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ये हैं भोपाल की 5 खूबसूरत थिएटर आर्टिस्ट, जिनकी मौजूदगी ही शो को कर देती है सुपरहिट 

जैसे-जैसे भोपाल बॉलीवुड के करीब होता जा रहा है। वैसे-वैसे यहां के लोगाें में थिएटर के प्रति दीवानगी बढ़ती जा रही है, लेकिन ये बात भी सच है कि भोपाल हमेशा से ही बॉलीवुड को अच्छे कलाकार देते आया है। इसका कारण यहां के लोगों में थिएटर के प्रति दीवानगी है। भोपाल ने भारत को कई प्रसिद्ध थिएटर कलाकार दिए हैं, जिनकी मौजूदगी से ही शो सुपर हिट हो जाता है।

लेकिन इसके विपरीत आज हम आपको भोपाल की उन पांच महिला कलाकारों के बारे में बता रहे हैं, जिनके अभिनय और खूबसूरती के दीवाने भोपाल ही नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान में हैं। साथ ही इनकी मौजूदगी किसी भी शो की सफलता तय करती है। अपनी अभिनय, अदाओं और खूबसूरती के दम पर ये कलाकार थिएटर ही नहीं, बल्कि छोटे पर्दे और बड़े पर्दे तक अपनी पकड़ बना रही हैं। तो आइए आपका परिचय करवाते हैं भोपाल की 5 खूबसूरत फीमेल थिएटर आर्टिस्ट से…

1. देवांशी सोनी सिन्हा : थिएटर को जीवंत रखने का सपना 
नई पीढ़ी की थिएटर कलाकारों में देवांशी के अभिनय के कायल राजधानी के बहुत से लोग हैं। देवांशी करीब 14 साल से थिएटर कर रही हैं। उन्होंने एक बाल कलाकार के रूप में अपना कैरियर शुरू किया था। थिएटर के बारे में बताते हुए कहती हैं कि थिएटर में जो एक्टिंग के बेसिक्स आप सीखते हैं, वे आप किसी भी जगह पर नहीं सीख सकते। यही मुख्य कारण है, जिसने उन्हें अब तक थिएटर के साथ जोड़े रखा है। वहीं थिएटर को जिंदा रखने को लेकर उनका मानना है कि रंगमंच की अभिनेत्री को जीवित रखने के लिए उन्हें थिएटर करते ही रहना पड़ेगा।    

वे करीब पांच साल से निर्देशन भी कर रही हैं। कविताओं के प्रति उनके दिल में एक अलग ही जगह है, जिसके कारण वे थिएटर को कविताओं से जोड़ने का काम कर रही हैं। हालांकि उन्हें लगातार टेलीविजन पर बड़े काम मिलते रहे, लेकिन छोटे पर्दे का मोह त्याग कर वे लगातार थिएटर की कला को आगे ले जाने का काम कर रही हैं। वहीं देवांशी का कहना है कि यदि कोई दमदार किरदार या समाज में जागरुकता फैलाती किसी महिला का किरदार उन्हें निभाने को मिलता है, तो वे टेलीविजन का भी रुख कर सकती हैं।



देवांशी कई किरदारों को स्टेज पर जीवंत कर चुकी हैं, जिनमें मुख्य रूप से तोता बाेला, बी-3, चंदा बेड़नी, राजा हरदौल में उनकी मुख्य भूमिकाएं रही हैं। साथ ही 4 नाटकों का निर्देशन वे कर चुकी हैं। 

2. खुशबू पांडे : थिएटर के साथ संगीत के क्षेत्र में भी सक्रिय 
संगीत और अभिनय दोनों में बराबर पकड़ रखने वाली खुशबू पांडे पिछले 17 सालों से थिएटर से जुड़ी हुई हैं। वर्तमान में वे शारदा विहार स्कूल में छात्रों को एक्टिंग और म्यूजिक के गुर सिखा रही हैं। साथ ही साथ थिएटर और म्यूजिक के क्षेत्र में भी लगातार सक्रिय बनी हुई हैं। वहीं उन्हें इस दौरान छोटे पर्दे पर लगातार अच्छा काम मिलता रहा, लेकिन वो हमेशा से थिएटर के प्रति ज्यादा समर्पित रही हैं। इस दौरान मप्र के सभी बड़े रंगकर्मियों के साथ काम करते हुए 16 से ज्यादा नाटकों में नजर आ चुकी हैं, जिनके 50 से ज्यादा प्ले किए जा चुके हैं। खास बात यह है कि उन्होंने आज तक केवल लीड कैरेक्टर ही प्ले किया है। 

अभिनय के अलावा पिछले कुछ सालों से वे निर्देशन में भी अपने हाथ आजमा रही हैं। खुशबू एक और द्रोणाचार्य, पंच परमेश्वर, माेबाइल मेनिया, ओल्ड एज हॉम, डॉक्टर हेडगेबार का निर्देशन कर चुकी हैं। वहीं संगीत के क्षेत्र में भी बड़ी पहचान रखती हैं। पंडित सिद्धराम स्वामी कोरवार जी के साथ शास्त्रीय संगीत में विशारद किया है। शास्त्रीय संगीत में एमए की डिग्री भी हासिल कर चुकी हैं।



 

स्टार प्लस पर आने वाले सीरियल “लाखों में एक” में खुशबू मुख्य भूमिका निभा चुकी हैं। साथ ही इला अरुण के रियलिटी शो “मैं ख्याल हूं किसी और का मुझे सोचता कोई और है” और केके रैना के सीरियल कुतुबखाना में भी खुशबू काम कर चुकी हैं। इस दौरान कई टेलीफिल्म और शॉर्ट फिल्म में भी खुशबू काम कर चुकी हैं। डीडी एमपी के “गांव हमारा शहर से प्यारा” में भी काम कर चुकी हैं। खुशबू के पिता रमेश पांडे पिता की इन उपलब्धियों पर बहुत गर्व करते हैं। 

3. श्रुति सिंह : बड़े पर्दे पर पूरे कर चुकी हैं कई प्रोजेक्ट
पिछले 15 सालों से थिएटर में सक्रिय श्रुति के लिए स्टेज पर आना किसी चुनौती से कम नहीं था। माता-पिता की उम्मीदों के साथ उन्हें खुद की पसंद को बराबर समय देना था। इसलिए थिएटर के साथ-साथ एजुकेशन को भी उन्हें बराबर समय देना पड़ा। श्रुति 16 से ज्यादा नाटकों में काम कर चुकी हैं, जिनमें आधे प्ले में वे मुख्य भूमिका में नजर आई हैं। श्रुति के अभिनय के निर्देशक इतने कायल हैं कि उन्हें या तो मुख्य भूमिका ऑफर होती है। या सेकेंड लीड रोल दिया जाता है। थिएटर के साथ उन्होंने इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद एमबीए इन ह्यूमन रिर्सोसेस की भी डिग्री हासिल की है।

श्रुति आषाढ़ का एक दिन, यहूदी की लड़की, मत्स्यगंधा, दुहाई लुकमान सहित कई नाटकों में काम कर चुकी है। मत्स्यगंधा को 2014 में नेशल अवार्ड भी मिल चुका है। इसके अलावा यहूदी की लड़की में तीन गानों को भी जोड़ा गया है, जो गाने श्रुति खुद ही गाती हैं। जिनके लिए श्रुति को कई सम्मान भी दिए जा चुके हैं।



श्रुति दूरदर्शन के लिए कई टेलीफिल्म्स में भी काम कर चुकी हैं। 2011 में उन्हें पीपली लाइव फिल्म में रिपोर्टर की भूमिका में नजर आ चुकी हैं। इसके बाद उन्हें प्रकाश झा की कई फिल्मों में काम करने का मौका मिला, जिनमें आरक्षण, सत्याग्रह, गंगाजल, चक्रव्यूह, फ्रॉड संइया, लिपिस्टिक अंडर माय बुरखा में उन्होंने असिस्टेंट डायरेक्टर और असिस्टेंट कास्टिंग डायरेक्टर के रूप में काम किया। साथ ही कई फिल्मों में उन्होंने बड़े कलाकारों के साथ रोल भी कर चुकी हैं। बड़े पर्दे पर लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहीं श्रुति की मानें तो मुझे कितना भी बड़ा रोल क्यों न मिल जाए, लेकिन मैं थिएटर को करना कभी भी नहीं छोड़ूंगी।

4. भावना श्रीवास्तव : लगातार सक्रिय हैं टेलीविजन पर 
पिछले 10 सालों से थिएटर में सक्रिय भावना कई नाटकों में मुख्य किरदार के रूप में नजर आ चुकी हैं। भावना मत्स्यगंधा, डंक, इंद्रजीत, राग दरबारी और बंटू वाघमारे में नजर आ चुकी हैं। भावना मत्स्यगंधा नाटक के लिए सम्मानित भी हो चुकी हैं। मप्र के कई शहरों में अपनी मौजूदगी से दर्शकों की वाहवाही लूटने वाली भावना दिल्ली और मुंबई के बड़े थिएटर्स में स्टेज शेयर कर चुकी हैं। भावना थिएटर को अपने अभिनय को निखारने का सबसे अहम जरिया मानती हैं। भावना चाहती हैं कि लोगों और बच्चों को थिएटर से जोड़ने को लेकर कई प्रयास हों, ताकि अभिनय के साथ-साथ थिएटर आपके व्यक्तित्व को भी सुधारता है। 

टीवी पर आने वाले क्राइम सीरियल्स में भावना कई बार नजर आ चुकी हैं। जुर्म और जज्बात, क्राइम पेट्रोल और दास्तान-ए-जुर्म में कई एपिसोड में भावना नजर आ चुकी हैं। कई शॉर्ट फिल्म और टेली फिल्म्स में भी काम कर चुकी हैं। साथ ही फिल्म चक्रव्यूह और राजनीति में भी भावना मुख्य भूमिका निभा चुकी हैं।



 

भावना एक नाटक का निर्देशन भी कर चुकी हैं। भावना अब लोगों को अभिनय के गुर सिखाना चाहती हैं। भावना की मानें तो वे भले ही छोटे पर्दे पर सक्रिय हों, लेकिन वे थिएटर से हमेशा जुड़ी रहना चाहेंगी। छोटे पर्दे पर लगातार बने रहना भावना का एक सपना है, लेकिन वो लगातार थिएटर में सक्रिय रहना चाहती हैं। 
       
5. मृदुला भारद्वाज : तेजी से उभरती भोपाल की युवा थिएटर कलाकार 
मृदुला 1994 से ही संगीत और डांस की अलग-अलग विधाओं में सक्रिय है। हालांकि थिएटर से मृदुला काफी समय बाद जुड़ीं। बाल भवन में संगीत की शिक्षा के दौरान लंच ब्रेक में वे थिएटर और नाटक की क्लास में चली जातीं थीं। इस दौरान उनके मन में भी नाटक करने का मन आया और प्रसिद्ध रंगकर्मी केजी त्रिवेदी ने मृदुला की कला को निखारने का काम किया। उसके बाद से वे लगातार थिएटर में सक्रिया हैं। मृदुला की मानें तो वे आज भी थिएटर की बारीकियों की सीख रही हैं और लगातार काम कर रही हैं। 

मृदुला लगभग 25 नाटकों में किरदार निभा चुकी हैं और कई नाटकों के अनेक रिपीट शो हो चुके हैं। ऑन स्टेज के साथ कई प्ले में बैक स्टेज काम भी कर चुकी हैं। मृदुला का बस इतना सा ख्वाब है लगभग 20 पर रिपीट हो चुका है और इस प्ले को दर्शकों के द्वारा हमेशा सराहा गया है। साथ ही कई डॉक्यूमेंट्री में वे काम कर चुकी हैं। मृदुला की मानें तो वे क्वालिटी वर्क पर अपना फोकस करना चाहती हैं, जिससे कुछ न कुछ संदेश वो समाज को दे सकें।



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