Shani Dev, Shani Sade Sati: ज्योतिष शास्त्र में शनि को विशेष स्थान प्राप्त है। इन्हें न्याय का देवता भी कहते हैं। शनि देव लोगों को उनके कर्म के अनुसार फल प्रदान करते हैं। इसलिए इन्हें कर्मफल दाता भी कहते हैं।
शनिवार का दिन न्याय के देवता शनिदेव को समर्पित होता है।
शनिवार को शनिदेव की पूजा-उपासना करने का विधान है। साधक शनिदेव की कृपा पाने के लिए प्रतिदिन न्याय के देवता की पूजा और मंत्र जाप कर सकते हैं। सनातन शास्त्रों में निहित है कि शनिदेव कर्मों के अनुरूप फल देते हैं। अच्छे कर्म करने वाले को अच्छे फल की प्राप्ति होती है। वहीं, बुरे कर्म करने वाले दंड के भागी होते हैं।

शनि की साढ़े साती?
शनि की साढ़ेसाती का अर्थ है साढ़े 7 साल की अवधि। शनि 12 राशियों को घूमने में 30 साल का समय लेते हैं अर्थात शनि एक राशि में ढाई साल रहते हैं। “जब कुंडली में जन्म राशि अर्थात चंद्र राशि से 12वें स्थान पर शनि का गोचर प्रारंभ होता है तो इसी समय से उस राशि पर Shani Sade Sati शुरू होती है”।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब शनि जन्म कुंडली में स्थित चंद्रमा से चतुर्थ भाव, अष्टम भाव में भ्रमण करते हैं, तो उसे शनि की छोटी Shani Sade Sati कहते हैं। इसके अलावा शनि ग्रह किसी की कुंडली के पहले, दूसरे, बारहवें और जन्म के चंद्र के ऊपर से गुजरे तब भी Shani Sade Sati होती है।
साढ़ेसाती के चरण
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, व्यक्ति के जीवन में Shani Sade Sati के तीन चरण होते हैं। शनि की साढ़े साती का प्रभाव जिन राशियों पर पड़ता है, उन्हें शारीरिक, मानसिक आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। जिन राशियों पर Shani Sade Sati चल रही होती है तो उन लोगों का जीवन बहुत कष्टकारी होता है। इसके प्रभाव को कम करने के लिए ये मंत्र और उपाय बहुत कारीगर होते हैं।
साढ़ेसाती से बचने के उपाय
Shani Sade Sati के कुप्रभाव से बचने के लिए शनिवार के दिन तिल और साबूत दाल का दान करना चाहिए। यह दान किसी गरीब ब्राह्मण और जरुरतमंद को देना चाहिए। वहीं, शनि के राशि परिवर्तन से कई राशि के जातक Shani Sade Sati और ढैया से पीड़ित हो जाते हैं। साढ़े साती की वजह से व्यक्ति के जीवन में अस्थिरता आ जाती है। इस दौरान मानसिक तनाव रहता है।

इसके अलावा, शारीरिक परेशानी और धन की हानि होती है। इसके लिए व्यक्ति को शनिदेव के शरण और चरण में रहकर अच्छे कर्म करना चाहिए। अगर आप भी Shani Sade Sati या ढैया से पीड़ित हैं, तो प्रभाव कम करने के लिए हर शनिवार को इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। आइए जानते हैं-
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शनि महामंत्र
ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
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शनि दोष निवारण मंत्र
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।
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शनि का पौराणिक मंत्र
ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
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शनि का वैदिक मंत्र
ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
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शनि गायत्री मंत्र
ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः।
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सेहत के लिए शनि मंत्र
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।
कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।
दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।
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तांत्रिक शनि मंत्र
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
साढ़े साती से बचाव का मंत्र
- ऊँत्रयम्बकं यजामहेसुगंनधम पुनिवधथिम। उवाथरुक नमव बन्धनान मृत्योमुथक्षीय मा मृतात।
- ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंयोरनिश्रवन्तु:। ऊँ शंशिैश्चराय नमः।
- ऊँ नीलांजिसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि Stackumbrella.In किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।