माथे पर लाल बिंदी, लाल कपडे और लंबे खुले बाल वाले महाराज कालीचरण इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चाओं का विषय बने हुए हैं। हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में अपने विवादित बयानों और माहत्मा गांधी को गाली देने वाले बयानों को लेकर कालीचरण महाराज काफी चर्चाओं में हैं।
इन वायरल वीडियो में अकोला के कालीचरण महाराज ना सिर्फ महात्मा गांधी को गाली दे रहे हैं बल्कि लोगों से कट्टर हिंदू बनने का आग्रह कर रहे हैं। यहां देखें उनके वीडियो:
At yet another anti-Muslim Dharam Sansad, Kalicharan Maharaj (a regular panellist on Sudarshan TV and shows of far-right YouTuber Pushpendra Kulshrestha) abuses Mahatma Gandhi and glorifies his assassin. This time in Congress ruled Chhattisgarh. pic.twitter.com/D2fkZkdu14
— Alishan Jafri (@alishan_jafri) December 26, 2021
I support #KalicharanMaharaj pic.twitter.com/9uDDhiB3ek
— Saurabh Hindustani (@Saurabh36893364) December 29, 2021
कौन हैं महाराज कालीचरण
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कालीचरण महाराज का असली नाम अभिजीत धनंजय सराग है जो मूल रूप से महाराष्ट्र के अकोला के शिवाजीनगर के रहने वाले हैं। धनंजय के परिवार की बात की जाए तो उनके पिता अकोला के जयन चौक में एक मेडिकल शॉप चलाते हैं। आर्थिक तंगी में अपना जीवन बिताने वाले कालीचरण महाराज इंदौर में पले बड़े है। कालीचरण महाराज सिर्फ 8वीं पास हैं और अब खामगांव में स्थित एक आश्रम की व्यवस्थाओं को संभालते हैं।
ऐसा बताया जाता है कि उन्होनें धर्मग्रंथो का गहन अध्ययन किया है और काली देवी के भक्त होने के कारण उन्होनें अपना नाम कालीचरण रखा इतना ही नहीं कालीचरण महाराज राजनीति में भी अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। वे कई बार अकोला पार्षद के लिए चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन अब कालीचरण महाराज कोई भी चुनाव जीतने में असफल रहे हैं।
काली पुत्र कलि चरण महाराज बचपन से ही ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हैं। ब्रह्मचर्य एक व्यक्ति द्वारा लिया गया एक व्रत है जिसमें वह किसी से विवाह नहीं करता है। उनके लिए प्यार केवल भगवान के लिए है। ब्रह्मचारी बनने के बाद उन्होंने अगस्ती ऋषि को दीक्षा दी।
बचपन में जब साथी बच्चे काली देवी से डरते थे, तो उन्होंने देवी काली के लिए प्रेम और भक्ति विकसित की। उन्होंने अपनी छोटी सी उम्र में वेदों और उपनिषदों का अध्ययन किया। अकोला जिले के रहने वाले महाराज ने 22 जून को कुछ मित्रों और शिष्यों के साथ भोपाल से करीब 30 किलोमीटर दूर 11वीं सदी के भोजपुर मंदिर के दर्शन किए। वैदिक संगीत में उनकी बहुत रुचि है। उन्होंने शिव तांडव स्तोत्रम गाया है जो यूट्यूब पर उपलब्ध है।
यहां देखें वीडियो: