कोरोना काल में जहां अपनों ने ही अपनों का साथ छोड़ दिया है। लोग अस्पताल में भर्ती अपने परिजनों को देखने तक नहीं जा रहे। मृतकों को उनके परिवार जन मुखग्नि तक नहीं दे रहे है। ऐसे में डॉक्टरों और नर्सों की गंभीर मरीजों की सेवा करते हुए तस्वीरें लगातार सामने आ रही हैं। ऐसी ही तस्वीर भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज (Gandhi_Medical_college) में पदस्थ ईएनटी विभाग के प्रोफेसर डाॅ. यशवीर जेके (Dr_Yashveer_JK) की भी सामने आई है।
दरअसल गांधी मेडिकल काॅलेज में पदस्थ इस प्रोफेसर का पूरा परिवार ही कोरोना संक्रमित हो गया। इसके बावजूद भी यह डॉक्टर अपने घरवालों की चिंता छोड़ अस्पताल में ही रोजाना 16 से 18 घंटे तक ऑपरेशन ही कर रहे हैं। दरअसल हमीदिया अस्पताल में ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों के गंभीर रूप से संक्रमित अंगों को निकालने का काम डॉ. यशवीर ही कर रहे हैं।
पूरा परिवार संक्रमित लेकिन रोजाना कर रहे 18 घंटे ड्यूटी :
हमीदिया अस्पताल के नर्सिंग स्टॉफ ने डॉ. यशवीर के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि लगभग 20 दिन पहले डॉ. यशवीर के माता पिता, दो बच्चे और पत्नी कोरोना से संक्रमित हो गए। इसी दौरान ब्लैक फंगस का संक्रमण भी तेजी से फैल रहा था। ऐसे में डॉक्टर यशवीर ने अपने घर पर परिवार की देखभाल करने की बजाय रोजाना अस्पताल में 16 से 18 घंटे तक नियमित ड्यूटी की।
राेजाना 5 से 6 मरीजों का कर रहे हैं ऑपरेशन :
अप्रैल माह में महामारी की तेज लहर ने हजारों लोगों को संक्रमित कर दिया। जिसके बाद अचानक से ब्लैक फंगस के केस बढ़ने लगे। ऐसे में मरीजाें की जान बचाने के लिए कई बार संक्रमित अंगों को निकालने का काम डॉक्टरों द्वारा किया जाने लगा। ऐसे में रोजाना 5 से 6 मरीजों का ऑपरेशन तक डॉक्टरों का करना पड़ रहा है।
ऐसे में डॉक्टर यशवीर बताते हैं कि शायद हम सबसे बड़ी आपदा से निपट रहे हैं। भविष्य में शायद हम इससे मुश्किल घड़ी को न देख सकें, लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि इस समय भी हर आदमी पूरे तन मन से मरीजों की सेवा में लगा हुआ है। डॉक्टर और मेडिकल का पूरा स्टाफ अपनी व्यक्तिगत परेशानियों को भूल कर दिनरात लोगों की सेवा कर रहे हैं।
एक बार खान और 10 मिनट सोफे पर आराम :
डॉ. यशवीर बताते हैं कि ब्लैक फंगस के मरीज की सर्जरी करने में पूरी टीम काम करती है। हमें लगातार मरीजों का ऑपरेशन करना पड़ रहा है। ऐसे में दिन में एक बार खाना खाने के लिए निकलते हैं और फिर काम में जुट जाते हैं। थकावट निकालने के लिए ओटी के सोफे पर ही 10 मिनट आराम कर लेते हैं।
हम लोग जब देर रात घर चले जाते हैं। हमारे जूनियर डॉक्टर तब भी मरीजों की स्थिति पर नजर बनाए रखते हैं। ऐसे में मरीजों की सेहत को सुधारने का काम हम सब मिलकर कर रहे हैं।
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