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Schizophrenia: एक ऐसी बीमारी जिसमें भूत प्रेत समझकर मरीज़ को किया जाता है टॉर्चर

आइए आज बात करते हैं उन लोगों कि जो वास्तविकता की दुनिया से दूर अपनी ख्यालों की जिंदगी में रहते हैं। जी हां, आज के दौर में युवाओं में नई-नई प्रकार की बीमारी पाई जा रही है। जिनमें से एक है सिजोफ्रेनिया, ये एक मानसिक बीमारी है जो कि बहुत गंभीर बीमारी मानी जाती है।

सिजोफ्रेनिया (schizophrenia) में मरीज एक भ्रम की जिदंगी जीने लगते हैं। सिजोफ्रेनिया के मरिजों को लोग स्प्लिट पर्सनैलिटी वाले समझते हैं जबकि ये एक दूसरे प्रकार डिसऑर्डर है। 

सिजोफ्रेनिया के लक्षण Symptoms of Schizophrenia

इस बीमारी के लक्षण हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी लक्षण है जो कि आमतौर पर सिजोफ्रेनिया के मरिजों में नजर आते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ आम लक्षणों के बारे में-

  • भ्रम की दुनिया में जीना – इस बीमारी में रोगी एक ऐसी दुनिया में जीने लगता है जो कि वास्तविकता में होती ही नहीं है। सिजोफ्रेनिया में रोगी खुद की दुनिया बना लेता है जिसको हम ख्यालों की दुनिया भी कहते हैं। इसमें रोगी सोचने लगता है कि वो सबसे अलग है, जो मन चाहे वो कर सकता है। ऐसा कहा जाता है कि इस बीमारी में रोगी भूतों के वश में हो जाता है।
  • अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देना- इस बीमारी में  रोगी को अलग-अलग आवाजें सुनाई देने लगती है। जो आवाजें किसी को सुनाई नहीं देती वो सिजोफ्रेनिया के रोगी सुनाई देने लगती है। आम बोलचाल में इन आवाजें को भूतों की आवाज कहा जाता है।
  • खुद को आम दुनिया से अलग कर लेना- सिजोफ्रेनिया में रोगी बहुत अलग-अलग को चीजों को देखना, महसूस करना शुरू कर देता है जो वाकई में नहीं होती लेकिन इनको ये एकदम सच लगती है। इसी वजह से वो लोगों से दूर होने लगता है और अपनी एक नई में जीने लगता है।

सिजोफ्रेनिया के कारण:  Causes of schizophrenia

  • डॉक्टरों का कहना है कि सिजोफ्रेनिया के लक्षणों की पहचान करना आमतौर पर मुश्किल हो जाता है। सिजोफ्रेनिया कई वजहों से हो सकता है जैसे कि बायोलॉजिकल, जेनेटिक या फिर सामाजिक स्थिति। कुछ शोध में सिजोफ्रेनिया के मरीजों के मस्तिष्क संरचनाओं में कई तरह की असामान्यताएं दिखने को मिली भी है।

सिजोफ्रेनिया का इलाज – Treatment of schizophrenia

अभी तक सिजोफ्रेनिया जैसी बीमारी से ठीक होने के लिए कोई एक इलाज नहीं ढूंढा गया है जो कि इसके रोगियों को ठीक कर सके। लेकिन फिर भी इसके कई लक्षणों को राहत देने के लिए कुछ दवाईयां है। जिनको नियमित रूप से खाने से कुछ लक्षण कम किए जा सकते हैं। जैसे कि सिजोफ्रेनिया के मरीजों को आमतौर पर एंटीसाइकोटिक दवाएं दी जाती हैं। कुछ मरीजों की खास थेरेपी की जाती है ताकि मरीज अपने तनाव से बाहर आ सके। कुछ लोगों को इससे बाहर लाने के लिए सोशल ट्रेनिंग दी भी जाती है। वहीं कुछ गंभीर मामलों में मरीज को अस्पताल में भर्ती करके इलाज करना पड़ता है। 

हालांकि सिजोफ्रेनिया में बताया जाता है कि जब तब रोगी खुद ठीक होने की कोशिश नहीं करता तब तक ठीक हो ही नहीं सकता जब कि ये बीमारी आसानी से ठीक होने वाली बीमारीयों में से नहीं है।

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