मध्यप्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज अपना 63 वां जन्मदिन मना रहे हैं, उनके जन्मदिन के खास मौके पर उन्हें देश भर के बड़े नेताओं द्वारा शुभकामनाएं मिल रहीं हैं। राजनीति की ऊचाईयों पर अपना नाम बनाने वाले शिवराज सिंह चौहान का जीवन संघर्षो से भरा हुआ है उनकी कहानी में सफलता और बदनामी दोनों ही हैं।
आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम बात करने वाले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जीवन से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में जो आपको हैरान कर देगें।
शिवराज सिंह चौहान का राजनीति करियर:
- सीएम शिवराज मध्यप्रदेश के बहुत ही चहेते मुख्यमंत्री माने जाते हैं, यही कारण है कि वे 2005, 2009, और 2014 में वे एकतरफा चुनाव जीतकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए।
- इतना ही नहीं मुख्यमंत्री 2019 में कांग्रेस की जीत के बाद कमलनाथ सरकार चुने जाने के बाद भी 2021 में उनकी फिरसे मुख्यमंत्री के तौर पर वापसी हुई जब ज्योतिराव सिंधिया ने कांगेस पार्टी से इस्तिफा दिया।
- 2005 से पहले वे 1991 से लेकर 1998 तक मध्यप्रदेश से मेम्बर ऑफ पार्लेमेंट भी चुने गए।
- राजनीति में उनकी शुरूआत 1972 में हुई जब वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े
- 1975: मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल के छात्र संघ के अध्यक्ष रहे
- 1976: आपातकाल के खिलाफ आंदोलन में भाग लिया।
- 1978: आयोजन सचिव ए.बी.वी.पी. के रूप में काम किया।
- 1978: ए.बी.वी.पी के संयुक्त सचिव।
- 1980: ए.बी.वी.पी के महासचिव।
- 1982: राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य ए.बी.वी.पी.
- 1984: भारतीय जनता युवा मोर्चा के संयुक्त सचिव
- 1985: भारतीय जनता युवा मोर्चा के महासचिव
- 1988: भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष
- 1990: बुदनी निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए
- 1991: एबीवीपी के संयोजक
मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान पर लगे आरोप
- सीएम शिवराज का जीवन सिर्फ सफलताओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वे ऐसे कई आरोपो से घिरे हुए हैं जिनके जबाव मिलना मुश्किल है।
- 2007 में मुख्यमंत्री शिवराज और उनकी पत्नी साधना सिंह का नाम ‘डम्पर घोटाले’ में आया था। लोकायुक्त पुलिस ने सीएमसी और सीएम की पत्नि साधना सिंह के खिलाफ आईपीसी 420 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया और मामले की जांच शुरू की हालांकि, 2011 में, अपर्याप्त सबूतों के कारण दोनों को क्लीन-चिट दे दी गई थी।
- 2008 से लेकर 2015 तक चलने वाले व्यापम घोटालें में सीएम शिवराज पर कई बड़े आरोप लगाए गए थे। 2009 में, इंदौर के एक चिकित्सक और कार्यकर्ता डॉ। आनंद राय ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की, जिसमें व्यापम द्वारा परीक्षा और भर्ती प्रक्रिया में खामियों को उजागर किया गया था।
- नवंबर 2009 में, क्षेत्रीयता को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने मध्य प्रदेश के उद्योगपतियों को स्थानीय लोगों को नियुक्त करने के लिए कहा, न कि बिहारियों को। उनकी टिप्पणियों की पूरे भारत में बहुत आलोचना हुई, विशेषकर बिहार के राजनेताओं द्वारा।
- जून 2017 में मध्यप्रदेश के मंदसौर में विरोध प्रदर्शन करते हुए पुलिस फायरिंग में मारे गए किसानों को लेकर उनकी बड़ी आलोचना हुई थी।
- जनवरी 2018 में, एक विवादित वीडियो के बाद शिवराज सिंह चौहान विवादों में आए। जब उन्होंने अपने कथित अंगरक्षक को मीडिया में थप्पड़ मारा, जो कि सरदारपुर में एक रोड शो के दौरान हुआ था।