चुनाव हारने के बाद ही बीजेपी के बड़े नेता सीएम शिवराज से दमोह चुनाव हराने वाले लोगों पर कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं। दरअसल दमोह उपचुनाव में भाजपा के राहुल सिंह लोधी को कांग्रेस के अजय टंडन के हाथों जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा है।
चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन ने भाजपा के राहुल सिंह को 17089 वोटों से हराया है। चुनाव में लगभग 52 प्रतिशत वोट कांग्रेस के खाते में आए, जबकि 40 प्रतिशत वोट भाजपा के पक्ष में गए।
लोधी का आरोप अपना पोलिंग बूथ ही नहीं जिता पाए मलैया :
चुनाव के परिणाम आने के बाद जहां कांग्रेस के खेमें में खुशी की लहर दौड़ गई है। वहीं भाजपा में एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने का दौर शुरू हो गया है। दमोह उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रहे राहुल सिंह ने हार के लिए भितरघात को प्रमुख कारण बताया है। उन्होंने हार का ठीकरा पूर्व मंत्री जयंत मलैया के सिर पर फोड़ते हुए कहा है कि भाजपा जयंत मलैया के कारण ही चुनाव हारी है।
भाजपा प्रत्याशी ने कहा है कि जिन्हें शहर का प्रभारी बनाया गया, उनके वार्ड में ही भाजपा हार गई। जो पार्टी को मां कहा करते थे, उनका ही वार्ड पोलिंग हार गए। मलैया परिवार की रणनीति सफल हुई और हम चुनाव हार गए।
शुरू से ही बागी थे मलैया :
दरअसल भाजपा सरकार में वित्त सहित कई महत्पवूर्ण विभाग संभाल चुके जयंत मलैया शुरू से ही दमोह चुनाव में बागी तेवर दिखा रहे थे। दरअसल दमोह उपचुनाव में भाजपा के वरिष्ठ नेता जयंत मलैया टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन भाजपा ने उनका टिकट काट कर कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए राहुल लोधी को भाजपा का उम्मीदवार बनाया था।
इसके बाद मलैया परिवार ने बागी रुख अख्तियार कर लिए थे। यहां तक की जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया ने चुनाव में अपनी दावेदारी भी पेश कर दी थी। इसके बाद मलैया को खुश करने के लिए उन्हें मनाने का दौर शुरू हुआ, जिसके बाद सिद्धार्थ ने चुनाव में अपनी दावेदारी तो वापिस ले ली।
लेकिन मलैया परिवार के मन में बसा पद का मोह शायद निकल नहीं पाया, जिसका परिणाम उपचुनाव में भाजपा की हार के रूप में देखने को मिल रहा है।
कौन है राहुल सिंह लोधी :
राहुल सिंह लाेधी दमोह में कांग्रेस का जाना पहचाना चेहरा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में राहुल ने जयंत मलैया को हराकर इस सीट पर कांग्रेस का झंडा लहरा दिया था। इसके पहले मलैया इसी सीट से जीतकर सात बार विधानसभा जा चुके थे। वहीं लोधी सिंधिया खेमे के विधायकों की देखादेखी भाजपा में शामिल हो गए थे, जिसके बाद उन्हें दमोह सीट से भाजपा का भावी उम्मीदवार घोषित किया गया था।
1990 से ही मलैया का प्रभुत्व है दमोह में :
जयंत मलैया भाजपा के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक हैं। दमोह सीट का इतिहास टटोला जाए तो इस सीट पर 1990 से भाजपा का कब्जा रहा है। पूर्व वित्तमंत्री जयंत मलैया 1990 से 2018 तक इसी सीट से 6 बार चुनाव जीत कर विधानसभा गए हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया की बगावत के कारण वे कांग्रेस के राहुल सिंह लोधी से मात्र 758 वोटों से हार गए थे।