मप्र के पूर्व जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा का सोमवार रात 10.30 बजे चिरायु अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। 60 वर्षीय शर्मा 11 मई को कोरोना संक्रमित हुए थे। जिसके बाद इलाज के लिए 12 मई को उन्हें भोपाल लाया गया था। इलाज के दौरान उन्हें दो बार हार्ट अटैक भी हुआ था, जिसके बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए चेन्नई ले जाने की भी तैयारी थी।
उन्हें एयरलिफ्ट करके चेन्नई ले जाने से पहले ही उनका भोपाल में निधन हो गया। शर्मा का मंगलवार को राजकीय सम्मान के साथ सिरोंज में अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
भाजपा के कद्दावर नेता थे शर्मा :
पेशे से शिक्षक रहे लक्ष्मीकांत शर्मा की आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी में तगड़ी पकड़ थी। इसी कारण 1993 में वे पहली बार सिरोंज से विधायक चुन कर आए थे। इसके बाद 1998, 2003 और 2008 में भी वे सिरोंज विधानसभा सीट से पार्टी के प्रतिनिधि रहे।
व्यापम घोटाले में नाम आने के बाद उनकी प्रतिष्ठा लगातार कम होती गई। यही कारण रहा कि वे 2013 में वे कांग्रेस के गोवर्धन उपाध्याय से चुनाव हार गए।
व्यापम और हनी ट्रैप ने धूमिल की प्रतिष्ठा :
2019 में पार्टी ने उन्हें टिकट न देकर उनके पाई उमाकांत शर्मा को पार्टी की तरफ से टिकट दिया। गत वर्ष हनी ट्रैप कांड में उनका एक कथित वीडियो वायरल होने के बाद संघ और भाजपा ने उनसे दूरी बना ली थी। शर्मा कई वर्षाों से सिरोंज को जिला बनाने के लिए प्रयासरत थे।