Lal Bahadur Shastri: शास्त्री जी के नेतृत्व में भारत ने एक नए दौर को देखा था, और साथ ही कई सारे बदलावों की नीव थे Lal Bahadur Shastri जी। शास्त्री जी ने कठिन समय में देश की बाग डोर संभाली थी। नेहरू युग के अंत के बाद देश तो पहले से ही बदलावों के दौर से गुजर रहा था, साथ ही देश को कई बदलावों की बहुत जरूरत भी थी। उसी बीच जब पाकिस्तान ने पर भारत के विरूध्द हमला किया था, तब Lal Bahadur Shastri ने देश का बहुत अच्छे से नेतृत्व किया और देश को उन हालातों में भी बहुत अच्छे तरीके से संभाला था। आज वही महान नायक छोटा कद विशाल व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति की 56वीं पुण्यतिथि हैं।
देश के कठिन समय में संभाली थी भारत की जिम्मेदारी
भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री को देश की बाग डोर संभालनी पड़ी थी। नेहरू जी का कार्यकाल 27 मई 1964 को समाप्त होने के बाद 9 जून 1964 को Lal Bahadur Shastri जी ने भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया। नेहरू की मृत्यू के बाद पाकिस्तान ने भारत की बुरी हालत का फायदा उठाना चाहा और 1965 में भारत के खिलाफ युध्द छेड़ दिया।
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पाकिस्तान की नापाक साजिशों को दिया जबाव
Lal Bahadur Shastri जी बहुत ही शांत और गांधी जी के सिध्दांतों पर चलने वाले थे। जिसपर पाकिस्तान का शास्त्री पर लगाए गए सभी अनुमान झूठ साबित हुए। पाकिस्तान को लगा था कि शास्त्री जी ने कमजोर प्रधानमंत्री साबित होंगे, लेकिन Lal Bahadur Shastri जी ने इसका पहल जबाव देते हुए पाकिस्तान को सबक सिखाया जिसकी दुनिया में किसी को उम्मीद नहीं थी। इसके बाद दुनिया के बड़े देशों को इस युध्द को खत्म करने की पहल करनी पड़ी।
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शिक्षक के संतान की रहस्मयी हालातों में मौत
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म उत्तरप्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक थे। जो बाद में राजस्व विभाग में क्लर्क की नौकरी करने लगे थे। शास्त्री जी एक बहुत ही छोटे परिवार के जन्में हुए व्यक्ति थे। जिन्होंने दुनिया में अपना नाम का इतिहास रच दिया हैं। लेकिन शास्त्री जी की मृत्यू आज भी रहस्मयी घटना बनी हुई हैं। इनके निधन के बारे में आज भी कोई साफ जानकारी नही मिलती हैं। माना जाता हैं कि शास्त्री जी ने 1965 में भारत पाकिस्तान युध्द में पाकिस्तान को करारा जबाव देते हुए लाहौर तक घुसपैठ कर ली थी। जिसके बाद ताशकंद में पाकिस्तानी के प्रधानमंत्री अयूब खान और लाल बहादुर शास्त्री ने एक-दूसरे के साथ समझौता कर लिया था। उन्होंने युद्ध खत्म करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। जिसके बाद ही ताशकंद में शास्त्री जी की 11 जनवरी 1966 को रहस्यमयी परिस्थितयों में मौत हो गई थी.
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