Sharad Pawar ने कहा पहले हम विपक्षी पार्टी के बारे में बात किया करते थे, लेकिन आज हमारे पास केवल अंबानी-अदाणी के काम पर चर्चा करने के अलावा दूसरा कुछ नही है।
आज अंबानी-अदाणी सरकार की आलोचना के लिए इस्तेमाल होने लगा है, हमें देश के लिए उनके योगदान के बारे में सोचना चाहिए। मुझे लगता है कि हमारे लिए बेरोजगारी, महंगाई और किसानों का मुद्दा ज्यादा अहम है।
Sharad Pawar ने इन मुद्दों पर चर्चा की
राकांपा अध्यक्ष Sharad Pawar ने अदाणी मुद्दे पर जेपीसी के गठन की मांग को लेकर अपना पक्ष रखा है। उन्होंने कांग्रेस की ओर से बार-बार संसद में उठाई जा रही इस मांग से खुद को अलग रखते हुए कहा कि इससे कुछ खास फायदा नहीं होगा।
पवार ने आगे कहा, “मेरी पार्टी ने अदाणी मुद्दे पर जेपीसी का समर्थन किया है, लेकिन मुझे लगता है कि जेपीसी पर सत्तासीन पार्टी का कब्जा रहेगा, इसलिए इससे सच्चाई सामने नहीं आ पाएगी। तो मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाला पैनल ज्यादा बेहतर तरीके से सच्चाई सामने ला सकता है।”
2024 के आम चुनाव पर शरद पवार का सुझाव-
एनसीपी प्रमुख ने 2024 आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों की एकता को लेकर भी अहम बयान दिया। Sharad Pawar का कहना है कि विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे पर एक संयुक्त बैठक की, जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा हुई। कुछ मसलों पर हमारी सहमति नहीं थी और हमने उन बातों को लेकर अपने विचार भी रखे।
शरद पवार के बयान के बाद कांग्रेस की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस लगातार हिडनबर्ग की रिपोर्ट को आधार बनाकर अडानी के बहाने हमलावर है। रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस जेपीसी की मांग कर रही थी, लेकिन कांग्रेस के ही सहयोगी नेता शरद पवार ने हिडनबर्ग की रिपोर्ट को संदेहास्पद करार दे दिया है।
एएनआई से Sharad Pawar ने कहा कि एक जमाना ऐसा था जब सत्ताधारी पार्टी की आलोचना करनी होती थी तो हम टाटा-बिड़ला का नाम लेते थे। टाटा का देश में योगदान है। आजकल अंबानी-अडानी का नाम लेते हैं, उनका देश में क्या योगदान है, इस बारे में सोचने की आवश्यकता है।
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पवार के बदलते रुख पर चर्चा
वीर सावरकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री को लेकर विपक्ष ने खूब हल्ला मचाया, लेकिन पवार ने दोनों ही मामलों को ज्यादा तूल नहीं दिया।
बल्कि दोनों ही मामले में Sharad Pawar बीजेपी के साथ खड़े दिखाई दिए। अब अडानी मामले में भी पवार ने कांग्रेस सहित तमाम विरोधी दलों से अपना रास्ता अलग कर लिया है। इससे राजनीतिक में पवार एक बार फिर चर्चा में हैं।
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