केंद्र सरकार की तरफ से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा मंगलवार को देश के कई कलाकारों को पद्म श्री अवार्ड दिया गया है जिसमें मध्य पद्रेश की भूरी बाई का नाम भी शामिल है। भूरी बाई एक भारतीय भील कलाकार हैं।
पिटोल गाँव में जन्मी, यह मध्य परदेश और गुजरात की सीमा पर स्थित है, लेकिन पिटोल मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले का एक गाँव है, भूरी बाई भारत के सबसे बड़े आदिवासी समूह भीलों के समुदाय से संबंधित है। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कलाकारों को दिए जाने वाले सर्वोच्च राजकीय सम्मान शिखर सम्मान सहित कई पुरस्कार जीते हैं।
झाबुआ (मध्य प्रदेश) की भील पेंटर भूरी बाई को कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए इस बार भी पद्म श्री से सम्मानित किया। पुरस्कार हासिल करने के बाद भूरी बाई ने मीडिया से अपनी खुशी शेयर करते हुए कहा, कि ”मैं…इस पुरस्कार को पाकर बहुत खुश हूं, मेरी पेंटिंग ने मुझे एक मज़दूर से कलाकार बना दिया…कभी सोचा नहीं था कि मुझे राष्ट्रपति से मिलने का मौका मिलेगा।”
यहां देखें वीडियो:
आदिवासी भील पेंटिंग बनाने के लिए मुझे पद्म श्री पुरस्कार दिया गया है, मैं और मेरा परिवार इस पुरस्कार को पाकर बहुत खुश है, मेरी पेंटिंग ने मुझे एक मजदूर से कलाकार बना दिया है : भूरी बाई#Padma2021 pic.twitter.com/0crrrUAIJx
— डीडी न्यूज़ (@DDNewsHindi) November 9, 2021
पद्म श्री भूरी बाई का काम में गहरे आत्मकथात्मक तत्व शामिल हैं, उनकी जमीन से जुड़ी पेंटिंग को दुनिया भर से लोग देखने आते हैं और भील क्लचर को समझते हैं। भूरी बाई बताई है कि “ये मेरे चेहरे पर टैटू हैं। आंखों के किनारे के पैटर्न को नखिया कहा जाता है। हमें नहीं पता था कि काजल क्या है या पाउडर क्या है। ये टैटू थे हमारे स्थायी काजल। वे गालों पर भी हैं। ठुड्डी पर मौजूद बिंदुओं को दाढ़ी, दाढ़ी वाला टैटू कहा जाता है। मैंने उन सभी को एक बार में नहीं बनवाया …. मेरे समुदाय में यह मान्यता है कि यदि आपके चेहरे पर टैटू नहीं है, तो कोई भी आपसे शादी नहीं करेगा, और एक बार जब आप मर जाएंगे, तो भगवान भी आपको पहचान नहीं पाएंगे। स्वर्ग में,”