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कौन कहता है पैसों से Happiness नहीं खरीदी जा सकती, क्या आपको भी पैसों से खुशी प्राप्त करनी है जाने क्या कहती है रिसर्च

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कुछ लोगों का मानना ​​है कि पैसा Happiness नहीं खरीद सकता है, लेकिन एक नए अध्ययन से पता चला है कि यह सच नहीं है। वैज्ञानिकों का कहना है कि पैसा निश्चित रूप से आपको खुश नहीं कर सकता है, लेकिन यह आपको जीवन में आगे बढ़ने में मदद कर सकता है।

आपने अक्सर लोगों को एक दूसरे को सलाह देते हुए सुना होगा की पैसों से सिर्फ सुख सुविधाएं खरीदी जा सकती है Happiness नहीं। लेकिन हाल ही में एक रिसर्च ने इस सोच को पूरी तरह झुठला दिया है। जी हाँ, वैज्ञानिकों का मानना है की जिन लोगों की salary कम होती है, वे Depression में चले जाते हैं। जबकि आप अपने व्यक्तित्व के अनुसार पैसा खर्च करते हैं, तो इससे आपको Happiness का अहसास होता है। जरूरत के अनुसार पैसा खर्च करने से लाइफस्टाइल भी बेहतर होती है।

क्या कहती है कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के गलैडस्टोन

कौन कहता है पैसों से Happiness नहीं खरीदी जा सकती

Credit: Google

गलैडस्टोन के अनुसार वास्तविक लेन-देन के आंकड़ों को खंगालते हुए इस बात पर पहुँचे है कि खर्च हमारी Happiness को बढ़ा देता है। इसका इस्तेमाल सही वस्तुओं और सेवाओं पर किया जाए। वो सुविधाएं जो हमारे व्यक्तित्व के लिए उपयुक्त होने के साथ ही हमारी psychological जरूरतों को भी पूरा करती है।

क्या रहा निष्कर्ष

कौन कहता है पैसों से Happiness नहीं खरीदी जा सकती

Credit: Google

डैनियल काहनमैन और किलिंग्सवर्थ ने अपनी स्टडी में 18 से 85 साल की उम्र के बीच वाले लगभग 33 हज़ार 391 वयस्कों का सर्वे किया। यह सारे अमेरिका के कामकाजी लोग थे जिनकी इंकम $ 10,000 ( 8 लाख ) थी।

किलिंग्सवर्थ ने इन लोगों के Happiness के स्केल को जानने के लिए उन्हे स्मार्टफोन एप का इस्तेमाल करे के लिए दिया। यह एप किलिंग्सवर्थ ने खुद तैयार की थी। इसमे भाग लेने वाले लोगों से पूछा गया था कि आप अभी कैसा महसूस कर रहें हैं। जिसके जवाब बहुत खराब से लेकर बहुत अच्छे तक रहे।

कौन कहता है पैसों से Happiness नहीं खरीदी जा सकती

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इस स्टडी को करने के बाद किलिंग्सवर्थ ने यह निष्कर्ष निकाला, अधिकांश लोगों के लिए उनकी बढ़ती आय के साथ  बढ़ती है। मतलब कई लोगों के लिए औसत से अधिक पैसा होने से वो ज्यादा Happiness feel कर सकता हैं। लेकिन इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि प्रतिभागियों में से लगभग 20% लोग नाखुश थे। जिनका दुख एक सीमा तक बढ़ती आय के साथ कम होता है, लेकिन फिर आगे कोई प्रगति नहीं दिखती है।

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ऐसे लोग नकारात्मक दुख का अनुभव करते हैं जिसे आम तौर पर अधिक पैसा कमाकर भी कम नहीं किया जा सकता है, उदाहरण के लिए दिल टूटने, शोक या Depression। ऐसे लोगों के लिए बढ़ती आय उनके दुख कम कर सकती है लेकिन खत्म नहीं।

किलिंग्सवर्थ ने अपने अध्ययन के बारे एक बयान देते हुए कहा कि अगर सरल शब्दों में समझ जाए तो ज्यादातर लोगों के लिए उनकी आय में वृद्धि उनकी Happiness का कारण बन सकती है।

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