प्रमुख रूप से यहां पर जामुन बहेड़ा अर्जुन नीम पीपल सागौन तेंदु बेल खैर गूलर टैसू चिरौंजी कोहा इमली सेमल महुआ चरवा बेर मकोई आंवला और बरगद सहित अन्य इमारती वृक्ष और औषधियां यहां मौजूद हैं। वन विभाग की गणना के मुताबिक इस पूरे क्षेत्र में लगभग 2 लाख 15 हजार 875 वृक्ष यहां मौजूद हैं। टि्वटर पर अब भी #Save_Buxwaha_forest और #बक्सवाहा_बचाओ_अभियान जैसे हैशटैग अब भी ट्रैंड कर रहे हैं।
जंगल बचाने जुटे हुए हैं पर्यावरण प्रेमी :
कुछ समय से बक्सवाहा की इस अमूल्य धरोहर को नष्ट करने की खबर जब से सामने आई है। तब से देशभर के पर्यावरणप्रेमी इसे बचाने के लिए अपने अपने स्तर पर जुट गए हैं। दरअसल एक सर्वे के मुताबिक बक्सवाहा में 3.42 करोड़ कैरेट हीरे प्राप्त हुए हैं। जो पन्ना में मिले हीरे के भंडार से 15 गुना से भी ज्यादा हैं।
इसके बाद से ही इस क्षेत्र में खनिज विभाग की हलचल बढ़ गई है, जिसकी जानकारी सामने आने के बाद देश भर के पर्यावरण प्रेमी इस स्थान को संरक्षित करवाने के लिए इकट्ठा हो गए हैं।
We can live without diamond, but can’t without air, water. If we cut this forest then we are killer of million of birds, animal and creature. Have these creatures no right to live.
SAVE BUXWAHA FOREST @ndtvindia @PTI_News
@yaifoundations @earth
#save_buxwaha_forest pic.twitter.com/WxFyMocnv4— Sounds of earth (@Jatinde66925973) May 15, 2021
बक्सवाहा के खत्म हो जाने से इस तरह बदलेगा पर्यावरण :
पर्यावरणविदों की मानें तो इस जगह यदि वन संपदा को नष्ट किया गया तो प्राकृतिक संपदा तो खत्म होगी ही, जैव मंडल पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा। वनों के नष्ट हो जाने से यहां का भूजल स्तर नीचे चला जाएगा, जिसके कारण जमीन बंजर होने लगेगी। यहां का ज्यादातर क्षेत्रफल रेगिस्तान की तरह बंजर हो जाएगा।
इसके कारण सागर, छतरपुर और दमोह जिले का तापमान बढ़ने लगेगा। लोगों को गर्मी के मौसम में ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। बारिश का पैटर्न भी गड़बड़ा जाएगा, जिसके कारण कभी ज्यादा बारिश से बाढ़ की स्थिति बनेगी तो कभी सूखा पड़ेगा। जंगल नष्ट होने से ऑक्सीजन की आपूर्ति घटेगी, जिसके कारण ओजोन लहर में भी छिद्र बनने की स्थिति पैदा होगी। जिससे कैंसर जैसी बीमारियों के बढ़ने की आशंका होगी।
हीरा नहीं वन चाहिए।
जीवन जीने के लिए हमें यही धन चाहिए ।
हमे सिर्फ वन ही चाहिए।पुरुड़ जोहार ????
हुल जोहार ????
#saveearth #SaveNature #SaveTribal #saveBuxwahaforest pic.twitter.com/KvObuynzdo— Rohit_uikey_750_ ???? (पुल्ली) NATIVE INDIGENOUS (@ruikey26) May 28, 2021
तेजी से बढ़ेगा प्रदूषण, फैलेंगी बीमारियां :
इसके अलावा जल, वायु और मृदा प्रदूषण बढ़ेगा, जिसके कारण लोगों में पेट, सांस और त्वचा संबंधित रोगों में इजाफा होगा। ओजोन लहर के नष्ट होने का प्रभाव वैश्विक होगा। इससे लोगों में कैंसर जैसी बीमारियों के होने की आशंका बढ़ेगी। वहीं पानी में भारी धातुएं मिलेंगी, जिससे शरीर में कई तरह की समस्याएं पैदा हो जाएंगी।
जंगलों के नष्ट होने से इस क्षेत्र में रहने वाले कई वन्य प्राणी जैसे तेंदुआ, हिरण, लोमड़ी, सियार और जंगली खरगोश नष्ट हो जाएंगे। सरिसृपों की कई प्रजातियां भी खत्म हो जाएंगी।
पेड़ काट के तीर मार रये,
हीरा इनके मन खो भाय,
साँसन की तो बीदी फिर रही,
जनता इनखो है समझाय,#SaveBuxwahaForest#saveforest#SaveTreeSaveEnvironment#SaveTreeSaveNature#savetrees@sarvaayudh pic.twitter.com/t3gRkPAMn6— Save Buxwaha Forest (@baxwaha) May 30, 2021