Zakir Husain passed away: विश्व विख्यात तबला वादक और पद्म विभूषण उस्ताद Zakir Husain का निधन हो गया है। उनके परिवार ने सोमवार सुबह इसकी पुष्टि की। परिवार के मुताबिक हुसैन इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित थे। परिवार ने बताया कि वे पिछले दो हफ्ते से सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में भर्ती थे। हालत बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया। वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली।
जाकिर का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। उस्ताद Zakir Husain को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
Zakir Husain को थीं ये बीमारियां
इडियोपैथिक पल्मोनरी क्रॉनिक कैंसर में फेफड़े के ऊतक क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। सांस फूलना और गले में खांसी इसके शुरुआती लक्षण हैं। फेफड़े के ऊतक क्षतिग्रस्त होने से खून में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती। इससे शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचने में दिक्कत होती है और धीरे-धीरे अंग काम करना भी बंद कर देते हैं।
Zakir Husain को संगीत में कई पुरस्कार मिले
Zakir Husain को अमेरिका में भी काफी सम्मान मिला। 2016 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में भाग लेने के लिए व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया था। जाकिर हुसैन यह आमंत्रण पाने वाले पहले भारतीय संगीतकार थे।
उस्ताद जाकिर हुसैन
Zakir Husain में बचपन से ही धुन बजाने का हुनर था। वह कोई भी सपाट सतह देखते ही अपनी उंगलियों से धुन बजाना शुरू कर देते थे। वह रसोई में बर्तनों को भी नहीं छोड़ते थे। उन्हें जो भी मिलता, उस पर बजाना शुरू कर देते थे, चाहे वह तवा हो, बर्तन हो या थाली।
शुरुआती दिनों में उस्ताद जाकिर हुसैन ट्रेन से सफर करते थे। पैसे की कमी के कारण वह जनरल कोच में सफर करते थे। अगर उन्हें सीट नहीं मिलती तो वह फर्श पर अखबार बिछाकर सोते थे। यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी का पैर तबले पर न लगे, वह उसे गोद में रखकर सोते थे।
Zakir Husain जब 12 साल के थे, तब वे अपने पिता के साथ एक कॉन्सर्ट में गए थे। उस कॉन्सर्ट में पंडित रविशंकर, उस्ताद अली अकबर खान, बिस्मिल्लाह खान, पंडित शांता प्रसाद और पंडित किशन महाराज जैसे संगीत के दिग्गज शामिल हुए थे। जाकिर हुसैन अपने पिता के साथ स्टेज पर गए। परफॉर्मेंस खत्म होने के बाद जाकिर को 5 रुपये मिले। एक इंटरव्यू में इसका जिक्र करते हुए उन्होंने कहा- मैंने अपनी जिंदगी में खूब पैसा कमाया, लेकिन वो 5 रुपये सबसे कीमती थे।
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इस फिल्म में किया काम
Zakir Husain ने कुछ फिल्मों में अभिनय भी किया है। उन्होंने 1983 में एक ब्रिटिश फिल्म हिट एंड डस्ट से अपने करियर की शुरुआत की थी। इस फिल्म में शशि कपूर ने भी काम किया था। जाकिर हुसैन ने 1998 में आई फिल्म साज में भी काम किया था। इस फिल्म में हुसैन के अपोजिट शबाना आजमी थीं।
जाकिर हुसैन को फिल्म मुगल-ए-आजम (1960) में सलीम के छोटे भाई का रोल भी ऑफर किया गया था, लेकिन उनके पिता उस्ताद अल्लारखा ने उन्हें फिल्म में काम करने से मना कर दिया था। वे चाहते थे कि उनका बेटा सिर्फ संगीत पर ही ध्यान दे।
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