शुक्ल पक्ष की प्रदापदा तिथि को पहला नवरात्र पड़ता है, इस दिन मां शैलपुत्री की विशेष पुजा की जाती है, मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री है।
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द्वितीया तिथि में नवरात्र के दूसरे जिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी तपस्विनी रूप में होती हैं,भगवान शिव जको पति के रूप मे पाने के लिए मां पार्वती ने तपस्या की थी,तभी से उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।
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तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. इस दिन जो व्यक्ति व्रत रखता है, उसे सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
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नवरात्री के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति मां कुष्मांडा के उदर से हुई थी।
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नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. मां स्कंदमाता कार्तिकेय की माता हैं. इनकी उपासना करने से सभी सिद्धियां प्राप्त होती है।
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नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. इन्हें शहद का भोग लगाना चाहिए।
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नवरात्रि के सातवे दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है,इनकी पूजा में गुड़ का भोग लगाना चाहिए,इनकी पूजा करने से शोक से मुक्ति मिलती है।
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दुर्गा अष्टमी के दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है. इनकी पूजा करने से हर असंभव काम पूरे हो जाते हैं. इन्हें नारियल का भोग लगाना चाहिए।
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नवरात्रि के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.ये भक्तों के सभी काम सिद्ध कर देती हैं,इन्हें तिल का भोग लगाना चाहिए।