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CJI Chandrachud: चंद्रचूड़ का मुख्य न्यायाधीश के रूप में 1 महीना पूरा, इन बड़े फैसलों पर लगाई मुहर

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एक महीने के कार्यकाल में न्यायमूर्ति DBI CHANDRACHUD ने दूरगामी प्रभाव वाले कई महत्वपूर्ण फैसले लिए चाहे वह समलैंगिक जोड़ों के विवाह के अधिकार पर फैसला हो या वाराणसी के ज्ञानवापी पर लिया फैसला हो।

विस्तार

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Credit: in24news.com

भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश बने धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (Justice Dy Chandrachud) ने सुप्रीम कोर्ट में अपना एक महीना पूरा कर लिया। न्यायाधीश चंद्रचूड़ के फैसले जितने मजबूत और तार्किक होते हैं, उतनी ही बेबाकी के साथ वे असहमति भी जताते हैं। वह पहले ही कह चुके हैं कि  अदालतों का काम कानूनी जवाबदेही के साथ अत्याचार दूर करना है। कई बार उन्होंने फैसलों में पीठ से अलग राय रखी है।

अपने एक महीने के कार्यकाल में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने दूरगामी प्रभाव वाले कई महत्वपूर्ण फैसले लिए चाहे वह समलैंगिक जोड़ों के विवाह के अधिकार की जांच करने का निर्णय का फैसला हो या वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में ‘शिवलिंग’ होने के दावे के बाद उस क्षेत्र की सुरक्षा से संबंधित लिया गया फैसला हो।

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इसके अलावा, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने आपराधिक अपील, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर और भूमि अधिग्रहण मामलों और मोटर दुर्घटना दावा मामलों की सुनवाई के लिए चार विशेष बेंच स्थापित करने का भी निर्णय लिया है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को नौ नवंबर को राष्ट्रपति DROPADI MURMU ने 50वें सीजेआई के रूप में शपथ दिलाई गई थी। वहीं इससे पहले जस्टिस चंद्रचूड़ कई संविधान पीठों और ऐतिहासिक फैसलों जैसे अयोध्या मुद्दे का हिस्सा रहे हैं।

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Credit: himachalabhiabhi.com

दिल्ली सेLLB हार्वर्ड से LLM

11 नवंबर, 1959 को जन्मे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की मां प्रभा चंद्रचूड़ शास्त्रीय संगीतकार थीं। उनकी स्कूली शिक्षा मुंबई और दिल्ली में हुई। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद 1982 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी की। यहां से वे अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पहुंचे, जहां पहले एलएलएम पूरी की और 1986 में जूरिडिकल साइंसेस में पीएचडी की उपाधि हासिल की।

पिता वाईवी चंद्रचूड़ 16 वें प्रधान न्यायाधीश थे, वे सबसे लंबे समय तक सीजेआई रहे थे
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ वाईवी चंद्रचूड़ देश के 16वें चीफ जस्टिस थे। वाईवी चंद्रचूड़ 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक करीब सात साल रहा। यह किसी सीजेआई को अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल है। पिता के रिटायर होने के 37 साल बाद उनके

बेटे जस्टिस  DBI CHANDRACHUD  CJI बने हैं।

नई दिल्ली:- भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के दो साल के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट में कम से कम 19 नए जजों को नियुक्त किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के जजों की ये नियुक्ति नया रेकॉर्ड बनाएगी । CJI Chandrachud के नेतृत्व वाले कॉलेजियम का फिलहाल काम सुप्रीम कोर्ट में खाली 7 वेकेंसी को भरना है। इनको नियुक्त करने की शक्ति सीजेआई समेत 34 जजों के पास है।

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56% जजों को नियुक्त करेंगे DBI CHANDRACHUD

इनमें से पहली रिक्तियां 4 जनवरी 2023 को जज एस अब्दुल नजीर के रिटायरमेंट के चलते हुई थी। अगले साल मई और जून में सुप्रीम कोर्ट में 5 और जज जस्टिस डी माहेश्वरी, एम आर शाह, के एम जोसेफ, ए रस्तोगी और वी रामासुब्रमण्यन रिटायर होंगे। जबकि न्यायमूर्ति एस आर भट अक्टूबर में रिटायर होंगे। इसके बाद जस्टिस एस के कौल दिसंबर 2023 में रिटायर होंगे। 2024 में जस्टिस ए बोस, जस्टिस ए एस बोपन्ना और हिमा कोहली रिटायर होंगे। वहीं, सीजेआई चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक है। इसका मतलब यह होगा कि सीजेआई समेत 34 जजों की स्वीकृत शक्ति में से 19 या 56% न्यायाधीशों को चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम द्वारा नामित किया जाएगा।

फैसलों में दिखती है उनके व्यक्तित्व की छाप

उदार छवि के फैसलों में हमेशा उनके व्यक्तित्व की छाप दिखी है. व्यभिचार के लिए लगने वाली आईपीसी की धारा 497 को रद्द करते समय दिए गए फैसले में उन्होंने लिखा कि एक शादीशुदा महिला की भी अपनी स्वायत्तता है. उसे अपने पति की संपत्ति की तरह नहीं देखा जा सकता. उसका किसी और पुरूष से संबंध रखना तलाक का उचित आधार हो सकता है, लेकिन इसे अपराध मान कर दूसरे पुरुष को जेल में डाल देना गलत होगा

कोरोना पॉजिटिव होने पर भी किया काम

कोविड के दौर में उन्होंने ऑक्सीजन और दवाइयों की उपलब्धता पर कई आदेश दिए. एक ऐसा मौका भी आया जब वह खुद कोरोना पीड़ित होने के बावजूद अपने घर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए सुनवाई से जुड़े. हाल ही में उन्होनें रात 9 बज कर 10 मिनट तक कोर्ट की कार्यवाही चलाई और उस दिन अपने सामने लगे सभी मामलों को निपटाया.

कई मामलों में अहम भूमिका में रहे CHANDRACHUD के फैसले

हाल ही में उन्होंने अविवाहित महिलाओं को भी 20 से 24 हफ्ते के गर्भ को गिराने की अनुमति दी. इस ऐतिहासिक फैसले में उन्होंने यह भी कहा कि अगर पति ने ज़बरन संबंध बना कर पत्नी को गर्भवती किया है, तो उसे भी 24 हफ्ते तक गर्भपात का अधिकार होगा. इस तरह गर्भपात के मामले ने ही सही, कानून में पहली बार वैवाहिक बलात्कार यानी मैरिटल रेप को मान्यता मिली.

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समेत तमाम मौलिक अधिकारों को लेकर जस्टिस चंद्रचूड़ सजग रहे हैं. उन्होंने राजनीतिक और वैचारिक रूप से अलग-अलग छोर पर खड़े लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक जैसा आदेश दिया. वह यह कि सिर्फ अपने विचार व्यक्त करने के लिए किसी को जेल में डाल देना सही नहीं है. लंबे समय से सेना में स्थायी कमीशन के लिए लड़ाई लड़ रही महिला अधिकारियों को भी उन्होंने राहत दी. अयोध्या मामले का फैसला देने वाली 5 जजों की बेंच के जस्टिस चंद्रचूड़ भी सदस्य थे. आधार मामले ओर फैसला देते हुए उन्होंने निजता को मौलिक अधिकार घोषित करवाने में अहम भूमिका निभाई

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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ वाईवी चंद्रचूड़ देश के 16वें चीफ जस्टिस थे। वाईवी चंद्रचूड़ 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक करीब सात साल रहा। यह किसी सीजेआई को अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल है। पिता के रिटायर होने के 37 साल बाद उनके बेटे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सीजेआई बने हैं।

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