डाटा ही याद रखना चाहिए।
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