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अक्षय तृतीया पर दान और पर्व कथा पढ़ने का महत्व, जानिए पूरी पौराणिक कथा

Akshaya Tritiya 2023: प्रत्येक वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाता है। Akshaya Tritiya के दिन दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, जो हमेशा साथ रहता है। अक्षय तृतीया का दान आपके लिए राजयोग का निर्माण कर सकता है। इससे साधारण व्यक्ति भी राजा बन सकता है। इस विशेष पर्व पर सोने चांदी की खरीदारी, स्नान-दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व इस वर्ष 22 अप्रैल 2023, शनिवार के दिन मनाया जाएगा। बता दें कि अक्षय तृतीया के दिन कई अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है, जिसमें पूजा-पाठ और सोने-चांदी की खरीदारी करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिल सकता है। हिंदू-पंचांग में भी शहरों के अनुसार शुभ मुहूर्त का उल्लेख किया गया है। Akshaya Tritiya की कथा में दान के महत्व को बताया गया है। आइए पढ़ते हैं अक्षय तृतीया की कथा।

Akshaya Tritiya की कथा

भविष्य पुराण की कथा के अनुसार, धर्मदास नाम का एक वैश्य शाकलनगर में रहता ​था। वह एक धार्मिक व्यक्ति था। वह हमेशा पूजा पाठ और दान करता था। दान पुण्य में उसका विश्वास था। वह सदैव ब्राह्मणों की सेवा करता और भगवान के भक्ति-भजन में समय व्यतीत करता था। एक रोज उसे अक्षय तृतीया के बारे में जानकारी हुई। उसे किसी ने बताया कि Akshaya Tritiya को किया गया दान अक्षय पुण्य प्रदान करता है। तब उसने तय किया कि इस बार अक्षय तृतीया पर वह पूजा पाठ और दान करेगा।

Akshaya Tritiya
credit: google

वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया ति​थि को वह सुबह ही जग गया। उसने पवित्र नदी में स्नान किया। फिर पितरों को स्मरण करके उनकी पूजा की। उनके लिए तर्पण किया। फिर अपने इष्ट देवता की पूजा की। फिर उसने घर पर ब्राह्मणों को भोजन के लिए आमंत्रित किया। उनको भोजन कराया, फिर गेहूं, चना, सोना, दही, गुड़ आदि का दान भी दिया।

अक्षय तृतीया के दिन धर्मदास के घर ऐसा सेवा सत्कार पाकर सभी ब्राह्मण बहुत खुश हुए और वे उसे आशीर्वाद देकर अपने घर चले गए। अब वह हर साल Akshaya Tritiya पर इस विधि से ही पूजा पाठ और दान करता था। उसके ऐसा करने से घरवाले परेशान हो गए। पत्नी ने कहा कि अक्षय तृतीया पर इस तरह के कार्य बंद कर दो। घरवाले उसके खिलाफ हो गए, लेकिन उसने Akshaya Tritiya पर पूजा पाठ और दान करना बंद नहीं किया।

ऐसा ही काफी वर्षों तक चलता रहा। एक दिन धर्मदास का निधन हो गया। अगले जन्म में वह द्वारका नगरी में जन्मा। वह कुशावती का राजा बन गया। Akshaya Tritiya के दिन किए गए पूजा-पाठ और दान के मिले अक्षय पुण्य से अगले जन्म में राजयोग बना और उससे वह राजा बन गया। इस जन्म में भी वह धार्मिक व्यक्ति था। उसके पास धन और वैभव की कोई कमी नहीं थी।

विशेष: अक्षय तृतीया के दिन पूजा के समय इस कथा को सुनना चाहिए। इससे अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है।

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि Stackumbrella.In किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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