पिछले कुछ दिनों से कोरोना महामाही के साथ साथ एक और नई बीमारी काफी चर्चाओं में आ रही है जिसे हवाना सिंड्रोम कहा जाता है, हवाना सिंड्रोम के मामले वियतनाम में सामने आए हैं जिसके कारण अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने अपनी वियनताम यात्रा को कुछ समय के लिए टाल दिया है।
खबरों की माने तो इस रहस्यमय बीमारी ने पहली बार 2016 के अंत में हवाना, क्यूबा में तैनात अमेरिकी खुफिया अधिकारियों और दूतावास के कर्मचारियों को प्रभावित किया था। इस बीमारी के बारे में अभी काफी कम लोग जानते हैं।
हवाना सिंड्रोम (Havana Syndrome)
हवाना सिंड्रोम पहली बार 2016 के अंत में, अमेरिकी अधिकारियों में देखा गया। इस बीमारी में उन्होनें चेहरे पर तीव्र दबाव महसूस किया और दर्द, मतली, और चक्कर आना जैसे तेज लक्षणों का सामना किया। इसके अलावा कुछ लोगों ने ध्यान केंद्रित करने में परेशानी के साथ-साथ लगातार दर्द और चक्कर आने की शिकायत देखी गयी।
बाद के वर्षों में, कई खुफिया अधिकारियों और सैन्य कर्मियों में भी इस बीमारी के लक्षण देखे गए। बाद में इसकी जांच करने के डॉक्टर्स ने इस बीमारी को हवाना सिंड्रोम नाम दिया। साल 2021 में भी इसका खतरा बताया जा रहा जब अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने हवाना सिंड्रोम के लक्षणों के चलते वियतनाम यात्रा को कुछ समय के लिए टाल दिया।
हवाना सिंड्रोम के लक्षण
इस रहस्यमयी सिंड्रोम से पीडि़त मामलों में कुछ सामान्य लक्षण सामने आए हैं जो इस प्रकार है-
- कान में तेज दर्द और तेज आवाजे सुनाई देना।
- नाक से तेज खून निकलना।
- कमजोर याददाश्त या भूलने की बीमारी हो जाना।
- मतली, और चक्कर आना।
- तेज थकान होना।
- सिर चकराना, तेज माइग्रेन।
- प्रकाश संवेदनशीलता और नींद से संबंधित शिकायतें होना।
हवाना सिंड्रोम के कारण:
हालांकि वर्तमान समय में इस सिंड्रोम के मुख्य कारणों का पता नहीं चला है लेकिन हवाना सिंड्रोम के मामलों में की गई जांच में किसी जहरीले रसायन, कीटनाशक या दवा के आकस्मिक या जानबूझकर संपर्क के कारण ये सिंड्रोम होता है। हालांकि, प्रभावित लोगों या उनके घरों में ऐसे एजेंटों का कोई भी निशान नहीं पाया गया।
इसके अलावा हवाना सिंड्रोम का सबसे संभावित कारण किसी प्रकार का यांत्रिक उपकरण माना जा रहा है जो अल्ट्रासोनिक या माइक्रोवेव ऊर्जा तंरेगो का उत्सर्जन करता है।
हालांकि हवाना सिंड्रोम इतना घातक नहीं है, बस यह लोगों का काफी कमजोर करने वाला है अच्छी बात यह है कि दस सिंड्रोम से पीडि़त सभी व्यक्ति अभी भी जीवित हैं।
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