Madhya Pradesh

Pandit Pradeep Mishra: पंडित प्रदीप मिश्रा के बारे में पूरी जानकारी, ऐसी है कथावाचक से कुबेरेश्वर धाम तक की कहानी

Pandit Pradeep Mishra

Pandit Pradeep Mishra: पंडित प्रदीप मिश्रा मध्य प्रदेश के जिला सीहोर के रहने वाले हैं। वर्तमान में सीहोर जिले के चितावली हेमा ग्राम में बना कुबेरेश्वर धाम खूब चर्चा में रहा है।

कुबेरेश्वर धाम (Kubereshwar Dham) की स्थापना और इसका निर्माण देश और दुनिया में फेमस कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा (Pandit Pradeep Mishra) ने करवाया है।

यह कुबेरेश्वर धाम (Kubereshwar Dham) काफी चर्चा का विषय बना हुआ है, वो इसलिए क्योंकि यहां पर फ्री में रुद्राक्ष का वितरण किया जा रहा है।

मध्यमवर्गीय परिवार से थे Pandit Pradeep Mishra

पंडित प्रदीप मिश्रा सीहोर जिले के रहने वाले हैं। वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते थे। एक वक्त था जब उनके पिता चने का ठेला लगाकर आजीविका कमाते थे और घर चलाते थे।

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वहीं प्रदीप मिश्रा एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक के तौर पर काम करते थे। इसके अलावा वह आसपास के मोहल्लों में पंडिताई का काम भी करते थे। लेकिन जब समय का पहिया घूमता है, तो छप्पर फाड़ के मिलता है।

ऐसा ही हुआ कुछ पंडित प्रदीप मिश्रा (Pandit Pradeep Mishra) के साथ, आज कहा जाए कि साक्षात कुबेर भगवान की उन पर ऐसी कृपा हुई कि कुबेरेश्वर धाम पूरी दुनिया में फेमस होता जा रहा है।

चाय की दुकान चलाई

एक न्यूज चैनल में दिए इंटरव्यू में पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि वह एक बहुत ही सामान्य गरीब परिवार से हैं। पिता के परिवार में तो कई लोग सर्विस में रहे, लेकिन पिता इतना नहीं पढ़ सके कि वे नौकरी कर सकें, तभी तो उनके पास कोई धंधा नहीं था।

वे चने का ठेला लगाकर जीवन यापन कर रहे थे। पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि उनके जन्म के वक्त पिता के पास इतना पैसा भी नहीं था, कि वे अस्पताल में दाई को पैसे दे पाते। इसलिए उनका जन्म आंगन में एक तुलसी के क्यारे के ओटले पर हुआ था।

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वो तुलसी का कुड़ आज भी उनके घर पर रखा हुआ है। उन्होंने आगे बताया कि उनके पिता ने पहले चने का ठेला, फिर चाय की दुकान चलाई। इसके अलावा साइकिल पर एजेंसी का काम भी किया और पढ़ाई भी चलती रही।

चकलेश्वर बाबा का आशीर्वाद है

पंडित प्रदीप मिश्रा ने एक कहानी सुनाते हुए बताया कि सीहोर में एक गीता बाई पाराशर रही हैं। वे कई जगह खाना बनाने का काम करती थीं। उनके पिता के जाने के बाद उन्होंने एक श्रीमद भागवत कथा कराने का संकल्प लिया था।

लेकिन उनके पास पैसा नहीं था, जिसके चलते उन्होंने घर पर कथा कराई। उस समय मेरे पास ना तो भागवत थी और ना ही धोती थी। उन्होंने मुझसे कहा कि पहले आप गुरू की दीक्षा लें। इसके बाद वह गुरू दीक्षा लेने इंदौर गए।

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पंडित जी कहते हैं कि उनके गुरू ने उन्हें धोती पहनना सिखाया। मेरे गुरू जी ने मुझे एक छोटी सी पोटली मेरे हाथ में देते हुए कहा कि तुम्हारे पांडाल खाली नहीं रहेंगे। फिर तो वो दिन था कि आज का दिन है उनकी मेरे ऊपर कृपा बनी हुई है।

इसके बाद वह गोवर्धन की परिक्रमा करने जाते थे, तो पैसे नहीं होने के कारण वे बिना टिकट के ही डिब्बे में बैठ जाते थे। वहां पर चकलेश्वर महादेवहैं। चकलेश्वर बाबा से बैठकर ऐसे ही चर्चा करते थे, जिससे उनकी  कृपा आज तक बनी हुई है।

एक कथा के 20 लाख है दक्षिणा?

ऐसा बताया जाता है कि पंडित प्रदीप मिश्रा देश और दुनिया के महंगे कथावाचकों में से एक है। वह एक कथा करने का लगभग 20 लाख से 40 लाख रुपये तक लेते हैं।

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इसके अलावा बड़ी तादात में दान कुबेरेश्वर धाम के लिए भी मिलता है। हाल ही में कुबेरेश्वर धाम पर रुद्राक्ष वितरण के चलते कुछ लोगों को जान भी गंवानी पड़ी है।

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